बॉर्डर जैसी यादगार फ़िल्म देने वाले निर्देशक जेपी दत्ता अपनी पहली फ़िल्म बना रहे थे। 1985 में आई गुलामी उनकी पहली फ़िल्म थी जिसमें उन्होंने आधे दर्जन से भी ज्यादा सितारों को लिया था। जहां एक तरफ फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह जैसे परिपक्व अभिनेता थे वहीं धर्मेंद्र जैसे सुपरस्टार भी। स्मिता पाटिल और मिथुन के साथ कुलभूषण खरबंदा, रीना रॉय, अनिता राज और रजा मुराद भी थे। यह फ़िल्म राजस्थान के फतेहपुर इलाके में शूट किया गया था। शूटिंग के दौरान ऐसा हादसा हुआ जो किसी ने सोचा तक नही था।
हेलीकॉप्टर से वाइड शॉट लेना चाहते थे निर्देशक
1976 में आई मृगया मिथुन दा की पहली फ़िल्म थी। उस फिल्म के बाद मिथुन ने आम आदमी के किरदारों से लोगों के बीच अपनी अलग छवि बना ली थी। वे आम जनों के बीच काफी फेमस हो चुके थे। गुलामी के एक सीन में डाकू बने मिथुन को कुछ पुलिसवाले गिरफ्तार करके ले जा रहे होते हैं। पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में थे नसीर साहब। रेगिस्तान इलाका होने के कारण सभी पुलिस वाले और मिथुन दा घोड़े पर थे। जे पी दत्ता अपने फ़िल्म के इस सीन को बड़े पैमाने पर शूट करने वाले थे। तभी मिथुन को छुड़ाने के लिए धर्मेंद्र अपने लोगों के साथ घोड़ों में आने वाले होते हैं।
गाँव वालों के बीच किसी ने अफवाह फैला दी कि मिथुन गिरफ्तार हो गए
जे पी दत्ता इस सीन को वाइड एंगल में शूट करना चाह रहे थे। उस दौरान ड्रोन तो हुआ नही करते थे। उन्होंने हेलीकॉप्टर मँगाया जिसमें कैमरा रखकर ऊपर से वाइड एंगल में इस सीन को शूट करने का प्लान बनाया था। शूट शुरू हुआ और मिथुन को लेकर पुलिस वाले जैसे ही आगे बढ़े, तो वहाँ कुछ गांव वाले गाय-बकरी चरा रहे थे। किसी ने अफवाह फैला दी कि मिथुन को पुलिस वाले गिरफ्तार करके ले जा रहे हैं। लोगों का बस इतना सुनना हुआ और वे दौड़कर मिथुन को बचाने आ गए। मिथुन के साथ अन्य कलाकार समझ नही पाए कि आखिर इतने लोग क्यों आ रहे हैं। वे उन्हें कुछ समझाते इससे पहले ही गाँव वालों ने पुलिस वालों को घेर लिया और उन्हें पीटना शुरू कर दिया।
मिथुन दा को यह बताने का मौका ही नही मिला कि शूटिंग चल रही है
मिथुन और नसीर साहब समझाने में लगे रहे लेकिन गांव वालों को उनकी बात ज़रा भी समझ नही आई। उन्होंने मिथुन को दूर लेजाकर बैठा दिया। उस दौरान फोन या ऐसा कुछ तो होता नही था कि तुरंत ही टीम को सूचना दी जाए। हेलीकॉप्टर में बैठे कैमेरामैन को सब दिख रहा था लेकिन वे भी कुछ नही कर पा रहे थे। कुछ मिनटों के बाद फ़िल्म की अन्य टीम वहां पहुंची और गाँव वालों को समझाया तब तक बात बहुत बिगड़ चुकी थी। पुलिस के गेटअप में जितने भी एक्टर थे, उन सबकी जमकर पिटाई हो चुकी थी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
यह मिथुन के प्रति गांव वालों का इज्जत और प्रेम ही था। उस दिन मिथुन दा की स्टारडम के कारण फ़िल्म के निर्देशक और निर्माता को घाटा हो गया था। हेलीकॉप्टर को एक दिन के लिए लाया गया था। उसका पूरा किराया वेस्ट हो गया। मिथुन दा फल लेकर उन सभी कलाकारों से मिलने हॉस्पिटल पहुंचे। जे पी दत्ता ने उस सीन को दूसरे तरीके से शूट किया। जिस वाइड एंगल की चाह वे रख रहे थे, वैसा शॉट उन्हें नही मिल पाया।