गोलगप्पे का पता हवा करती है. गोलगप्पे की दोस्ती पुरूषों से कम औरतों से ज्यादा होती है . कहते हैं कि किसी को एक महिला पसंद करे तो वह पति ,पर सैकड़ों महिलाएं जिसे पसंद करें तो वह गोलगप्पे वाला होता है . महिलाएं जितनी बार उसे भईया कहती हैं ,उतनी बार तो अपने सगे भाई को भी भईया नहीं कहती होंगीं. इसका प्रमुख कारण होता है गोलगप्पे खाने के बाद सर्व किया जाने वाला मसालेदार पानी .गोलगप्पे वाला भईया उनका दोना पानी से लबालब भर देता है . वे उसकी नियमित ग्राहक जो ठहरीं .यदि आप मसाला पानी की मांग करेंगे तो वह आपके दोने में थोड़ा सा पानी डालकर आपको यूं देखेगा कि जैसे आप पर कोई परम एहसान कर रहा हो . आप भी उस पानी को पी कर परमानंद की प्राप्ति का एहसास कर चलते बनेंगें .

गोलगप्पे का सिर्फ नाम हीं काफी है , मुंह में पानी लाने के लिए .गोलगप्पा कम निवेश में अपने ग्राहक को चरम तृप्ति प्रदान करता है . एक चुटकुला बहुत दिनों से इंटरनेट पर बहुत प्रसिद्ध हो रहा है . पति से पत्नी पांच सितारा होटल में खाना खाने की जिद कर रही थी . बेमन से पति चलने को उद्दत हुआ . रास्ते में गोलगप्पे के खोमचे को देखकर उसने पत्नी से गोलगप्पे खाने की शर्त बद दी . पत्नी को गोलगप्पे देख पंच सितारा होटल का खाना विस्मृत हो गया . गोलगप्पे खाने की होड़ लग गयी . बीस पच्चीस गोलगप्पे के बाद पति ने हाथ खड़े कर दिये . पत्नी ने पति से एक गोलगप्पे अधिक खाये . वह शर्त जीत गई . बिल आया 75/- . पत्नी जीत के जश्न में डूबी थी . पति कम निवेश से पत्नी की तृप्ति से अभिभूत था. दोनों मगन मन घर वापस लौट आये .
गोलगप्पा एक है , पर इसका नाम अनेक है . पश्चिम बंगाल में इसे फुचका , गुजरात में पकौड़ी , मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में गुपचुप , मुम्बई में पानी पुरी ,बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश में फुल्की व हरियाणा में इसे पानी बतासा कहते हैं . इस स्ट्रीट फूड की पैठ अब पंच सितारा होटलों में भी हो गयी है . हरेक विवाह या अन्य समारोह में गोलगप्पे का एक स्टाल जरूरी हो गया है . थोड़ा बहुत फेर बदल कर इससे कई अन्य और डिश भी तैयार किये जा चुके हैं .
गोलगप्पे का इतिहास कोई काफी पुराना नहीं है . यह आजादी के आस पास वजूद में आया है . आते हीं यह देश विदेश में छा गया है . इसका उद्गम स्थल बिहार का मधेसी इलाका है , जहां इसे फुल्की कहते हैं . गोलगप्पे में आलू स्मैश कर भरा जाता है . इसका खट्टा मीठा पानी बेहद स्वादिष्ट होता है .
कहा जाता है कि असल पैसा पानी का , गोलगप्पा घालू (मुफ्त ) का . इसमें हाई कैलोरी होती है, जो कि वजन कम करने वालों को माफिक नहीं आती . इसे लो कैलोरी का करने के लिए आलू की जगह अंकुरित अनाज व खट्टे मीठे पानी में चीनी की बजाय गुड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है.

ब्लड प्रेशर के मरीज सफेद नमक की जगह काला नमक ले सकते हैं .गोलगप्पा खाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं . यदि इसके पानी में हींग मिला हो तो यह एसिडिटी को भी ठीक कर सकता है .
सिम की तर्ज पर गुजरात के पोरबंदर इलाके में गोलगप्पे बेचने वाले जगदम्बा ने डेली व मंथली पैक स्कीम शुरू की है . डेली पैक के तहत आपको केवल 100/ – प्रति दिन व मंथली पैक के अंतर्गत 1000/- प्रति माह देना होगा . यह स्कीम अनलिमिटेड है . इस स्कीम को सोशल मीडिया पर ढेर सारे लाइक / कमेंट मिल रहे हैं . इसी तरह के स्कीम के बावत अन्य जगहों के गोलगप्पे वालों को भी सोचना चाहिए .

अंत में मुझे गोरखपुर की एक घटना याद आ रही है . मैंने गोल घर के पास की सड़क पर एक मोहतरमा को सड़क पार करते देखा . उनके पति इस पार निरीह , दीन हीन ,श्री हीन हो देख रहे थे . मैं भी उत्सुकता वश देखने लगा . कुछ और लोग भी दर्शक बन गये . सब सोच रहे थे कि वे विना बताए कहां जा रहीं हैं? मैडम को मंजिल मिली . वे एक गोलगप्पे वाले के पास जाकर खड़ी हो गयीं . पति की भी जान में जान आयी . उन्होंने स्कूटर एक तरफ खड़ा किया और मैडम की तरफ चल पड़े. मुझे ऐसे में परवीन शाकिर का एक शेर याद आ रहा था –
तेरी खूश्बू का पता करती है .
मुझ पे एहसान हवा करती है
– Er. S.D Ojha
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