Wednesday, September 11, 2024

जब पति की ज़िद के आगे हार गई थीं निरुपा रॉय, किया था फिल्मों में काम

निरुपा रॉय एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही हर किसी को मां की याद आ जाती है। उनके भीतर हर किसी को अपनी मां का चेहरा नज़र आता है। मां के किरदार को अनंत उचाइयों तक पहुंचाने वाली निरुपा रॉय ने भले ही दुनिया को अलविदा कह दिया हो लेकिन उनके द्वारा निभाए हुए किरदार आज भी जीवंत हैं। उनकी जबरदस्त एक्टिंग के लोग आज भी उतने ही दीवाने हैं जितने की उस दौर में हुआ करते थे।

निरुपा का असली नाम

4 जनवरी 1931 को गुजरात के बलसाड में जन्म लेने वाली निरुपा का असली नाम कोकिला किशोरचंद्र बलसारा था। गौर वर्ण होने के कारण उन्हें ‘धोरी चकली’ कहकर भी पुकारा जाता था। उनके पिता रेलवे कर्मचारी थे। आर्थिक संकट छाया रहता था, यही वजह थी कि कोकिला के पिता को उनकी शादी की चिंता अक्सर सताया करती थी।

15 साल की उम्र में हुई शादी

बता दें, महज़ 15 साल की उम्र में ही उनके पिता ने कोकिला की शादी कमल रॉय नाम के एक शख्स से करवा दी। कमल मुंबई के राशनिंग विभाग में कर्मचारी थे, इसलिए शादी के बाद कोकिला को लेकर मुंबई शिफ्ट हो गईं। हंसते-खेलते शादी के कुछ साल बीत गए लेकिन फिर वो दिन आया जिसने पूरी तरह कोकिला की जिंदगी को बदल दिया।

पति के शौक ने बदली कोकिला की जिंदगी

दरअसल, कमल को बचपन से ही फिल्मों का शौक था। वे फिल्मों में एक्टिंग करना चाहते थे लेकिन उन्हें कभी मौका नहीं मिला। इस बीच उन्हें गुजराती अखबार में एक इश्तेहार दिखा। इस ऐड में रनकदेवी नामक फिल्म के लिए नए चेहरों की तलाश की बात लिखी थी। इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक बी एम व्यास थे। कमल अपनी पत्नी के साथ उनसे जाकर मिले और एक मौका मांगा। लेकिन व्यास ने उन्हें यहकर रिजेक्ट कर दिया कि आपका व्यक्तित्व एक्टर बनने के लायक नहीं है। लेकिन उन्होंने कमल के सामने एक पेशकश की अगर वो चाहें तो उनकी बीवी को वे फिल्मों में काम दिला सकते हैं।

‘काम पसंद ना आने पर लौट आउंगी मैं’

व्यास की यह बात सुनकर कमल को अपना सपना साकार होता नज़र आया, उन्होंने झट से हां कर दी। लेकिन मुसीबत यह थी कि कोकिला को इस बात के लिए कैसे मनाया जाए। खैर दोनों जब घर पहुंचे तो कमल ने कोकिला को इस बात की जानकारी दी कि कल से वे फिल्म के सेट पर काम करने जाएंगी। जिसपर कोकिला ने साफ इंकार कर दिया। कमल के बार-बार मनाने पर जैसे-तैसे वे तैयार हुईं, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि अगर उन्हें काम पसंद नहीं आया तो वे उल्टे पांव लौट आएंगी। जिसपर कमल राज़ी हो गए।

150 रुपये प्रतिमाह की नौकरी

फिल्म रनकदेवी से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाली कोकिला को उस वक्त 150 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से दिया जाता था। इस फिल्म ने ही उन्हें कोकिला से निरुपा में तब्दील कर दिया। उनके द्वारा की गई जबरदस्त एक्टिंग ने दर्शकों का मन मोह लिया था।

फिल्म इंडस्ट्री की तरफ नहीं था कोई रुझान

मालूम हो, अपने फिल्मी करियर के विषय में चर्चा करते हुए निरुपा रॉय ने एक इंटर्व्यू में इस बात का खुलासा किया था कि वे अपने पति की इच्छापूर्ति के लिए फिल्म इंडस्ट्री में आई हैं। उन्होंने कहा था कि इस लाइन में मैं अपने पति कमल रॉय के शौक के कारण अचानक आ गई थी।

300 से ज्यादा फिल्मों में किया काम

क्वीन ऑफ द मिस्ट्री, ट्रेजडी क्वीन ना जाने कितने ही नामों से प्रसिद्ध निरुपा रॉय ने अपने फिल्मी सफर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया। ज्यादातर फिल्मों में उन्हें मां के रोल में देखा गया। यही कारण है कि उन्हें आज भी फिल्म इंडस्ट्री की मां कहा जाता है।

मां और देवी के रुप में बनाई पहचान

हालांकि, मां से पहले उन्हें लोग देवी नज़रों से भी देखते थे। दरअसल, साल 1951 में आई फिल्म हर हर महादेव में निरुपा रॉय को मां पार्वती के किरदार में देखा गया था। यही वजह थी कि उनकी पहचान देवी के रुप में बन गई थी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में देवी का किरदार निभाया। बाद में उन्होंने अमिताभ बच्चन से लेकर शत्रुघन सिन्हा तक की मां का रोल प्ले करके फिल्म इंडस्ट्री में क्रांति लाने का काम किया।

बीमारी के चलते हुआ निधन

नौकरी, आंचल, खून पसीना, मुकद्दर का सिकंदर, अमर अकबर एंथोनी, सुहाग, इंकलाब, गिरफ्तार, मर्द, गंगा-जमुना-सरस्वती जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम करके देश-दुनिया में पहचान बनाने वाली निरुपा रॉय को तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का ‘फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार’ से नवाज़ा गया।

गौरतलब है, समाज में मां की अहमियत और रुत्बे को बरकरार रखने में निरुपा रॉय ने अहम भूमिका निभाई। 13 अक्टूबर 2004 को उन्होंने लंबी बीमारी से जूझते हुए भले ही दुनिया को अलविदा कह दिया हो लेकिन उनके द्वारा दी गई सीख आज भी लोगों के ज़हन में बसी हुई है।

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