26 साल की डॉक्टर प्रियंका रेड्डी के साथ जो हुआ वो बेहद दुखद और शर्मनाक था । आज सारा देश प्रियंका रेड्डी के लिए आवाज़ उठा रहे हैं, उनके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं । आपको शायद यीद हो कि ऐसी ही आवाज़ निर्भया के समय भी उठी थी । लेकिन इन सबसे कहीं भी सुधार होता नहीं दिख रहा । लोग इधर प्रियंका रेड्डी के लिए न्याय मांग रहे हैं और उधर झारखंड में एक लॉ छात्रा के साथ 9 दरिंदों ने मिल कर सामूहिक दुष्कर्म कर डाला । पुलिस ने 12 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है ।

जिस जगह प्रियंका का शव मिला वहीं पर फिर से एक अन्य शव भी मिला है । देश के हर कोने में हर रोज़ ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं । कोई अपनी बेटी, कोई बीवी, कोई भाभी तो कोई अपनी प्रेमिका को लेकर ऐसे ही डर से भरा हुआ है ।
कई महिलाएं भी ऐसे हालातों में आत्महत्या कर लेती हैं । लेकिन ऐसा हमेशा नहीं रहता । पानी का सिर से ऊपर निकल जाना किसी को भी हिंसक बना देता है । दुनिया भर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां दुष्कर्म पीड़िताओं को हार कर कानून अपने हाथ में लेना पड़ा है । कुछ ऐसी घटनाएं तो हमारे ही देश में हुई हैं । जब औरत ने अपने कोमल मन को कठोर किया तब तब वो वीणाधारिणी से खड़ग धारिणी बन गयी और शत्रुओं का नाश कर दिया ।
अक्कू यादव और नागपुर की 200 महिलाएं
13 अगस्त 2004 को नागपुर के कस्तूरबा नगर में भरत कालीचरण उर्फ अक्कू यादव नाम के एक शख़्स को कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया जा रहा था । अक्कू पर उस समय 25 मामले दर्ज थे । कहा जाता है कि उसने करीब 40 से ज्यादा महिलाओं को अपनी दरिंदगी का शिकार बनाया था । उसके हैवानियत की हद यहां तक थी कि वह पहले महिलाओं के साथ दुष्कर्म करता और फिर उन्हें चाकू से गोद कर जान से मार देता । बताया जाता है कि उसके कारण 10 साल तक इलाके में डर का माहौल बना रहा । पहले तो पुलिस भी उस पर हाथ डालने से डरती रही लेकिन जब अति होने लगी तो पुलिस को उसे गिरफ्तार करना ही पड़ा ।

13 अगस्त 2004 को पुलिस उसे पेशी के लिए कोर्ट ले गयी । उसे पुलिस और कानून का कितना डर था इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने कोर्ट रूम में घुसते हुए एक महिला जिसके साथ उसने ही दुष्कर्म किया था को घिनौनी मुस्कुराहट के साथ वैश्या कह दिया । लेकिन उसकी यही बेपरवाही उसकी जान की ग्राहक बन गयी । यही वो पल था जब नागपुर ज़िला सेशन कोर्ट के कमरा नंबर 7 के बाहर खड़ी तकरीबन 200 महिलाओं का गुस्सा उबल पड़ा । फिर क्या था, एक महिला ने जैसे ही उस पर अपनी चप्पल से वार किया वैसे ही अन्य महिलाएं भी उस पर टूट पड़ीं । बताया जाता है कि उस भीड़ ने अक्कू यादव के साथ वो किया जिसे सुन कर किसी की भी रूह कांप जाए ।
कोई उसे चप्पलों से मार रहा था तो किसी ने उसके मुंह आंख नाक में मिर्च पाउडर डाल दिया । कहा तो इतना तक जाता है कि एक महिला ने अक्कु का गुप्तांग तक काट लिया । अक्कू यादव मारा गया । वह अक्कू यादव जिसने अपनी दरिंदगी से सालों तक सबको डराया उस दिन उसकी लाश सड़क पर ऐसे पड़ी रही जैसे कोई आवारा जानवर हो ।
अक्कू यादव की हत्या के आरोप में 100 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 18 पर हत्य! का केस चला । महिलाओं ने बिना किसी अफसोस के ये कबूल किया कि इस सीरियल किलर की हत्य! उन्होंने ही की है । हालांकि अदालत ने अक्कू यादव की हत्य! के 18 आरोपियों को ठोस सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया गया ।
सुजान देवी का बदला
ऐसी ही एक कहानी है बिहार की एक महिला की । यह महिला अपने साथ हुई ज़्यादती के बाद बेबस होकर रोई चिल्लाई नहीं बल्कि दुष्कर्मी को उसके किए की सज़ा दे डाली । पटना के पास स्थित सुइथा गांव की इस महिला का नाम बदल कर मीडिया ने इसे सुजान देवी नाम दिया । सुजान देवी 45 साल की एक विधवा थीं तथा एक हैवान ने उनके साथ दुष्कर्म किया था । खुद के साथ हुए इस अन्याय के बदले सुजान देवी ने उस दुष्कर्मी पर मिट्टी का तेल छिड़क कर उसे ज़िंदा जला दिया । सुजान देवी के ऐसे कदम के बाद खुद अदालत भी इस दुविधा में थी कि आखिर उसे किस जुर्म की सज़ी दी जाए ।

रुपम पाठक और विधायक
इसी तरह का एक और मामला 2011 में बिहार के पूर्णिया जिले से सामने आया था । यहां के एक स्कूल की प्रिंसिपल रूपम पाठक ने एक विधायक की हत्य! कर दी थी । रूपम पाठक इम्फाल से तबादला करवा कर पूर्णिया के स्कूल में आई थीं । इस स्कूल का उदघाटन उसी विधायक ने किया था जिसकी रूपम ने हत्य! की । रूपम पाठक ने ये आरोप लगाया था कि वह विधायक उनके साथ 2007 से दुष्कर्म करता आ रहा था । अंत में हार कर रूपम पाठक ने अपने हाथों से विधायक की जान ले ली थी ।
जब परिस्थियां बदलती हैं तो इंसान के अंदर का गुस्सा इसी तरह बाहर आता है । बीते वर्षों में महिलाओं के साथ अन्याय के मामले जिस तरह से बढ़े हैं उसके बाद यदि कानून अपने हाथ में लिया जाने लगे तो ये कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी । प्रशासन को ऐसी स्थिति आने से पहले कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे क्योंकि अगर अन्याय से त्रस्त महिलाओं ने कानून अपने हाथ में लेना शुरू कर दिया तो फिर इन्हें रोक पाना लगभग असंभव हो जाएगा ।