जयपुर। राजस्थान से 2006 में शुरू हुई गुर्जर आरक्षण आंदोलन की चिंगारी एक बार फिर से सुलग सकती हैं। आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर समाज ने एक बार फिर चक्का जाम करने का ऐलान किया हैं। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला ने प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि उनकी मांगें पूरी नहीं की गई तो 1 नवंबर को आंदोलन करेंगे। आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर समाज के लोग राजस्थान सरकार से नाराज चल रहे हैं। विरोध में समाज के लोगों ने भरतपुर जिले के पीलूपुरा क्षेत्र स्थित अड्डा गांव में एक महापंचायत की।
सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में समाज के लोग करीब 14 साल से आंदोलनरत हैं। इस बीच कई बार आंदोलन हो चुके हैं। राजस्थान सरकार से आरक्षण के मुद्दे पर नाराज चल रहे किरोड़ी सिंह बैसला के नेतृत्व में शनिवार को पीलूपुरा में महापंचायत की गई। महापंचायत के दौरान गुर्जर आरक्षण समिति के मुखिया कर्नल किरोड़ी बैंसला ने सरकार को चेतावनी देते हुए ऐलान किया है कि आरक्षण को लेकर 14 दिनों में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया तो एक नवंबर से राजस्थान में चक्का जाम होगा। हालांकि, फिलहाल कर्नल ने 14 दिन का समय सरकार को फसल बुवाई की वजह से दिया है।
किरोड़ी सिंह बैसला गुर्जर समाज प्रक्रियाधीन भर्तियों में अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की मांग राज्य सरकार से कई बार कर चुके है। आरक्षण की मांग को लेकर पहले हुए आंदोलन के दौरान मारे गए समाज के लोगों के परिजनों को मुआवजा की मांग कर चुके है। इसके अलावा मृतकों के परिजनों को नौकरी, दर्ज मुकदमों को वापस लेने समेत अन्य मांगों को लेकर सरकार के साथ कई मीटिंग भी हो चुकी हैं। उनका कहना है कि सरकार ढिलाई बरत रही है। जिसकी वजह से समाज के लोगों में रोष बढ़ता जा रहा हैं। किरोड़ी सिंह बैसला का कहना है कि 1 नवंबर तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गई तो समाज आंदोलन करेगा।
पहले भी हो चुके हैं आंदोलन
गुर्जर आरक्षण आंदोलन की चिंगारी 2006 में पहली बार भड़की थी। उसके बाद से अभी तक जारी हैं। मई 2007 में दूसरी पीपलखेड़ा पाटोली से होकर गुजरने वाले हाईवे को जाम किया गया। इस दौरान जमकर बवाल हुआ और 28 लोग मारे गए। बाद में 23 मार्च 2008 को भरतपुर के बयाना में पीलुकापुरा ट्रैक पर ट्रेनें रोकी गई। 24 दिसम्बर 2010, 21 मई 2015 के अलावा 2019 तक करीब 6 बार गुंर्जर समाज के लोग आंदोलनरत हो चुके हैं।