उस mi-17 हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स मलबे में मिल गया है जो चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तेरह अन्य लोगों को लेकर कुन्नूर से वेलिंगटन जा रहा था। हालांकि कंडीशन बहुत अच्छी नहीं है लेकिन उम्मीद है कि इसके अंदर उन सवालों से जुड़े जवाब मिल जाएंगे जो जानने बेहद जरूरी हैं । ब्लैक बॉक्स के अंदर उपस्थित डाटा से पता चलेगा किन किन स्थितियों में यह दुर्घटना घटी ।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को ले जा रहे mi-17 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने और उसमें मौजूद 13 लोगों की मृत्यु हो जाने के बाद पूरा देश सदमे में है. हर कोई यह जानना चाहता है दुर्घटना की वजह क्या है
आइए जानते हैं क्या होता है ब्लैक बॉक्स और किस तरह काम करता है
क्या होता है ब्लैक बॉक्स
मजबूत मेटल टाइटेनियम से बना ब्लैक बॉक्स वास्तव में काले रंग का नहीं होता है यह नारंगी रंग का बना एक बॉक्स होता है जिसमें विमान के अंदर विभिन्न गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है विमान से जुड़ी प्रत्येक गतिविधि जैसे उसकी दिशा गति विमान में होने वाली हलचल विमान के अंदर का तापमान इंजन की आवाज आदि ब्लैक बॉक्स के अंदर रिकॉर्ड हो जाती है . विमान के अंदर हो रही बातचीत और लोगों की आवाजें भी अंदर रिकॉर्ड हो जाती हैं ताकि किसी भी हादसे बाद यह जाना जा सके कि हादसे के वक्त केबिन में किस बारे में बात हो रही थी.
ब्लैक कलर का नही होता
नाम से ऐसे लगता है जैसे ब्लैकबॉक्स काले रंग का होता है लेकिन यह काले रंग का न होकर नारंगी रंग का होता है . चटक नारंगी रंग इसलिए रखा जाता है ताकि किसी भी दुर्घटना के बाद मलबे में दुर्घटना स्थल पर आसानी से दिखाई पड़े । ब्लैक बॉक्स नाम रखने के पीछे की वजह यह है क्योंकि यह हादसों से जुड़ा हुआ है इसी वजह से टर्म ब्लैक का प्रयोग किया जाता है।
क्यों हुई ब्लैक बॉक्स की खोज
जैसे-जैसे विज्ञान ने तरक्की की वैसे वैसे विमानों में सुविधाएं बढ़ती चली गई । 1950 के आसपास विमानों की संख्या लगातार बढ़ रही थी । हादसे भी बढ़ रहे थे। ऐसे में विशेषज्ञों चाहते थे कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोई तकनीक होनी चाहिए जिससे आने वाले समय में दुर्घटना से बचा जा सके।
आखिरकार साल 1954 में एरोनॉटिकल रिसर्चर डेविड वॉरेन ने इसका आविष्कार किया.
इसके अविष्कार के बाद इसे विमान में पीछे की तरफ लगाया जाने लगा क्योंकि किसी भी दुर्घटना में विमान के पिछले हिस्से में नुकसान कम होने की संभावना है ऐसे में यह सुरक्षित रहेगा
कैसे काम करता है ब्लैक बॉक्स
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर ब्लैक बॉक्स का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जो फ्लाइट के दौरान कॉकपिट में होने वाली बातचीत को और अन्य आवाजों को रिकॉर्ड करता है यह सारे रिकॉर्ड इसमें सेव होते रहते हैं ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम से बना होता है और कई परतों में होता है ।
इसकी चार परतों में एल्युमिनियम , रेत , स्टेनलेस स्टील और टाइटेनियम की परतें होती है जो ऊंचाई से गिरने के बावजूद इसे सुरक्षित रखती है।
टाइटेनियम एक बहुत ही मजबूत धातु होती है यह कई हजार डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकता है और किसी भी दुर्घटना के बाद उसमें मौजूद डाटा को सुरक्षित रखता है
खो जाने पर या ना मिलने पर इसकी खोज इसके द्वारा छोड़ी जा रही तरंगों के माध्यम से भी की जा सकती है । अगर ब्लैक बॉक्स को ढूंढने में समय लगता है तो भी लगभग 30 दिनों तक यह बिना किसी बाहरी ऊर्जा के काम करता रहता है और इसमें मौजूद जानकारी को सुरक्षित रखता है