Friday, January 24, 2025

छेड़खानी से तंग आकर पुलिस ऑफिसर बनने का लिया था फैसला, आज थर-थर कांपते हैं अपराधी

कहते हैं सोए हुए शेर के साथ छेड़खानी करना मुसीबत को दावत देने के समान होता है। इस कहावत का प्रबल उदाहरण डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर हैं। आज उनके नाम से अपराधी थर-थर कांपते हैं।

आयरन लेडी के नाम से पूरे उत्तर प्रदेश में भौकाल कायम करने वाली श्रेष्ठा ठाकुर आज समाज की हर उस लड़की के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं जो जीवन में आने वाली कठिनाइयों से हार मानकर अपने सपनों को त्याग देती हैं।

हर लड़की की तरह श्रेष्ठा के जीवन में भी कई परेशानियां थीं। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानीं वे डटीं रहीं जिसका नतीजा आज आप सबके सामने है।

shrestha thakur

ग्रेजुएशन के लिए गईं थी कानपुर

बता दें, श्रेष्ठा का जन्म उन्नाव के एक व्यापारी के घर हुआ था। वे शुरुआत से ही पढ़ाई में तेज़ थीं। इसलिए उनके पिता ने उन्हें 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए कानपुर के एक कॉलेज में पढ़ने के लिए भेजा था। यहां श्रेष्ठा के साथ एक ऐसी घटना घटी जिसने उनकी जिंदगी का मक्सद ही बदल दिया।

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छेड़खानी से परेशान होकर पहुंची थाने

एक साक्षात्कार के दौरान श्रेष्ठा ने बताया था कि जब वे कानपुर में पढ़ती थीं उस वक्त कुछ मनचले लड़कों ने उन्हें कॉलेज से लौटते वक्त छेड़ने की कोशिश करी थी। पहली बार तो उन्होंने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया। हालांकि, जब उन मनचलों ने उनके साथ दोबारा बद्तमीजी की तो वे चुप नहीं बैठी। वे सीधा पुलिस स्टेशन पहुंच गईं। वहां जाकर उन्होंने पुलिसकर्मियों से छेड़खानी की जानकारी दी लेकिन किसी ने पुलिस ने कोई जायज़ कार्रवाई नहीं की।

उन्होंने आगे बताया था कि पुलिस का ढीला-ढाला रवैया देखकर उन्हें बड़ा आश्चर्य लगा। उन्हें एहसास हुआ कि अखबारों और टीवी में जो वे पुलिस की लापरवाही से जुड़े किस्से सुनती हैं, उनमें कितनी सच्चाई होती है।

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अधिकारी बनने का लिया फैसला

ऐसे में उन्होंने हार न मानते हुए परिस्थितियों से लड़ने का फैसला किया। श्रेष्ठा ने तय किया कि वे अब इस सिस्टम को सिस्टम में रहकर ही सुधारेंगी। उन्होंने पीपीएस की तैयारी प्रारंभ की। इस दौरान उनके भाई ने उनका बहुत साथ दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब श्रेष्ठा के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना का आस पड़ोस में पता चला था उन्होंने उनके परिवार को ताने मारना शुरु कर दिया था। स्थानीय निवासी श्रेष्ठा के पिता को उन्हें अकेले बाहर न जाने की सलाद देते थे।

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भाई ने दिया हौंसला, बहन बनी डीएसपी

हालांकि, इस सबके बीच श्रेष्ठा के भाई मनीष प्रताप ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने हमेशा अपनी बहन को आगे बढ़ने की सलाह दी जिसका नतीजा ये रहा कि साल 2012 में श्रेष्ठा ने पीपीएस का एग्जाम क्लियर कर किया था।

गौरतलब है, आज श्रेष्ठा डीएसपी के पद पर तैनात हैं। उनके नाम से प्रदेश के अपराधी थर-थर कांपते हैं। लोग उन्हें आयरन लेडी के नाम से पुकारते हैं।

 

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