अपना खून अपना ही होता है। इस कहावत में कितनी सच्चाई है इस बात का तो पता नहीं लेकिन अपना खून कहीं भी हो अपनों की पहचान जरुर लेता है। ऐसा ही कुछ हुआ जब 74 साल बाद दो भाई एक-दूसरे से मिले। दोनों की आंखे नम हो गईं। एक-दूसरे को गले लगाकर दोनों भाई फूट-फूटकर रोए। इस मार्मिक दृश्य को देखने वाला हर शख्स इमोशनल हो गया।
विभाजन की त्रासदी
साल 1947 में भारत की आजादी के साथ हुआ विभाजन ना जाने कितने ही परिवारों की दूरी का कारण बना। ना जाने कितने परिवारों ने अपने बच्चों, अपने परिजनों को सरहद पार छोड़ दिया। सैकड़ों परिवार एक-दूसरे से बिछड़ गए। इन लोगों की सूची में एक मोहम्मद हबीब और मोहम्मद सिद्दीक का परिवार भी शामिल था।
74 साल बाद मिले दो भाई
बुधवार को 74 साल बाद दोनों भाईयों की मुलाकात हुई। यह मुलाकात पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब में हुई। मोहम्मद हबीब अपने छोटे भाई मोहम्मद सिद्दीक से मिलने के लिए करतारपुर कॉरिडोर के जरिए यहां पहुंचे थे। एक-दूसरे को देखते ही दोनों फूट-फूटकर रोने लगे। दशकों से बिछड़े भाईयों का यह मिलन देखकर आस-पास मौजूद सभी लोगों की आखें नम हो गईं।
बंटवारे में बिछड़ गया था परिवार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहम्मद हबीब उर्फ शैला का परिवार 1947 में हुए बंटवारे के दौरान बिछड़ गया था। उनकी माता सुनीता देवी और उनका छोटा भाई मोहम्मद सिद्दीक जो उस वक्त नवजात शिशु था पाकिस्तान के फैसलाबाद में जाकर बस गए। हबीब भारतीय क्षेत्र में ही बड़े हुए। वे पंजाब के फूलनवाड़ में रहते हैं। बताया जा रहा है कि हबीब के परिवार ने सोशल मीडिया के जरिए उनके भाई मोहम्मद सिद्दीक का पता लगाया और करतारपुर कॉरिडोर के जरिए मुलाकात की योजना बनाई।
सरकार का किया धन्यवाद
दोनों भाईयों की यह मुलाकात बुधवार को संभव हो गई। इस मुलाकात के दौरान दोनों भावुक दिखे। बड़े भाई हबीब ने बताया कि उनके छोटे भाई सिद्दीक ने सारी उम्र शादी नहीं की और अपनी मां की सेवा करते रहे। दोनों ने भारत और पाकिस्तान की सरकारों का धन्यवाद किया।