Saturday, September 14, 2024

कभी चायवाला तो कभी सन्यासी, आखिर कैसे मोदी ने तय किया प्रधानमंत्री तक का सफर?

भारतीय राजनीति के इतिहास में अगर हम झांके तो अनेको नाम हमारे मन और हमारी आत्मा पर कब्ज़ा कर लेते हैं, जिनको अपनी पसंद के अनुसार हम अपना आदर्श भी मानते हैं। इसी श्रेणी में एक नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी का भी है। आज़ादी के तीन सालों के उपरांत जन्म लेने वाले नरेंद्र बचपन से ही कुशल व्यक्तित्व के धनी रहे। गुजरात के छोटे से गांव वडनगर से ताल्लुक रखने वाले मोदी ने अपनी राजनीतिक यात्रा का शुभारंभ साबरमती के तट से किया था। उनकी इस यात्रा के दौरान कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन मोदी ने कभी हार नहीं मानी और डटकर उनका सामना किया।

pm modi

8 की उम्र में बेचते थे चाय

राजनीतिक दृष्टिकोण से मोदी के जीवन और क्रियाकलापों की व्याख्या की जाए तो नज़र आता है कि महज़ 8 साल की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी कि आरएसएस का दामन थामा था। उस वक्त साधारण बालक की तरह नरेंद्र भी अपने पिता की चाय की दुकान पर सहायता किया करते थे।

शिक्षा के क्षेत्र में मोदी ने कुछ खास ग्रहण नहीं किया परंतु स्वशिक्षा उनका अहम लक्ष्य रहा। क्या आपको पता है कि मोदी स्वामी विवेकानंद और हनुमान जी के उपासक हैं? जी, नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने भाषणों में स्वामी विवेकानंद और हनुमान जी का जिक्र किया है। उनका मानना है कि स्वामित्व से बड़ा कोई धर्म नहीं।

pm modi

1970 में RSS से जुड़े

दरअसल, नरेंद्र मोदी स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही वैराग्य की खोज में निकल गए थे। कई वर्षों तक भारत का भ्रमण करने के बाद उन्होंने हिमालय जाकर भगवान शिव की उपासना भी करी।

लेकिन 1970 में उन्हें उनका गांव पुकारने लगा जिसके बाद उन्होंने वैराग्य त्याग दिया और चले आए अहमदाबाद। यहां पहुंचकर एक बार फिर वे आरएसएस से जुड़े और पूर्णकालिक अध्यक्ष बने। इस दौरान उन्होंने गुजरात के कई हिस्सों में आरएसएस के कैंप लगाए और संघ का प्रचार किया। धीरे-धीरे उनका रुख राजीनित की ओर बढ़ता चला गया। सत्ता के माध्यम से गरीबों की सेवा करने की उनकी चाहत ने सन 1985 में उनका दामन भारतीय जनता पार्टी से जोड़ दिया।

भाजपा में शामिल होकर उन्होंने कई पद हांसिल किए। साल 2001 में गुजरात में आए भूकंप ने सत्ता का ऐसा उलटफेर किया कि केशूभाई पटेल से नरेंद्र मोदी कब मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठ गए पता ही नहीं चला।

pm modi

सीएम से बने पीएम

देखते ही देखते 14 साल बीत गए और नरेंद्र मोदी गुजरात की सत्ता पर काबिज़ रहे। साल 2014 में भाजपा ने मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। देखते ही देखते 5 साल का कार्यकाल पूरा हुआ और फिर आए 2019 के चुनाव। कयास यह लगाए जा रहे थे कि इस बार मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। लेकिन भारत की जनता पर नरेंद्र मोदी का जादू ऐसा चला कि भाजपा ने 303 सीटें हांसिल की और सत्ता के शिखर पर विराजमान हुई।

pm modi

ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं मोदी

मोदी ने अपने इस प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान बहुत से ऐसे कार्य किए जिनका उनके विरोधी दलों ने भरपूर विरोध किया लेकिन मोदी ने उन्हें तवज्जो ही नहीं दी और अपने अनेकों फैसलों से विरोधियों के दांत खट्टे करते रहे फिर चाहें वो नोटबंदी हो या धारा 370, अपने ऐतिहासिक फैसलों के लिए पहचाने जाने वाले मोदी विश्व के कई बड़े राजनेताओं के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं। उनकी विदेश नीति ने भारत का नाम अन्य देशों में खूब रौशन किया है।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here