प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गुरुपर्व देव दीपावली के मौके पर कृषि कानूनों को वापिस लेने की घोषणा की गयी । प्रधानमंत्री ने माफी मांगते हुए कहा कि शायद हमारी तपस्या में कुछ कमी रह गयी थी जो हम कुछ किसानों को समझा नही पाये ।
इस घोषणा के बाद उम्मीद जगी कि एक साल से दिल्ली का घेराव कर रहे किसान वापिस लौट जाएंगे । लेकिन किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि वे अभी लौटने के मूड में नही है। किसान संगठनों के द्वारा आंदोलन खत्म करने को कई शर्ते रखी गयी है। उनका कहना है कि सरकार कृषि कानूनों को खत्म करने के साथ अन्य मुद्दों पर भी बात करे ।
आंदोलन खत्म करने को किसानों की शर्तें
1 – केंद्र सरकार के प्रतिनिधि किसान संगठनों (संयुक्त किसान मोर्चा) से बात करे। जब तक सरकार अपना पक्ष क्लियर करके किसानो की नही सुन लेती और मांगे नही मानती आंदोलन खत्म नही होगा
2- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार सहमत हो। आंदोलन के शुरू से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य किसान संगठनो की मांग में शामिल रहा है।
3- एक साल के किसान प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारी हजारों किसानों और उनके नेताओं पर मुक़दमे दर्ज किए गए थे। सरकार इन दर्ज मुकदमो को वापस ले।
4- लखीपुर खीरी कांड के पीड़ितों को न्याय मिले , उन्हें उचित मुआवजे मिले और दोषियों पर कार्रवाई हो। सरकार एजेंसियों से जांच कराए
5- बिजली बिल का मुद्दा भी किसानों के हितों से जुड़ा मुद्दा है। सरकड बिजली बिलों से जुड़े मुद्दों को सुलझाए ।
6-वायु प्रदूषण को लेकर मुद्दा, जो किसानों के पराली जलाने से जुड़ा है। वायु प्रदूषण के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। जबकि पराली प्रबंधन के लिए सरकार के पास कोई कार्ययोजना नही है।
वहीं कुछ किसान नेताओ का कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को वापिस लेने की घोषणा का स्वागत करते है लेकिन सरकार एमएसपी पर चुप है । जब तक सरकार एमएसपी पर फसल खरीदने की गारंटी पर कानून नही बनाएगी हम प्रदर्शन करते रहेंगे।
क्या केंद्र सरकार की मुश्किलों को बढ़ायेगे किसान संगठन
किसानों के अड़ियल रुख को देखते हुए अभी यह नही लग रहा कि वे सरकार को रियायत देने के मूड में है । कई राज्यो में चुनाव नजदीक है । कृषि कानूनों की समाप्ति के साथ सरकार का यह मानना था कि इसके द्वारा विपक्ष से प्रमुख चुनावी मुद्दा छीन लिया है लेकिन अब लग रहा है कि किसान संगठन मुश्किलों को बढ़ाएंगे। यूपी में चुनाव एकदम नजदीक है । और किसान लगातार सरकार के विरोध में खड़े है।
पीएम मोदी द्वारा गुरुपर्व के मौके पर सीधे संवाद करते हुए कृषि कानूनों को वापिस करने की घोषणा के साथ सरकार के द्वारा किसानों के हित में उठाये जा रहे कदमो के बारे में बताया गया।