उत्तर प्रदेश में एक रिटायर्ड फौजी अपने बेटे का शव पिछले 14 दिन से फ्रिज में रखकर न्याय की मांग कर रहा है. उनका कहना है कि उनके बेटे की हत्या की गयी है. जिसकी वो फिर से जाँच कराना चाहते है. बेटे की मौत के बाद से उन्होंने कई बड़े अधिकारीयों से गुहार लगाई है. लेकिन कोई सुनवाई न होने के कारण उन्होंने अपने बेटे का अंतिम संस्कार न करने का फैसला लेते हुए न्यायालय की शरण ली है.
सुल्तानपुर के कूरेभार थाना क्षेत्र के शिवप्रसाद पाठक सेना में सूबेदार थे। रिटायर होने के बाद बच्चों के साथ गांव में रहने लगे। उनका बेटा शिवांक 2012 से दिल्ली में काम करता था। इसी बीच उसने पार्टनर के साथ मिलकर एक कम्पनी खोल ली ।
14 दिन से फ्रिज में रखा है शव
मृतक शिवांक ने 19 जुलाई को अपने छोटे भाई को फोन किया था. शिवांक ने अपने भाई इशांक से कहा था कि, ‘ भाई मेरी हत्या हो जाएगी. मुझे फंसाया जा रहा है. मुझे बचा लो.’ इसके ठीक 14 दिन बाद संधिग्ध हालातों में उसकी मौत हो गयी. 1 अगस्त के दिन दिल्ली में शिवांक की मौत हो गयी.
जब तक परिजनों को इस बात की सूचना मिली उससे पहले दिल्ली पुलिस शिवांक का पोस्टमार्टम करा चुकी थी. लेकिन जब उनके पिता शिवप्रसाद पाठक ने फिर से पोस्टमार्टम करने को कहा तो पुलिस ने उनकी बात को अनसुना कर दिया. इसके बाद वो अपने जिगर के टुकड़े का शव घर ले आये. अब न्याय की मांग के चलते पिछले 14 दिनों से शिवांक का शव डीफ्रिज में रखा हुआ है.
2012 में दिल्ली में खोली थी कंपनी
रिपोर्ट के मुताबिक शिवांक 2012 में दिल्ली के एक कॉल सेंटर में नौकरी करता था. जिसके बाद उसने 24 अप्रेल को अपने एक पार्टनर के साथ एक कंपनी की शुरुआत की. जिसमें उसके पार्टनर ने दिल्ली की ही एक लड़की को एचआर की नौकरी पर रख लिया. जिससे शिवांक की नजदीकियां बढ़ने लगी और उसने 2013 में उससे शादी कर ली.
कुछ दिन बाद कंपनी में फायदा होने पर शिवांक की पत्नी अपने भाई और पिता को कंपनी में पार्टनर बनाने का दबाब बनाने लगी. जिसके बाद शिवांक ने अपनी पत्नी के नाम 2 फ़्लैट, एक कीमती कार और करीब 85 लाख के आभूषण दे दिए. लेकिन इतने से उसका मन नहीं भरा. क्योंकि वो अपने पति की सारी सम्पत्ति पर नजर गढाए हुए थी।
पिता ने ली कोर्ट की शरण
पुलिस अधिकारीयों ने जब शिवप्रसाद पाठक की रिपोर्ट नहीं लिखी तो उन्होंने अब कोर्ट की शरण ली है. एसओ कुरेभार श्री राम पांडे ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है. मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इसलिए अब वो कुछ नहीं कर सकते.