Friday, January 24, 2025

लगभग 100 सालों पहले ऐसे दिखते थे ये उपकरण, पहचानना होगा मुश्किल

आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। ये जरुरते ही हैं जिनकी वजह से आज हम आधुनिक उपकरणों से घिरे हुए हैं। आधुनिकता के इस दौर में शायद ही कोई काम ऐसा बचा है जिसे व्यक्ति खुद करता होगा वरना ज्यादातर कार्यों के लिए इंसान मशीनों का ही सहारा लेता है।

इस बात से तो आप सब वाकिफ ही हैं कि परिवर्तन ही संसार का नियम है। चीजों में बदलाव और परिवर्तन आना कोई बड़ी बात नहीं है। उपयोग और जरुरत के आधार पर उपकरणों में भी बदलाव होते रहते हैं

आज हम आपको उन उपकरणों की पुरानी तस्वीरें दिखाएंगे जिनपर वर्तमान में आप निर्भर रहते है

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यह है इलेक्ट्रिक टोस्टर। 1893 में स्कॉटलैंड के निर्माता एलन मैक मास्टर्स ने इसका निर्माण किया था। उन्होंने अपने इस टोस्टर का नाम एकलिप्स टोस्टर रखा था। बाद में इसके डिजाइन में क्रॉम्पटन कंपनी के द्वारा कुछ बदलाव किए गए थे। आज टोस्टर की डिजाइनिंग पूरी तरह से पदल चुकी है।

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गर्मियों के मौसम में ठंडक पहुंचाने वाला यह पंखा आज भी कुछ घरों में देखने को मिल जाता है। पुराने ज़माने में पंखों की डिजाइन कुछ इस तरह से हुआ करती थी। 1882 में शूलर स्कॉट्स व्हीलर ने बिजली से चलने वाले पंखे का निर्माण किया था।

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पुराने ज़माने में लोग सूरज और चांद की दिशा देखकर समय का अंदाज़ा लगाया करते थे। लेकिन 15वीं शताब्दी में पीटर हैनलीन ने घड़ी का निर्माण करके पूरी दुनिया को समय का अनुमान लगाना सिखा दिया था। पीटर जर्मनी के रहने वाले थे। समय के साथ घड़ियों में बदलाव होने लगा, उनकी डिजाइन आदि में परिवर्तन होने लगा है।

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बक्से से आकार की दिखने वाली यह चीज़ और कुछ नहीं बल्कि एक रिकॉर्ड प्लेयर है। इसका निर्माण 1857 में एडवर्ड लीऑन स्कॉट डी मार्टिनविले ने किया था। वक्त के साथ रिकॉर्ड प्लेयर के रुप-रंग में बदलाव जरुर आए लेकिन तकनीक वही रही।

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कपड़ों को आसानी से धोने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वॉशिंग मशीन सालों पहले कुछ ऐसी दिखती थी। 1767 में जर्मन वैज्ञानिक जैकब क्रिश्चियन शॉफर ने इसका निर्माण किया था। बाद में उपयोग के अनुसार इसमें बदलाव किए जाने लगे।

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अंधेरे कमरों में उजाला फैला देने वाले बल्ब का निर्मण थॉमस एडिसन ने किया था। 1879 में तैयार किए गए इस बल्ब में कॉर्बन से बने फिलामेंट का उपय़ोग होता था। हालांकि, अब बल्ब की जगह लोग सीएफएल आदि का उपयोग करने लगे हैं। लेकिन इन सबका प्रेरणास्त्रोत बल्ब ही है।

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तस्वीर में दिख रही यह चीज़ कोई मिसाइल नहीं है बल्कि वैक्यूम क्लीनर है। जी हां, ये वही वैक्यूम क्लीनर है जिसका आकार आज बक्से जैसा होता है। पहले के ज़माने में लोग सफाई के लिए इस तरह के वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करते थे।

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संगणक यानी कि कंप्यूटर। आज के ज़माने में कंप्यूटर्स काफी पतले और जल्दी काम करने वाले होते हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा था जब कंप्यूटर ऐसे दिखते थे। इसका निर्माण चार्ल्स बैबेज ने 1837 में किया था।

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पहचाना…ये टीवी है। पुराने ज़माने में टेलीविज़न ऐसे ही हुआ करते थे। इनके पीछे एक लंबा सा पिक्चर ट्यूब निकला होता था जिसकी मदद से स्क्रीन पर चित्र बनकर सामने आते थे। इसका निर्माण चार्ल्स फ्रैंसिस जेनकिन्स ने किया था।

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दीवार पर टंगी यह चीज़ कुछ और नहीं बल्कि टेलीफोन है। पहले के ज़माने में टेलीफोन इस तरह के हुआ करते थे। इसका निर्माण एलेक्जेंडर ग्राहम बैल ने किया था। समय के साथ इसमें कई तरह के बदलाव किए गए।

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