Wednesday, September 11, 2024

विषम परिस्थितियों में भी दंपति ने नहीं मानी हार, कार को बनाया रोजी-रोटी का जुगाड़

कई बार इंसान परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देता है और हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हार नहीं मानते हैं। वे हालातों के आगे झुकने की बजाए उनसे मेहनत का रास्ता चुनते हैं और समय को बदलने की कोशिश करते हैं।

आज हम आपको ऐसे ही एक कपल से मिलवाने जा रहे हैं जिसने हालातों की भट्टी में खुद को इस कदर झोंका कि धीरे-धीरे उनकी स्थिति सुधरने लगी।

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गाड़ी में रखकर बेचते हैं फूड आइटम्स

तस्वीर में दिख रहे इस शख्स का नाम करन कुमार है और इस महिला का नाम अमृता है। ये दोनों पति-पत्नि हैं और दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम के पास फूड बिजनेस चलाते हैं।

रोज़ दोपहर साढ़े 12 बजे एक आल्टो गाड़ी स्टेडियम के पास आकर खड़ी हो जाती है। उससे एक शादीशुदा जोड़ा उतरता है अपने-अपने एप्रिन पहनता है और 4-5 घंटों तक फूड आइटम्स बेचता है।

इनके मेन्यू में राजमा चावल, कढ़ी चावल और छोले चावल जैसे लजीज़ डिशेज़ शामिल हैं। खास बात ये है कि पर प्लेट का प्राइस भी अधिक नहीं है। इस शॉप पर 30-50 रुपये के बीच में आप भरपेट भोजन कर सकते हैं।

इन दिनों दिल्ली की गलियों में ‘अमृता जी के राजमा चावल’ काफी प्रसिद्ध हैं। अगर आप भी राजधानी घूमने का प्लान बना रहे हैं और यहां के लजीज़ फूड आइटम्स का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो तालकटोरा स्टेडियम आकर इस दंपति की सर्विस का मज़ा जरुर उठाएं।

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कोरोनाकाल में खो दी थी नौकरी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फूड शॉप की शुरुआत से पहले करन एक सांसद के यहां ड्राइवर की नौकरी करते थे। वहां उन्हें 14,000 तनख्वाह साथ ही रहने के लिए एक क्वार्टर और रोजमर्रा के यूज़ के लिए कुछ सामान मिलता था। लेकिन कोरोना के वक्त उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था ऐसे में उनका रोजगार और छत दोनों छिन गए थे। वे पूरी तरह से सड़क पर आ चुके थे।

परिवार ने तोड़ दिया था रिश्ता

सबसे बड़ी मुसीबत यह थी कि उनके पास गांव वापिस जाकर अपने घर में रहने का भी ऑप्शन नहीं था। दरअसल, पारिवारिक और जमीन-जायदाद की लड़ाई के चलते परिवार ने करन से रिश्ता तोड़ लिया था। ऐसे में उनकी मदद उनकी पत्नी के पिता ने की। उन्होंने कुछ महीनों तक दोनों को अपने घर में पनाह दी। लेकिन करन को दिन-रात यह बात कचोटती थी कि वे ऐसे हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते।

इसलिए उन्होंने अपनी ससुराल से जाने का फैसला किया। हालांकि, उनके ससुर ने करन को अपनी गाड़ी दे दी। इसी गाड़ी में करन और अमृता ने कई दिन गुज़ारे। रात को वे इसी गाड़ी में सो जाया करते थे और सुबह उठकर पब्लिक टॉयलेट्स का इस्तेमाल करते थे।

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कर्ज लेकर शुरु किया व्यापार

रिपोर्ट्स के अनुसार, एक दिन करन की पत्नी अमृता ने उन्हें फूड आइटम्स का बिजनेस करने का आइडिया दिया। पति को उनका यह आइडिया काफी पसंद आया। लेकिन इसको शुरु करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। ऐसे में करन ने अपना कुछ सामान जैसे अलमारी, सोफे आदि बेंच दिया। इससे उन्हें कुछ पैसे मिले, इसके अलावा उन्होंने अपने दोस्तों और ससुर से कुछ पैसा कर्ज पर लेकर एक दुकान किराए पर ली। यहां उन्होंने कुछ राशन के साथ शुरुआत की।

निकल पड़ा बिजनेस

दंपति सुबह साढ़े 3 बजे उठकर सारा भोजन तैयार करके शाम 4 बजे तक अपनी दुकान बढ़ा लेता। हालांकि, उनकी सेल कम हो रही थी। ऐसे में उन्होंने अपनी कार का सहारा लिया। उन्होंने ऐसे ही एक दिन अचानक से दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम के पास जाकर अपने मेन्यू का बोर्ड लगाया और टेस्टी खाने की जानकारी सभी को देना चालू किया। देखते ही देखते उनकी कार के पास लोग इकट्ठा होने लगे। समय के साथ उनका बिजनेस अच्छा चलने लगा।

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फूड ब्लॉगर्स ने की मदद

जानकारी के अनुसार, ‘अमृता जी के राजमा चावल’ को जन-जन तक पहुंचाने में सबसे बड़ा रोल फूड ब्लॉगर्स का रहा। इस बात का खुलासा करन ने खुद मीडिया से बात करते हुए किया था। उन्होंने बताया था कि सोशल मीडिया ब्लॉगर करण दुआ ने अपने चैनल दिल से फूडी पर इस शॉप से जुड़ा एक फूड ब्लॉग अपलोड किया था। वह वीडियो देखते ही देखते इतनी वायरल हुई कि लोगों ने करन और अमृता से संपर्क करना शुरु किया।

गौरतलब है, आज की तारीख में करन और अमृता अपने इस बिजनेस से 60,000 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से कमा लेते हैं। अब वे अपने व्यापार को बड़े स्तर पर करने की प्लानिंग कर रहे हैं। बहुत जल्द दंपत्ति अपने इस मेन्यू में नए आइटम ऐड करेगा।

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