इंदिरा गाँधी के पत्र लिखने का दौर तब शुरू हुआ जब उनके पिता जेल से उन्हें पत्र भेजा करते। इंदिरा गाँधी भी अक्सर उन्हें पत्र लिखा करती थी । जिसमे वो देश दुनियां की सारी बाते रखा करती । जेल में रहने के दौरान नेहरू जी ने इंदिरा गाँधी के पत्र लिखने का सिलसिला शुरू किया था । जिसे उन्होंने अपनी अगली पीढ़ी यानी अपने बच्चों से मन की बात करने के लिए जारी रखा ।
ऐसा ही एक पत्र उन्होंने अपने बेटे राजीव गांधी को लिखा था। इंदिरा गाँधी के पत्र में उन्होंने खुद को मिले एक तोहफे का जिक्र किया था।
इस तोहफे ने उनके जीवन पर बहुत गहरा असर डाला । इंदिरा गांधी जितनी बाहर से जितनी मजबूत महिला थी उतनी ही अंदर से नर्मदिल महिला भी थी । इसी वजह से उन्हें आमजनमानस की नेता के रूप में याद किया जाता है ।
तोहफे में मिली थी बड़े बाघ की खाल
1956 में रीवा के महाराजा ने एक बाघ का शिकार किया था । तब के राजे रजवाड़े इसे अपनी शान समझते थे और शिकार के साथ फोटो खिंचवाने का शौक था । निशानी के तौर पर शिकार के अंगों को रख लिया जाता था । ये परंपरा मुग़लो से शुरू होकर अंग्रेजो और फिर राजे रजवाड़ों तक आ गयी थी । ऐसे ही एक बड़े बाघ की खाल को रीवा के महाराजा ने जवाहरलाल नेहरू को गिफ्ट किया था ।
दुखी हुई थी इंदिरा गाँधी
पंडित जवाहरलाल नेहरू को मिला वो तोहफा घर आ गया लेकिन उसे देखकर इंदिरा को गहरा दुख हुआ । वे जितनी बार उस कमरे के पास से निकलती वे उस वन्यजीव के बारे में सोचकर उदास हो जाती । उस देखकर उनका दिल दहल गया । जिसके बाद उन्होंने अपने मन की बात राजीव गांधी को लिखी
क्या लिखा था इंदिरा गाँधी के पत्र में
7 सितंबर 1956 राजीव गांधी को लिखे इंदिरा गाँधी के पत्र में उन्होंने लिखा कि हमे तोहफे में एक बड़े बाघ की खाल मिली है । रीवा महाराज ने इस बाघ का शिकार 2 महीने पहले ही किया था। खाल बालरूम में है , जब भी वहां से गुजरती हूँ मुझे गहरी उदासी महसूस होती है ।
इंदिरा गांधी ने आगे पत्र में लिखा कि यदि यह जीवित होता तो जंगल मे घूम रहा होता और दहाड़ रहा होता । बाघ बहुत सुंदर और राजसी वन्यजीव है । उनकी चमड़ी के नीचे उनकी मासपेशियों की हरकत ऊपर से भी दिखाई देती है । कुछ ही सनी पहले यह जंगल का राजा था और अन्य वन्यजीव इससे डरते होंगे । यह बेहद शर्म की बात है कि अपनी खुशी के लिए इंसान किसी का जीवन छीन ले “
प्रधानमंत्री बनने के बाद बनवाये कानून
इस घटना का उनके मन पर इतना असर पड़ा कि 1966 में इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री बनी तो उसके बाद से ही उन्होंने वन्यजीवों के लिए काम करना शुरू कर दिया ।
1972 में इंदिरा जी ने अपने कार्यकाल के दौरान वन्य जीव संरक्षण कानून ( wild life protection act) समेत वन से जुड़े कई कड़े कानून संसद से पास करवाये । इसके बाद 1980 में वन संरक्षण कानून आया । नेशनल पार्क , टाइगर रिजर्व एवं अभ्यारण्य आदि अधिसूचित करने का काम किया । देश मे अनेकों वन और वन्यजीवों को बचाने में इंदिरा जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।
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