एकता व मानवता की इस मिट्टी को हम प्यार से हिंदुस्तान कहते हैं। इस पावन भूमि की सुरक्षा में लाखों सैनिक अपनी जान की परवाह ना करते हुए दिनरात डटे रहते हैं। सर्दियों की तेज़ हवाएं, बारिश का ठंडा पानी, धूप की तेज़ गर्मी भी उनके हौंसले के आगे दम तोड़ देती है। देश की एकता एवं अखंडता को बरकरार रखने के उद्देश्य से हमारी भारतीय सेना के वीर सैनिक न्यूनतम टेंमप्रेचर में भी डटे रहते हैं। इनका मक्सद सिर्फ एक होता है और वो है भारतीय लोगों की सुरक्षा फिर चाहें इसके लिए इन्हें अपनी जान की ही बाज़ी क्यों ना लगानी पड़ी।
ऐसे ही तमाम भारतीय सैनिकों की शौर्य गाथा का उल्लेख अनेकों पुस्तकों और लेखों के माध्यम से पहले ही किया जा चुका है, लेकिन जिस घटना के विषय में हम आज आपको बताने जा रहे हैं उसके बारे में जानकर आपको अपने देश के सैनिकों पर निश्चित ही अभिमान होगा।
गर्भवती महिला की हालत बिगड़ी
भारत के वीर सपूतों ने वो करके दिखाया है जिसे करने के लिए फौलादी सीना और मज़बूत जज्बा चाहिए। दरअसल, एलओसी से सटे सुदूर गांव में एक महिला की हालत अचानक बिगड़ गई। महिला गर्भवती थी इसलिए लोगों की चिंता और अधिक बढ़ गई। इसपर परिजनों ने सेना के जवानों से मदद लेने की इच्छा जाहिर की। जिसके बाद भारतीय सेना की मेडिकल टीम ने गर्भवती स्त्री की जांच की और बताया कि महिला को प्रसव के कारण पीड़ा हो रही है, इसलिए इसको जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना होगा।
खराब मौसम बना चुनौती
इसपर लोगों ने तय किया कि महिला को सलसान स्थित बोनियार पीएचसी ले जाया जाए। लेकिन भारी बर्फबारी और तेज़ बारिश के चलते सभी रास्ते ब्लॉक थे। यही वजह थी कि कोई भी वाहन गांव में प्रवेश नहीं कर सकता था। लेकिन महिला को समय से अस्पताल पहुंचाना भी जरुरी था।
हालातों के आगे नहीं झुके जवान
इसपर हमारे भारतीय सेना के वीर जवानों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और पैदल ही चलकर महिला को अस्पताल पहुंचाने का जिम्मा अपने कंधों पर उठाया। तेज़ सर्द हवाएं, भारी बर्फबारी के बीच जवानों के कंधों पर एक स्ट्रेचर और उसपर लेटी एक गर्भवती स्त्री, यह दृश्य हर किसी की आंखों को नम करने वाला रहा।
पदयात्रा कर पहुंचे अस्पताल
जानकारी के मुताबिक, 6.5 किमी की लंबी पदयात्रा तय करके भारतीय सेना के जवानों ने सलसान स्थित बोनियार स्वास्थ्य केंद्र में महिला को समय रहते भर्ती कराया। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने महिला की जांच की।
गौरतलब है, इस मौके पर महिला के परिजनों और स्थानीय लोगों ने सेना, प्रशासन और पीएचसी बोनियार को उनके द्वारा की गई सहायता के लिए आभार व्यक्त किया।