नई दिल्ली। कोरोना की वैक्सीन के ट्रायल के साथ-साथ कोविड 19 मरीजों के इलाज और एंटीबॉडी पर भी तमाम शोध दुनियाभर में चल रहे हैं। हालही में पुर्तगाल में हुए शोध के अनुसार कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी 7 माह तक रहते हैं, जबकि भारत में ठीक हुए मरीजों में 3-4 माह एंटीबॉडी पाए गए।
एंटीबॉडी पर नया शोध आया सामने
नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉ. एमके सेन ने बताया कि पुर्तगाल का शोध करीब 300 मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हुआ है। उनमें एंटीबॉडी की मात्रा अधिक पायी गई है। ऐसे में यह भी जानना भी पहले जरूरी है कि ये एंटीबॉडी कोविड से ठीक करने में कितने कारगर हैं, जो कि अभी तक निश्चित रूप से नहीं पता है। कई देशों के शोध में 3-4 माह तक ही एंटीबॉडी शरीर में रहने की बात कही गई है। दरअसल एंटीबॉडी कई प्रकार के होते हैं। अभी कह नहीं सकते हैं कि एंटीबॉडी किसके शरीर में कैसे रिएक्ट करते हैं। अगर वायरस म्यूटेट हो गया तो जरूरी नहीं है कि ये काम करें।
नाइट्रिक ऑक्साइड पर चल रहा है शोध
एंटीबॉडी के अलावा कोविड मरीजों के इलाज के लिये भी नाइट्रिक ऑक्साइड पर शोध चल रहा है। डॉ सैनी ने कोविड मरीजों के इलाज के लिये नाइट्रिक ऑक्साइड की भूमिका पर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शोध में पाया गया है कि कोविड मरीजों को नाइट्रिक ऑक्साइड से फायदा हो सकता है। ये एंटीमाइक्रोबियल एजेंट होता है। कोरोना के ऐसे मरीज, जिनमें ऑक्सीजन की मात्रा कम है, उनके लिए यह फायदेमंद हो सकता है। हालांकि इस पर अभी रिसर्च चल रहा है। माना जा रहा है कि अगर यह सफल होती है तो काफी मदद मिल सकती है।
बच्चों को भी मास्क लगाना जरूरी
तमाम ट्रायल और शोध के बाद भी एक बात साफ है कि सबसे जरूरी है मास्क लगाना। यहां तक की वैक्सीन आने के बाद भी मास्क का प्रयोग करना है और हमेशा करना है। मास्क पर एक नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में तमाम शोध हुए हैं। इससे कोरोना के अलावा कई अन्य वायरस वाली बीमारियों से बचेंगें।
वहीं स्कूल आदि खुलने पर बच्चों को भी मास्क लगाने की आदत डालनी होगी। आंध्र प्रदेश में हुये शोध के मुताबिक बच्चों में भी वायरस का संक्रमण हो सकता है और दूसरों को फैल भी सकता है। जो बच्चे 0-5 साल तक के हैं उनसे भी संक्रमण हो सकता है। चूंकि कोरोना वायरस सांस से फैलता है इसलिए बचाव जरूरी है। जहां तक स्कूल की बात है तो ऐसा नहीं है कि बाहर जाते ही कोरोना वायरस हो जायेगा।