किसी भी गरीब परिवार या मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों को अक्सर यह सिखाया जाता है कि सरकारी नौकरी कर लो फिर हमारा परिवार खुशहाल हो जाएगा। ऐसे में वह बालक/बालिका प्रश्न करता है कि कौन सी नौकरी करनी चाहिए। तब घरवाले और आस पड़ोस के लोग कहते हैं कि कलेक्टर बन जाओ। वहाँ से पढ़ाकू बच्चे खुद को और परिवार के हालात सुधारने के लिए जी तोड़ पढ़ाई करना शुरू करते हैं।
कॉलेज में आने पर पता लगता है कि यह दुनिया के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है और गली-गली में उनके मुकाबले के लोग इसी एग्जाम की तैयारी में लगे हुए हैं। आज हम एक ऐसी ही सक्सेस स्टोरी की बात करने जा रहे हैं जिसमें बस ड्राइवर की बेटी प्रीति हुड्डा ने यूपीएससी की परीक्षा पास करके परिवार का नाम गौरान्वित किया है।
हिंदी मीडियम में हुई है प्रीति की शिक्षा
अधिकतर यह कहा जाता है कि आईएएस बनना है तो अंग्रेजी मीडियम का होना बहुत ज़रूरी है। हरियाणा के बहादुरगढ़ की बेटी ने ऐसा कहने वालों को मुँह तोड़ जवाब दिया है। प्रीति हुड्डा (IAS Preeti Hooda) का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। उनके पिता डीटीसी (Delhi Transport Corporation) की बस चलाते हैं। घर की आर्थिक स्थिति शुरू से खराब थी। पिता दिन रात मेहनत करके जैसे-तैसे घर भी चलाते थे और बच्चों की पढ़ाई भी करा रहे थे। उनके पिता बेटे-बेटी में भेदभाव नही करते। न ही वे उन लोगों में से एक हैं जो बेटी की उम्र 21 के पार होने पर किसी से भी शादी करा दे। उन्होंने बेटी को अच्छे से पढ़ाया।
प्रीति हुड्डा ने बचपन से हिंदी मीडियम से ही पढ़ाई की। उन्होंने आईएएस की तैयारी भी हिंदी मे की। प्रीति हुड्डा ने हिंदी में साक्षात्कार देते हुए अपनी भाषा और लहज़े का पूर्ण रूप से ध्यान रखा। हिंदी मीडियम के विद्यार्थियों को उनसे सीख लेने की ज़रूरत है कि भाषा आपके ज्ञान के आड़े नही आता।
पिता चाहते थे बेटी आईएएस बने
प्रीति हुड्डा स्कूल के दिनों में पढ़ाई में उतनी अच्छी नही थी। दसवीं में उन्होंने 77 प्रतिशत हासिल किया और बारहवीं 87 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। 12वी के बाद प्रीति हुड्डा ने लक्ष्मी बाई कॉलेज दिल्ली से हिंदी में ग्रेजुएशन किया जिसमें उन्होंने 76 प्रतिशत अंक हासिल किए थे।
अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखते हुए प्रीति ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमफिल और पीएचडी भी की। जैसा कि लेख में ज़िक्र है, अधिकतर घर वाले अपने बच्चों को आईएएस बनने को कहते हैं। ठीक उसी तरह प्रीति के पिता का सपना था कि उनकी बेटी कलेक्टर बने। प्रीति ने कॉलेज के दौरान एम फिल करने के बाद ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
पढ़ाई के साथ मजाक-मस्ती और मनोरंजन भी आवश्यक
अधिकतर लोग कहते हैं कि तैयारी के दौरान अभ्यर्थियों को मोबाइल या मनोरंजन के साधनों से उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए, जो काफी हद तक सहीं हैं। आईएएस प्रीति हुड्डा बताती हैं कि उनका पूरा फोकस सिलेबस कवर करने के साथ रिवीजन को भी महत्व देना था। वे रोजाना 10 घंटे की पढ़ाई के साथ खुद का मनोरंजन भी करती थी। कभी वे मनपसंद फिल्में देखती तो कभी खूब मस्ती करतीं। इससे उनके दिमाग पर लोड कम होता और कार्य के लिए दिशा का चयन बेफिक्र होकर कर सकती थी। पढ़ाई में मनोबल के लिए मस्ती और मज़ाक भी बहुत ज़रूरी है।
प्रीति के पिता ने दिल खोलकर की तारीफ
प्रीति के पिता कभी भी मुँह से उनकी तारीफ नही करते थे। जिस दिन यूपीएससी परीक्षा के परिणाम आने थे उस दिन प्रीति बेहद नर्वस थी, वहीं उनके पिता अपनी ड्यूटी पर थे और डीटीसी बस चला रहे थे। जैसे ही प्रीति को यूपीएससी एग्जाम में पास होने की खबर लगी तो वे खुशी से उछल पड़ी। उन्होंने तुरंत मोबाइल निकालकर पिता को कॉल करके खुशखबरी सुनाई।
पिता ने उस दिन दिल खोलकर अपनी बेटी की तारीफ करते हुए कहा, “शाबाश मेरा बेटा, मैं बहुत खुश हूँ।” किसी भी पालक को लड़का-लड़की में भेदभाव नही करना चाहिए, बल्कि संतानों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनके हर कदम में साथ-साथ खड़ा होना चाहिए।