हाल ही में UPSC-2021 के परीक्षा परिणाम घोषित हुए हैं। इसमें दिल्ली की श्रुति शर्मा टॉपर रहीं। परीक्षा परिणाम घोषित होने के साथ ही चयनित अभ्यर्थियों की कहानियाँ भी लोगों के सामने आ रही हैं। संघर्ष से भरी उनकी कहानियाँ युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इसी के साथ कई कोचिंग संस्थानों ने मॉक इंटरव्यूज के वीडियो भी शेयर किये जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के रहने वाले मयंक दुबे ने UPSC – 2021 में 147 रैंक लाकर प्रदेश का मान बढ़ाया है। दृष्टि आईएएस (Drishti IAS) संस्थान ने उनके मॉक इंटरव्यू को शेयर किया है। हिंदी मीडियम में पढ़ाई करने वाले मयंक दुबे का यह चौथा अटेम्प्ट था। वे तीनों अटेम्प्ट में भूगोल को ऑप्शनल विषय में रखने के कारण पिछड़ जा रहे थे लेकिन इस बार हिंदी साहित्य को चुनने के कारण वे इंटरव्यू तक पहुँचे।
डॉ. विकास दिव्यकिर्ती ने पूछा, “चंदा को मामा क्यों कहते हैं?’
अधिकतर इंटरव्यूज में अभ्यर्थियों को उनके नाम का अर्थ पूछा जाता है। मयंक दुबे के साथ भी यही हुआ। उन्होंने बताया कि उनके नाम का अर्थ चंद्रमा है। बाद में विकास सर पूछते हैं कि चाँद को मामा क्यों कहते हैं? पहले तो मयंक कहते हैं कि शायद कोई रूढ़ि रही होगी। लेकिन जब विकास सर उन्हें कल्पना करने को कहते हैं तब उनका जवाब आता है कि वे इस विषय में कुछ सोच नही पा रहे हैं। फिर वे चंद्रमा के सौम्य स्वभाव और उसे पृथ्वी का हिस्सा बताते हुए जवाब देने की कोशिश करते हैं तभी प्रश्न पूछ रहे विकास सर बोल पड़ते हैं, “पृथ्वी माँ है तो चंदा मामा है।” तो मयंक हँसते हुए ‘यस सर’ कहते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार चंदा के मामा बनने की कहानी
चंद्रमा के बिना हिंदी साहित्य की कल्पना नही की जा सकती। सूरदास सहित अधिकतर कवियों के साथ ही कहानी की हर किताब में हम चंद्रमा को मामा की तरह ही संबोधित करते आए हैं। माँ शब्द से ही मामा शब्द बना है। और आप चंद्रमा शब्द को देखें तो उसका आखिरी अक्षर ‘मा’ ही है।
जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था उस वक़्त सागर से बहुत सारे तत्व निकले जिसमें लक्ष्मी जी, वारुणी, चंद्रमा और विष भी थे। लक्ष्मी जी, भगवान विष्णु के पास चली गई और उनके बाद समुद्र मंथन से जो भी तत्व निकले वे उनके भाई बहन कहलाए। जब लक्ष्मी हमारी माता हुई तो उनके भाई चंद्रमा हमारे मामा बन गए और समुद्र सबके पिता।
चंदा को मामा कहने का दूसरा कारण यह बतलाया जाता है कि चंद्रमा पृथ्वी के इर्द-गिर्द एक भाई की तरह रहता है। इसलिए पृथ्वी माता हो गई और चंदा मामा हो गए।
कैसे हुई थी चंद्रमा की उत्पत्ति
विश्व स्तर पर आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा सन 1980 में इस सिद्धांत को अपनाया गया कि करीब 4.5 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी और थिया के बीच हुई टक्कर से चंद्रमा की उतपत्ति हुई थी। पृथ्वी और थिया के टुकड़े मिलकर चांद बने। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेलिडे यह विश्वास रखते हैं कि चांद में उसी प्रकार की चट्टानें पाईं जाती हैं जैसी धरती पर है।
यूरोपीय देशवासी अपने देश को पिता बुलाते हैं और भारत के लोग इसको माता कहते हैं
धरती को माता और चंदा को मामा कहना हमारे समाज पर विशेष टिप्पणी है। शायद शुरुआत से ही, जब मनुष्यों को ज्ञात नही था कि ज़मीन की कोई सीमाएं हैं। वे जिस जगह पर रहते थे, फसलें उगाते थे, उसी मिट्टी यानी धरती की पूजा करते थे और उसे माता कहकर पुकारने लगे। बाद में जब सीमाएं बनने लगी तब वे अपने देश को भी माँ कहकर संबोधित करने लगे।