एक लड़की है। माँ की मौत के बाद पिता ने ज्यादा मतलब नहीं रखा। सौतेली माँ के अत्याचार से लेकर रिश्तेदार द्वारा यौन शोषण, यानी हर उस नर्क से गुजरी जो किसी बच्चे को मानसिक रूप से बर्बादी तक पहुंचाने के लिये पर्याप्त हो।
बारहवीं पास करते-करते ड्रग्स की आदि हो चुकी थी। कॉलेज में कुछ बॉयफ्रेंड बने पर फिर सारे रिश्ते टूटे क्योंकि इसे एडजस्ट करना आता ही नहीं था। शादी भी हुयी। पति अच्छा इंसान था, पर इसके गुस्सैल और हिंसक स्वभाव की वजह से जल्द ही मामला तलाक तक पहुँचा। यानी सत्ताईस साल की होते-होते इसने अपनी जिंदगी में खुद को अकेला कर लिया।
ना कोई इसे प्यार करने वाला था नाही कोई ऐसा जिससे यह प्यार जता सकती। उसपर से ड्रग्स और आवारा दोस्तो का साथ।
एक दिन एक बैड ट्रिप हुयी यानी ड्रग का ओवरडोज और यह मरते-मरते बची। मौत को करीब से देखना जिंदगी के प्रति नजरिया बदल देता है अक्सर। वह अचंभित थी यह देखकर कि कितना कुछ वह कर सकती थी पर क्या कर गयी।
पर उसने फिर से नयी शुरुआत की। महीनों rehabilitation में रही। ड्रग्स छोड़ा, स्वभाव बदला, नयी नौकरी ली। अपने अंदर के हर दानव से लड़ी। कई बार हारी, गीरी, फिर उठी। और अंत में एक ऐसी इंसान बनी जिसके सामने उसकी अतीत को रख दिया जाता तो हम बरबस चौंक जाते कि क्या यह संजीदगी से भरी लड़की ही थी जो हर दिन शराब के नशे में फर्श पर गिरी रहती!
सालों से अच्छी जिंदगी जीने की कोशिश कर रही है। आज एक प्यारी सी बच्ची है और समझदार पति भी, पर जिंदगी से इतनी लड़ाई के सालों बाद आज वह फिर डिप्रेसन में है।
वजह- हमारा समाज, जो बार-बार उसे याद दिलाता है कि तुम वही हो, पाँच साल पुरानी वह लड़की, जो किसी काम की नहीं थी। कभी इसके पति को कोई मैसेज करता है फेक आईडी से कि तेरी पत्नी फलाना-ढिमका के साथ हमबिस्तर हो चुकी है तो कभी कोई रिश्तेदार कुछ चुभता हुआ सा कह जाता है। माएँ अपने बच्चों को बताती हैं, फलानी की बेटी के साथ मत खेलना।
एक सच्चाई है समाज की, वो आपको आपके आदर्श स्वरूप में चाहता है, पर जब आप वैसे बनने की कोशिश करते हैं तो उसे बर्दाश्त भी नहीं होता।
एक शब्द होता है sadist, यह प्रवृत्ति हर इंसान में कहीं ना कहीं होती है। जिनमें ज्यादा होती है वे किसी कमजोर को सिगरेट से जला कर या हत्या कर सन्तुष्टि प्राप्त करते हैं। सीरियल किलर भी बन सकते हैं या सीरियल रेपिस्ट। पर बाकी सामान्य लोग चुगली कर, किसी के अतीत को बार-बार उछाल कर, दुसरो को नीचा दिखा कर sadistic orgasm की प्राप्ति करते हैं। ध्यान से देखिये, आपके आस-पास हर दूसरा इंसान यही काम कर रहा है।
इससे बचने का बस एक उपाय है -चमड़ी मोटी करना। खुशी से एक्सेप्ट कीजिये:
हाँ, मैं था एक आवारा लड़का जो लड़की छेड़ता था पर अब एक अच्छा पति या पिता बनने की कोशिश कर रहा है।
हाँ, मैं हुयी हूँ हमबिस्तर अपने पाँच ex के साथ पर अब पार्टनर के साथ ईमानदार हूँ और खुश हूँ।
मैं था एक शराबी पर आज मेहनत से अपनी घर चलाने की कोशिश कर रहा हूँ।
ये बातें समाज से मत कहिए पर खुद को याद दिलाते रहिये क्योंकि समाज सिर्फ आपको आपकी गलती याद दिलायेगा, आपके संघर्ष नहीं। गलतियाँ आपको परिभाषित नहीं करती उसे बदलने की कोशिश करती है।
और फिर सिर्फ बदलाव ही तो स्थायी है इस पूरी कायनात में।
– मेघा मैत्रेय