दिल्ली स्थिति लाल किला जो लाल पत्थरों से बना हुआ है, जो हमारे हजारों साल के इतिहास का गवाह है। जिसने न जाने इतिहास में कितने पन्ने जुड़ते और कितने बिखरते हुए देखा। हमारे देश की धरोहर लाल किले को देखने के लिए देश भर से सैनानी आते हैं, क्योंकी इसमें उन्हें अपने इतिहास की झलकियां दिखाई देती हैं।
लेकिन लाल किला किसने बनवाया था,( lal qila kisne banwaya tha ) क्या आप को पता है, आप कहेंगे हां शाहजंहा ने लेकिन ये कुछ विद्वानों की माने तो ये सच नहीं है, उनके अनुसार लाल किला शाहजंहा ने नहीं बल्कि किसी और ने बनवाया था। ये बात जानकर आप को हैरानी जरूर हुई होगी लेकिन उनका पक्ष भी जान लीजिए ।
जी हां अगर तथ्यों की बात करें तो लाल किला किसी मुगल शासक ने नहीं बल्कि हिन्दू राजा ने बनवाया था आदत से मजबूर मुगल यानी शाहजंहा ने उसमे कुछ फेर बदल कर इतिहास के पन्नो पर अपना नाम लिख दिया और हमें यही पढ़ाया भी जाता है कि लाल किला शाहजंहा ने बनवाया था और पूरे दस साल का वक्त लगा था किले को बनाने में लेकिन ये सच नहीं है।
लाल किले को शाहजंहा के जन्म से कई वर्ष पूर्व तोमर राजवंश के महाराज अनंगपाल द्वितीय द्वारा सन् 1060 में बनवाया गया था,लेकिन बाहर से आए मुगलों का ये प्रिय खेल था हिंदू राजाओं के द्वारा बनाए गए किलों में फेर बदल कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराना।
इसका सबूत शाहजंहा के समय में बनी पेंटिंग से मिलता है जो आज लंदन के ऑक्सफोर्ड लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई है। जिसमे साफ तौर पर बताया गया है कि शाहजंहा के राजा बनने के बाद यानी कि 1628 में जब एक पर्शियन दूत उनसे मिलने आया था, तो उसका स्वागत शाहजंहा ने लाल किले में ही किया था , इसका मतलब ये है कि, जिस वक्त शाहजंहा राजा बना था ये किला मौजूद था। तो फिर 1639 में किले के निर्माण कार्य शुरू होने की बात झूठी है।
अकबरनामा किताब में भी ये जिक्र है कि पूरे दिल्ली का निर्माण राजा अनंगपाल द्वितीय ने किया था और उन्होंने वहां कई बड़े बड़े किले भी बनवाए थें। इससे साफ जाहिर होता है कि लाल किला किसी मुगल शासक ने नहीं बल्कि हिंदू राजा ने बनवाया था, और जब शाहजंहा दिल्ली आया तो उसने लाल किले में कई बदलाव किए ताकि किले से तोमर राजवंश से जुड़ी हर निशानी मिट जाए, लेकिन इतने बड़े किले से किसी राजवंश के सारे चिन्ह हटाना मुमकिन नहीं था। इस किले में अब भी कुछ ऐसे चिन्ह हैं जो हिंदू विरासत के जीते जागते सबूत हैं।