कई बार ऐसी घटना घट जाती है जिसे देखकर एकबारगी तो यकीन करना मुश्किल हो जाता है। ऐसी ही एक घटना ग्वालियर से सामने आ रही है जब एक पुलिस अधिकारी ने एक मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति को देखकर गाड़ी रोक दी । थोड़ी देर में जब जानकारी जुटाई तो वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए ।
किसी के लिए भी यह विश्वास करना बड़ा मुश्किल था कि जो व्यक्ति उस वक्त भिखारियों जैसी स्थिति में उनके सामने है वह कोई और नही बल्कि DSP रत्नेश सिंह तोमर के ही 1999 के बैचमेट मनीष मिश्रा है ।

DSP रत्नेश सिंह तोमर अपने एक साथी के साथ झांसी रोड से गुजर रहे थे। वही रास्ते मे उन्हें एक मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति दिखाई दिया जो सर्दी से ठिठुर रहा था। मदद करने के मकसद से उन्होंने गाड़ी रोक दी । उसके बाद जब बात करने की कोशिश की तो सच्चाई सामने आने पर हैरान रह गए । यह व्यक्ति उनका बैचमेट मनीष मिश्रा है ।

मनीष मिश्रा 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हुए थे । मनीष मिश्रा तेज तर्रार अफसर थे और उनकी गिनती सबसे तेज निशानेबाज अफसरों में होती थी। मनीष मिश्रा के परिवार में सभी उच्च् पदों पर तैनात है । 2005 तक मनीष मिश्रा ठीक ठाक थे लेकिन अचानक हालात कुछ ऐसे हुए कि उनकी मानसिक स्थिति खराब हो गयी । और पिछले 9 -10 सालों से मानसिक विक्षिप्तों की तरह सड़को पर रहने को मजबूर है। खाने पीने के लिए भी वो दूसरों की दया पर निर्भर है ।

परिवार ने उनका इलाज कराने का भी प्रयास किया लेकिन वे गायब हो गए। और परिवार से संपर्क टूट गया। उनकी पत्नी जोकि एक अधिकारी है , ने भी तलाक ले लिया।
मामले की पूरी जानकारी के बाद पुलिसकर्मियों ने मनीष मिश्रा के बाल काटकर और कपड़े पहनाकर एक संस्था के हवाले कर दिया जोकि मानसिक अस्वस्थ रोगियों के लिए काम करती है । फिलहाल मनीष मिश्रा उसी संस्था में एडमिट है।

बता दे कि मानसिक स्वास्थ्य रोगियों की संख्या पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है । WHO ( वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ) की एक रिपोर्ट के अनुसार 7.5 प्रतिशत से ज्यादा लोग गंभीर मानसिक बीमारियों से जूझ रहे है । इनमे से कुछ गंभीर रूप से ग्रसित होने के बाद सड़को पर भटकने को मजबूर है।