Monday, January 13, 2025

Udham singh : 21 साल बाद विदेशी धरती पर ऐसे लिया जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला

देश को आजाद कराने के लिए भारत भूमि के अनेकों शूरवीरों ने अपनी जान की बाजी लगायी थी । उन्हीं में से एक उधम सिंह (UDHAM SINGH)ने लंदन जाकर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने का प्रण लिया और 21 साल बाद अपने प्रण को निभाया । आज हम बात करेंगे सरदार उधम सिंह कौन थे और उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड (JALIANWALA BAGH HATYAKAND ) का बदला क्यों लिया?

कौन थे सरदार उधम सिंह ?

सरदार उधम सिंह कम्बोज का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम सरदार तेहाल सिंह था जो जम्मू उपल्ली गांव में रेलवे चौकीदार थे. उनका असली नाम शेर सिंह था. उनका एक भाई का नाम मुख्ता सिंह था. मात्र सात साल की उम्र में उनके माता पिता का साया उनके सर से उठ गया । जिसके बाद दोनों भाइयो का पालन पोषण अमृतसर के सेंट्रल खालसा अनाथालय में हुआ ।

परिजनों के साथ सरदार उधम सिंह ( Udham singh Family)

इसी अनाथालय में दोनों भाइयों को नया नाम मिला. शेर सिंह का नाम बदलकर उधमसिंह और मुख्ता सिंह का नाम साधु सिंह कर दिया। इसके कुछ समय बाद सरदार उधम सिंह ने सर्वधर्म समाज के सम्मान में अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया था । लेकिन बचपन मे माता पिता को खोने वाले उधम का बुरे समय ने पीछा नही छोड़ा ।

Ancestral house of Udham singh

साल 1917 में उधम के भाई साधु की भी असमय मृत्यु हो गई. 1918 में उधम ने मैट्रिक के एग्जाम पास करने के एक साल बाद 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ने का निर्णय लिया.

उधम सिंह सरदार भगत सिंह से बहुत प्रभावित थे।

1919 का जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre )

13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड इतिहास की एक ऐसी घटना है जो आज 100 साल से ज्यादा होने पर भी रूह कंपा देती है।8 मार्च 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत मे उभर रहे आजादी के आंदोलन को कुचलने के लिए रॉलेट एक्ट बनाया गया। इस एक्ट का विरोध पंजाब सहित पूरे देश में किया जा रहा था।

रॉलेट एक्ट के तहत कांग्रेस के सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू को अंग्रेजों द्वारा अरेस्ट कर लिया गया था जिसके बाद पंजाब के अमृतसर में हजारों की संख्या में लोग शांति से प्रदर्शन करने इकठ्ठा हुए थे। तभी जनरल Reginald Dyer डायर के नेतृत्व में अंग्रेज सैनिकों ने जलियांवाला बाग में प्रवेश किया। अंग्रेजो ने एकमात्र बाहर जाने के रास्ते को बंद कर दिया । इसके बाद डायर ने वहां मौजूद निहत्थे लोगो पर अंधाधुंध गोलियां चलाने का आदेश दे दिया।

गोलियां तब तक चलती रही जब तक सैनिकों के गोला बारूद खत्म नही हो गए। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों की जान गई । इस हत्याकांड का जिम्मेदार जनरल Reginald Dyer था जिसका साथ उस समय पंजाब के गवर्नर रहे Michael O’Dwyer ने दिया था. इस नरसंहार को जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता हैम . उधम सिंह 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार के साक्षी थे. इस घटना को देखने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में कूदने और Reginald Dyer और Michael O’Dwyer से बदला लेने का प्रण लिया ।

उधम सिंह ने Michael O’Dwyer से लिया बदला

सरदार उधम सिंह ने कुछ क्रांतिकारियों के साथ मिलकर चंदा इकट्ठा किया और मन मे बदले का प्रण लेकर देश के बाहर चले गए. हालांकि जब उधम सिंह लंदन  पहुंचे उससे पहले जनरल Reginald Dyer की ब्रेन हैमरेज से मृत्यु हो गई थी. ऐसे में उन्होंने Michael O’Dwyer को मारने की योजना बनाई । वे पहचान छिपाकर क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देते रहे ।

(SHAHEED UDHAM SINGH)

आखिर वो दिन आ ही गया जब उनको विदेशी धरती पर अपने देशवासियों के बलिदान का बदला लेना था। 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक बैठक थी जोकि लंदन के काक्सटन हॉल में होनी थी। वहां Michael O’Dwyer को सम्मानित किया जाना था। सरदार उधमसिंह उस दिन योजना के मुताबिक वहां पहुंच गए. उनके हाथ मे एक किताब थी जिसमे अपनी बन्दूक को छिपाया था.

जैसे ही डायर उनके सामने आया उन्होंने दो गोलियां Michael O’Dwyer को निशाना बनाते हुए चलायी जिससे उसकी तुरंत मौत हो गई. हालांकि वहां से भागने की कोशिश में उधम सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके ऊपर मुकदमा चला ।

udham singh , उधम सिंह

4 जून 1940 को शहीद उधम सिंह को Michael O’Dwyer की हत्या के मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया. 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई. इस तरह उधम सिंह ने जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला विदेशी धरती पर जाकर लिया और भारत की आजादी की लड़ाई के इतिहास में अमर हो गए.

शहीद उधम सिंह की अस्थियां

1974 में ब्रिटेन ने सरदार उधम सिंह के अवशेष भारत को सौंप दिए. विदेशी धरती पर जाकर अंग्रेजों से बदला लेने का जो काम सरदार उधम सिंह ने किया था, ऐसी मिशाल कम ही मिलती है।

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