कहते हैं होता वही है जो आपकी कुंडली और भाग्य में लिखा होता है लेकिन मेहनत और कर्म पर भरोसा करने वाले लोग कई बार भाग्य के लिखे को भी बदल देते हैं. ऐसी ही एक कहानी है भोपाल की लड़की की जिसकी कुंडली में लिखा था की वो 24 साल की उम्र में आईएएस बनेगी लेकिन इस लड़की ने कुंडली के लिखे को झुठला दिया और 23 की उम्र में ही यह परीक्षा पास कर ली. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं भोपाल की लिपि नागाइच की जिन्होंने यूपीएससी में 140वीं रैंक हासिल की है.
डॉक्टर बनाना चाहते थे पैरेंट्स-
लिपि के माता-पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे लेकिन नाना की वजह से लिपि ने यूपीएससी की परीक्षा पास की. नाना चाहते थे की लिपि आईएएस बनें लेकिन घरवाले डॉक्टर बनाना चाहते थे. जब नाना कोरोना संक्रमित हुए तो उन्हें भोपाल के एक अपसटल में भर्ती करवाया गया और वहां पर नाना ने फिर से एक बार लिपि से अपने मन की बात कही और लिपि ने उन्हें भरोसा दिलाया की वो यूपीएससी की परीक्षा पास करके ही दम लेंगी।
क्लैट में भी हुआ था सलेक्शन-
लिपि के घरवालों ने बताया की उसका सलेक्शन क्लैट में भी हुआ था और नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट अलॉट हुआ था लेकिन लिपि वहां नहीं गई. लिपि होशंगाबाद में नर्सरी की पढ़ाई के बाद भोपाल के इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में क्लास फर्स्ट से 12th तक की पढ़ाई की. 12वीं में 95.2% अंक हासिल कर टॉप किया था. फिर भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज से बीए ऑनर्स (राजनीति शास्त्र) करने के बाद नूतन कॉलेज से MA कर रही हैं.
गांव में बटी मिठाई-
लिपि के पिताजी मुख्य रूप से छतरपुर के चंद्रपुरा गांव के रहने वाले हैं. ऐसे में जैसे ही वहां के लोगों को खबर लगी की लिपि ने यूपीएससी परीक्षा पास कर ली है तो गांव में मिठाई बांटी गई. लिपि में पिताजी भोपाल में महिला बाल विकास के अधिकारी हैं. लिपि ने बताया की जब वो इंटरव्यू देने गई थीं तो उन्होंने माहेश्वरी साड़ी पहन रखी थी तो ऐसे में उनसे पूछ लिया गया की इस साड़ी की क्या खासियत है जिसका जवाब लिपि ने उन लोगों को दिया।
आज लिपि की कहानी उन लाखों लड़कियों को प्रेरित कर रही है जो विपरीत हालातों से लड़कर समाज में आगे आते हुए अपना स्थान बनाना चाहती हैं. लिपि ने ये भी दिखा दिया की आपकी कुंडली और भाग्य में चाहे जो भी लिखा हो अगर आप मेहनत करते हैं तो किस्मत के लिखे को भी बदल सकते हैं.