Tuesday, January 21, 2025

Panchayat Season 2: “हम महीनों तक गांव में शूट करते रहे, लेकिन एक बच्चा तक शूट देखने नही आया।”

क्या आपने कभी फ़िल्म की शूटिंग देखी है? भला कौन इंसान यह नही देखना चाहेगा। जब गाँव- शहरों में फिल्मों के सेट लगते हैं और शूटिंग के लिए सितारे पहुँचते हैं तो यह देखने के लिए लोग काम-धंधा छोड़कर पहुँच जाते हैं। अगर मैं कहूँ कि एक गाँव में चर्चित वेब सीरीज की शूटिंग हुई और गाँव का एक आदमी भी शूटिंग देखने नही गया।

आपको सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन यह सत्य है। यहाँ बात हो रही है अमेजॉन में हालिया रिलीज हुई ‘ पंचायत वेब सीरीज की।

पंचायत वेब सीरीज का दूसरा सीजन काफी पसंद किया जा रहा है

पंचायत वेब सीरीज की कहानी एक इंजीनियर की है जो पंचायत सचिव बनकर उत्तर प्रदेश के छोटे से गाँव फुलेरा आता है। उस गाँव में वह क्या देखता है और उसके साथ क्या-क्या होता है इसे अलग-अलग एपिसोड्स में दिखाया गया है। बीते शुक्रवार को ही इस सीरीज का दूसरा सीजन आया है जो दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है। इस सीरीज की ख़ासियत इसके किरदार, ग्रामीण परिवेश, वास्तविकता और पटकथा में छिपी मासूमियत है। आम जन इस सीरीज को खुद से जोड़ पाते हैं।

पंचायत वेब सीरीज panchayat season 2

सीरीज में टीवीएफ के जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुबीर यादव और फैसल मलिक प्रमुख किरदार में हैं। फैसल मलिक गैंग्स ऑफ वासेपुर से अभिनय का अनुभव लेकर आये हैं और इस सीरीज में उप-प्रधान प्रह्लाद पांडेय का किरदार निभा रहे हैं।

पंचायत से जुड़ी कुछ रोचक बातें

फैसल मलिक ने एक साक्षात्कार में शूटिंग से संबंधित कई रोचक बातें बताई थी। उन्होंने बताया कि पंचायत वेब सीरीज की कहानी उत्तर प्रदेश की है लेकिन इसे मध्यप्रदेश में शूट किया गया है। करीबन डेढ़-दो सौ गाँव घूमने के बाद मेकर्स ने भोपाल से लगे सिहोर के महोड़िया नामक गाँव में इसकी शूटिंग शुरू की।

पंचायत वेब सीरीज Panchayat web series season 2

कमाल की बात ये है कि पंचायत वेब सीरीज में जिस घर को प्रधान जी का घर दिखाया गया है वह असल में ही प्रधान का घर है। सीरीज के अधिकतर सीन पंचायत ऑफिस के हैं जिन्हें असली पंचायत ऑफिस में ही फिल्माया गया है।

शूटिंग चलती रहती थी लेकिन गांव वालों ने इसमें उत्साह नही दिखाया

फैसल मलिक बताते हैं कि गांव में महीनों तक शूटिंग चलती रही लेकिन गाँव वाले शूटिंग देखने नही आते थे। ग्रामीण अपने काम में लगे रहते थे और अगर गुजरते हुए उन्हें शूटिंग दिख जाती तो ‘ठीक है! लगे रहो!” प्रतिक्रिया देकर अपने रास्ते निकल पड़ते थे। मेकर्स को गाँव वालों ने किसी भी तरीके से ना ही परेशान किया और ना ही शूट में कोई अड़चन डाली।

फैसल मलिक को यह देखकर ताज़्जुब हुआ कि आखिर शूट देखने के लिए तो लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है और यहाँ गांव का एक बच्चा तक शूट लोकेशन पर नही आता था। शूटिंग के लिए कलाकारों को सुबह 6 बजे ही तैयार होकर लोकेशन पर पहुंचना होता था। जहाँ सभी लोग एक-दूसरे के साथ मजाक मस्ती करते हुए शूट करते थे।

युवाओं के बीच काफ़ी प्रसिद्ध है टीवीएफ

टीवीएफ ने पहले युवाओं को टारगेट करके शहरों वाली ज़िंदगी दिखाई। उनके जोक्स सिर्फ युवाओं को समझ आते थे। फिर ‘ये मेरी फैमिली’ और ‘गुल्लक’ सीरीज के माध्यम से वे छोटे शहरों की कहानियाँ कहने लगे। फिर पंचायत के माध्यम से वे गाँव-देहात के किस्से कहने लगे।

फैसल मलिक ने पहली दफा स्क्रिप्ट पढ़कर यही कहा कि ऐसी सीरीज कौन देखेगा। आजकल तो एक्शन, लड़ाई,  सस्पेंस,  डिमांड पर है तो फिर इतने शुध्द और साफ-सुथरी कहानी कौन देखेगा। लेकिन जब पहला सीजन रिलीज हुआ तो इसके कामयाबी के झंडे गाड़ दिए। इस सीरीज ने सिखाया कि दिल से दिल जोड़ लो तो हर कंटेंट चलेगा।

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