मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम दिल्ली में रहकर स्टडी कर रहे बिहार के एक छात्र नीलोत्पल मृणाल का ये ख़त वायरल हो रहा है ! आप भी पढ़िए नितीश कुमार से उनकी ये व्यथा –
आदरणीय नीतीश कुमार जी,
सर मूल रूप से मैँ,संग्रामपुर, बिहार से हुँ। वर्षोँ से बाहर रहता हूँ। एक समय था जब दिल्ली जैसे महानगर मेँ मुझे बिहारी होने के कारण कमरा नहीँ मिला था।”बिहारी” बोल देने भर से लगता था किसी विचित्र प्राणी को देख लिया है इन लोगोँ ने।”अबे साले बिहारी” का संबोधन तो उदित नारायण के गीत से ज्यादा फेमस हो गया था।ऐसे मेँ सर आप जब बिहार के CM बने थे,तो आपका ये एहसान कत्तई ना भूल पायेँगे कि आपने दशकोँ से बिहार के दामन पर जमे काई को रगड़ के साफ कर दिया।अचानक से बिहार लालु जी के जुरासिक युग से निकल विकास युग मेँ घुस गया।अब बिहार विकास का नाम हो गया और आप सुशासन बाबू बन कर उभरे थे देश मेँ।
एक बार किसी परीक्षा मेँ एक प्रश्न आया था कि,”वर्तमान वित्तीय वर्ष मेँ निम्न मेँ किस राज्य का विकास दर ज्यादा है”।
हम उत्तर दिये”गुजरात”।
बाद मेँ एक ने सही उत्तर बताते कहा चला”अरे महराज बिहार होगा”। मेरा उत्तर गलत हो गया था पर सीना चौड़ा हो गया था।
सर अब एक बार फिर से आप ही मुखिया हैँ राज के,और एक बार फिर ये बिहार है। सर,अचानक क्या हो गया है बिहार को ? क्या हो गया उस नीतीश कुमार को ? सर,थावेँ वाली माई के किरिया कहते हैँ,इधर कुछ दिन से एकदम फिर वहीँ पहुँचा जैसा लग रहा है बिहार।एतना डिमोरलाईज फील हो रहा है,कि क्या कहेँ अब।रूम से निकलते हैँ कि लोग बोलता है,”देखे बिहार का हाल?गोली चल रहा है।गोबरछाप टॉपर हो रहा है।कहाँ गया सुशासन? “सर,सुन के स्वाभिमान को चोट पहुँच रहा है,समझ नहीँ आता कैसे डिफेँड करेँ अब अपने बिहार को।लास्ट मेँ थेथरई पर उतर आये हैँ हम।जैसे कोई बोलता है कि,बिहार मेँ कानून व्यवस्था नही है,पटना मेँ अराजकता है तो हम एकदम निर्लज्ज हो बोलते हैँ.”
इतिहास पढ़िए,दुनिया का पहला सुगठित प्रशासनिक ढाँचा हमी ने दिया जब मौर्य काल मेँ 5-5सदस्योँ की 6 समितियाँ पाटलीपुत्र का प्रशासन चलाती थीँ”। कोई बोला”जंगलराज है बिहार मेँ”। हम थेथर हो के बोले”पर्यावरण बचाने के इस दौर मेँ जंगल हर राज्य मेँ होना चाहिए,आप भी लाईए जंगलराज”। एक ने कह दिया था”आपके यहाँ वंशवाद है। छीः जो शपथ ना पढ़ सका वो मंत्री है”। पर मैँने झट भरपूर बेशर्मी से काउंटर किया”देखिये दुनिया सबसे पुराणा लोकतंत्र और गणतंत्र हमारा ही है। वैशाली का गणतंत्र जानते ही होँगे।और कोई वंशवाद नहीँ है।बृहदरथ को काट के पुष्पमित्र आया था मगध की गद्दी पर फेर उसके पोता को निपटा कण्व आया। जिसमेँ दम है वो बनता है वहाँ मंत्री”।
अभी कल टटका टटकी मामला पर सब घेरा हमको”क्या नीलोत्पल भाई,आपके यहाँ तो टॉपर को अपने विषय तक का पता नहीँ,कैसा शिक्षा प्रणाली है”। हम सारे लाज लिहाज को ताखा पर रख के,एकदम बेहया हो के डिफेँड करने लगे अपने बिहार के शैक्षणिक गौरव का,हम बोले”देखिये एक या दो ठो रिजल्ट से मत आँकिये बिहार को।हमने बुद्ध और महावीर जैसा टॉपर और ज्ञानी भी दिया है दुनिया को,और वो भी पेड़ के नीचे बिठा पढ़ा के दिया तब तो स्कूल भी नय था। आज तो एतना डबलप इंफ्रास्टकचर भी है मर्दे।हमने राजेँद्र प्रसाद जैसा छात्र दिया जिनके बारे मेँ कहा गया कि,एग्जामिन इज बेटर देन एग्जामनर महराज। वशिष्ठ बाबू जैसा गणित का जादुगर पैदा किया भले आज वो भुखे पागल हो मर गये शायद। ह मने हाल ही मेँ तथागत तुलसी जैसा छोकरा दिया जो सबसे कम उम्र का रिकार्डधारी छात्र है।मर्दे जब दिल्ली बसा न था और ना IIT था तब हमारे यहाँ इंटरनेशनल लेवल का नालंदा विश्वविद्यालय था”।
सर,ये सब सुना मैँ लोगोँ को चुप करा देता हूँ.लोग मुझे पागल समझ पिँड छुड़ा निकल लेते हैँ। मैँ फिर सोचता हुँ कि आखिर कितना दिन ये इतिहास का किस्सा ठेल ठेल थेथरई बतियाऊँगा।लोग पहले बिहारी बोलते थे अब पगला बिहारी बोलेँगे।
सर,कुछ करिये। आईए पुराने वाले फार्म मेँ। माना कि,एक तो आपके कपार पर अब दू ठो विक्रम बेताल भी बैठा है।ऊपर से एक भयंकर जखबाबा का साया है।बिना वहाँ गाँजा,धुप,बताशा चढ़ाये तो फाईल का पट नहीँ ही खुलता होगा।लेकिन सर थोड़ा झाड़ फूँक करवाईए अपना।चलिए माना कि आप पुरे नहीँ,पर थोड़ा तो “मुख्यमंत्री” होँगे ही। देखिये सर,हम अप्रवासी बिहारी अपने बिहार की छवि के लिए कितना कुछ सुधार किये।अब हम खैनी नहीँ खाते।जिसको तिसको गरियाते लड़ते नहीँ। टाईम पे मकान किराया दे देते हैँ। जम कर पढ़ते हैँ। कट्टा पिस्टल छोड़ कलम चला रहे हैँ।IAS से लेकर मल्टी नेशनल कँपनी सब जगह छाये हैँ।अंग्रेजियो बोलने लगे हैँ।शर्ट पैँट के अंदर कर पहनने लगे हैँ।चम्मच से दाल भात खाने लगे हैँ।बस पर लटकते नहीँ,कार से चलते हैँ।किसी भी चीज का लाईन मेँ डिसीप्लीन से खड़ा हो टिकट लेते हैँ।साऊथ इंडियन और चायनीज भी खाने लगे हैँ।
मतलब हमने एक नया और शानदार बिहार गढ़ दिया है।पर जब घर से ही गड़बड़ होगा तो फिर क्या फायदा हमारे इतने बदलाव का।हम सब पुरी दुनिया मेँ बिहार को सूरज सा रौशन कर रहे छितरे हुए,छाये हुए और आप बस लालटेन धर के घर ही अँधार किये बैठे हैँ।सर,भेपर जलाईए,चमकाईए बिहार। अब आपके दुआर पर हो रहे कांड का दाग सारी दुनिया मेँ फैले बिहारी पर नहीँ लगना चाहिए न।हमारी क्या गलती?बिहारी कल भी हीरो था,आज भी हीरो है।आर्यभट्ट ने जो चाँद सितारा देख के शुरूआत की थी वो अब चाँद तारा छुने तक पहुँच गया है।बिहार भी आपको देख रहा है,वो भी पुरे होश हवास मेँ।क्योँकि अब दारू भी नहीँ पी है कि आदमी को बुड़बक बनाया जा सके और आप खुद ही बंद भी कराये हैँ दारू।
सो सर,हम बिहारी बाहर सँभाले हुए हैँ।आप घर तो सँभालिए।और एक बात लास्ट मेँ,ये BPSC का मेँस किस मुहुर्त मेँ ले रहे हैँ आप?संग संग IAS का भी पीटी है।सर,इतना बड़ा सपना होता है IAS,इतना साल का तैयारी होता है लड़को का,इसको मत खराब करिये BPSC से टकरा के।जा के लालू जी को भी कनविँस करिये कि परीक्षा टल जाय IAS तक।उनको कहिये कि,उनके बच्चे का तो बन गया कैरियर,अब बाकि बिहारी बच्चे का भी सोचेँ जरा।और हाँ सर,फिर से नीतीश कुमार बनिये आप।
बाकि बात पटना मेँ सामना सामनी मिल के करेँगे।आप घर के मालिक हैँ,आप से तो मिलिए सकते हैँ।शुभकामना आपको।जय हो। —
-नीलोत्पल मृणाल
नीलोत्पल मृणाल एक बेहतरीन लेखक होने के साथ साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है ।दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तेयारी करने वाले छात्रो की कहानियों के ऊपर एक किताब डार्क हॉर्स भी लिखी है