हरी आंखों वाली अफगानी शरणार्थी लड़की शरबत गुल 1984 में अचानक चर्चा में आई जब उसकी तस्वीर नेशनल ज्योग्राफिक के कवर पेज पर छपी थी । ये तस्वीर युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में महिलाओं की बदहाली का चेहरा बनी और दुनियां भर में युद्ध की विभीषिका को लेकर चर्चा को जन्म दिया था।
कौन है हरी आंखों वाली लड़की ( Green Eyed Afgan Girl )
हरी आंखों वाली लड़की का नाम शरबत गुल (Sharbat Gula ) है । एक गरीब परिवार में जन्मी शरबत गुल उर्फ शरबत बीबी को स्कूल जाना तक नसीब नही हुआ। अफगानिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता के बीच 1984 में एक अफगानिस्तानी शरणार्थी शिविर में प्रसिद्ध फोटोग्राफर स्टीव मैक्करी को 12 साल की शरबत गुला मिली ।
दिखने में बेहद खूबसूरत इस लड़की की आंखे हरे रंग की थी । उन्होंने इस लड़की की एक तस्वीर ली जिसे दुनियां की जानी मानी मैगजीन नेशनल ज्योग्राफिक ने कवर पेज पर छापा । फोटोग्राफर स्टीव मैक्केरी ने इस लड़की को अफगानिस्तान की मोनालिसा बताया ।
दशक की सबसे चर्चित तस्वीर को बताया अफगान वॉर का चेहरा
शरबत गुल (Sharbat Gula) की 1985 की नेशनल ज्योग्राफिक (National Geographic cover page afghani girl) मैगजीन में छपी तस्वीर को इतनी प्रसिद्धि मिली कि इतिहास का सबसे प्रसिद्ध कवर तस्वीर बन गई. देखते ही देखते यह 1980 -90 के दशक की सबसे चर्चित तस्वीर बन गयी । तस्वीर ने अफगानिस्तान में महिलाओं की बदहाली पर चर्चा को जन्म दिया।
12 साल की इस लड़की की आंखों में तालिबान की दहशत दिखाई देती जो युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मारी मारी फिर रही थी ।
तस्वीर की हर तरफ चर्चा हुई पर कुछ समय बाद ही रहस्यमयी तरीक़े से हरी आंखों वाली लड़की गायब हो गयी ।
17 साल बाद 2002 में फिर मिली शरबत गुल
17 साल की खोज के बाद, फोटोग्राफर स्टीव मक्करी ने शरबत गुल को खोजने के प्रयास जारी रखे । आखिर 17 साल बाद साल 2002 में गुल एक सीमा के पास के अफगान गांव में मिली । शादी करके पति और बच्चों के साथ जीवन बिता रही शरबत गुला की उस वक्त तीन बेटियों की मां बन चुकी थीं । उनके पति बेकर का काम कर रहे थे.
2014 में पाकिस्तान में मिली शरबत गुल
अफगानिस्तान में सालों से चल रही राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध के बीच जान बचाने को दर बदर भटक रही शरबत गुल 2014 में दिखी । इस बार वो पाकिस्तान में थी । शरण के लिए भटक रही गुल के साथ उसके बच्चे भी थे । आरोप लगा की वो नकली पहचान पत्र के साथ पाकिस्तान में रह रही थी । दरअसल वो अफगान युद्ध के समय पकिस्तान आयी और वहीँ शरणार्थी शिविर में रुक गयी। जिसके बाद वो फिर छिप गयी और 2 साल दिखाई नही दी ।
2016 में गिरफ्तारी के बाद फिर लौटी अफगानिस्तान
2 साल बाद पाकिस्तान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनपर नकली कागजो के साथ पाकिस्तान में रहने का आरोप लगा । उन्हें 15 दिन जेल और एक लाख दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया । सजा के बाद स्थानीय अदालत ने उन्हें वापिस अफगानिस्तान में भेज देने का आदेश दिया ।
पाकिस्तान के कुछ अधिकारियों ने उसे 4 बच्चों के साथ 40 मील दूर उत्तर पश्चिम में तोरखम सीमा के पास अफगान अधिकारियों को सौप दिया । उन्हें काबुल ले जाया गया । तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनकी पत्नी ने शरबत गुल से मुलाकात की और उन्हें सुरक्षित जगह देने का वादा किया । जिसके बाद एक बार फिर शरबत गुल अपनी मातृभूमि अफगानिस्तान में बस गयी ।
एक इंटरव्यू में गुल ने बताया था कि 1979 में सोवियत हमले के 4-5 साल बाद वो पहली बार पाकिस्तान बॉर्डर पर रिफ्यूजी कैम्प में गयी थी।
तालिबान के कब्जे के बाद अब फिर छोड़ा देश
2021 में अमेरिकी सेना वापसी के बाद तालिबान ने फिर अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया । महिलाओं और बच्चों के सामने एक बार फिर वही संकट है । तालिबान के डर से शरबत गुल ने इटली सरकार से शरण देने की गुहार लगाई । इटली सरकार ने हाल ही में बयान जारी करके बताया है कि अन्य शरणार्थियों के साथ हरी आंखों वाली लड़की को भी बाहर निकाल लिया गया है।
49 साल की हो गई है शरबत गुल
शरबत गुल के पति का निधन हो चुका है । अब वह 49 साल की है और 4 बच्चों की मां है । हेपेटाइटिस पीड़ित हो चुकी शरबत को इटली सरकार ने रहने के लिए घर दिया है और उसके जीवन-यापन के लिये सुविधाएं दी है। उसके बच्चे युद्ध की विभीषिका को भुला सके इसके लिए इटली सरकार उनके लिए काउंसलिंग और शिक्षा की व्यस्था भी कर रही है ।
उम्मीद है 37 साल से सुरक्षित आशियाने की तलाश में दर बदर भटक रही हरी आंखों वाली इस लड़की को अब और नही भटकना पड़ेगा । पर दुनियां के सामने एक बड़ा सवाल है उन लाखों खूबसूरत हरी आंखों वाले अफगान बच्चों को कब तालिबान से मुक्ति मिलेगी ! कब वे शांति ,सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जी पाएंगे ?
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