इंसान की जिंदगी में कब कौन सा अजूबा हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ ऐसा ही हाल बिहार के औरंगाबाद का है। यहां के अस्पताल में एक ऐसे बच्चे का जन्म हुआ है जिसके शरीर पर स्किन की जगह प्लास्टिक की कोटिंग है।
शरीर पर प्लास्टिक की परत
बिहार के औरंगाबाद सदर अस्पताल में एक ऐसा अजूबा हुआ है जिसपर विश्वास कर पाना बेहद ही मुश्किल है, लेकिन यह हकीकत है। दरअसल, अस्पताल परिसर के नवजात शिशु देखभाल इकाई में एक महिला ने हाल ही में एक ऐसे बच्चे को जन्म दिया है जिसके शरीर पर इंसानी चमड़ी के बजाए प्लास्टिक की परत चढ़ी हुई है।
‘प्लास्टिक बेबी’ का हुआ जन्म
इस अनोखे बच्चे के जन्म लेने की खबर सारे शहर में आग की तरह फैल गई, जिसके बाद नवजात शिशु को देखने के लिए दर्शकों का तांता लग गया। सभी की जुबान पर प्लास्टिक बेबी का ही नाम है।
इस मामले पर चिकित्सकों का कहना है कि यह बच्चा कॉलोडियन नामक बीमारी से पीड़ित है। इस दुर्लभ बीमारी में शिशु के शरीर पर प्लास्टिक की परत जम जाती है। इससे बच्चे की पैर की अंगुलियां आपस में चिपक जाती हैं।
‘कॉलोडियन’ नामक बीमारी से ग्रसित नवजात
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मां-बाप के शुक्राणुओं में गड़बड़ी की वजह से नवजात के शरीर पर प्लास्टिक सी परत चढ़ जाती है। यही वजह है ऐसे बच्चे कॉलोडियन या प्लास्टिक बेबी भी कहलाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, इस रोग से ग्रसित बच्चे के पूरे शरीर पर प्लास्टिक की परत चढ़ जाती है। धीरे-धीरे यह परत फटने लगती है और असहनीय दर्द होता है। इसकी वजह से जान का खतरा भी हो सकता है।
क्रोमोसोम की कमी से पैदा होते हैं ऐसे बच्चे
वहीं, एसएनसीयू के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दिनेश दुबे ने बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर बताया कि वह अन्य शिशुओं की तरह सारी एक्टिविटी कर रहा है। उन्होंने बताया कि माता-पिता के क्रोमोसोम में असामान्यता की वजह से इस तरह के शिशुओं का जन्म होता है। डॉ. दुबे ने कहा कि इलाज से शुक्राणु की इस कमी को दूर किया जा सकता है मगर इसका इलाज यहां नहीं बल्कि मेडिकल कॉलेजों या फिर किसी रिसर्च सेंटर में ही संभव है।