दिल्ली देश की राजधानी है व जनता के लिए यह हमेशा जिज्ञासा का केंद्र रहा है कि दिल्ली जो वर्तमान में देशभर से आये प्रवासियों के सपनो की पूर्ति करती है, को इतिहास में किसने बसाया । इसी संदर्भ में भारत सरकार पिछले कुछ समय से इतिहास के पुनर्लेखन को लेकर सक्रिय नजर आ रही है जिसमे दिल्ली के संस्थापक महाराजा अनंगपाल तंवर जिन्हें अनंगपाल तोमर के नाम से भी जाना जाता है, का जिक्र चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
क्या आप जानना नही चाहेंगे कि राजा अनंगपाल तंवर (Anangpal Tanwar / Tomar in hindi) के वंशज वर्तमान में किस स्थिति में है ?
वर्तमान में दिल्ली के महरौली क्षेत्र में महाराजा अनंगपाल तंवर के वंशजो के 8 गांव आबाद है जिनमे फतेहपुर बेरी , असोला , डेरा ,मांडी , गवालपहाडी , चांदन हूला , बास और बड़ा बास है।
इन गांवों को आज भी यहाँ के युवाओं की मजबूत कदकाठी , आपसी भाईचारे व निर्भयता के लिए जाना जाता है। आज भी इन गांवों के नौजवानों को दिल्लीवासी “दिल्ली का राजा ” कहकर संबोधित करते है ।
हो भी क्यों न , इनके लिए ही किसी ने कहा था कि –
“जब तक दिल्ली तंवरो की , तंवर मरे पे औरों की “
ऐसी अनेको लोकोक्तियाँ है जो इन वीर तंवरों की बहादुरी का बखान करती है ।
महाराजा अनंगपाल तंवर जिन्होंने दिल्ली बसाई
तंवर / तोमर उत्तर पश्चिम भारत का प्रमुख राजवंश था ।इतिहासकारों ने जिनमे ए एफ रूडोल्फ प्रमुख है ने भी इतिहास में प्रमुखता से राजा अनंगपाल तंवर व उनके गुर्जर कुल का बखान किया है । गुर्जर समुदाय में बहुतायत में ये गोत्र पाया जाता है और देश के विभिन्न हिस्सों में तंवर गोत्र के गुर्जर रहते है ।कुछ जगहों पर गुर्जरो के इस गोत्र को तोमर के नाम से भी जाना जाता है।
तंवर वंश का उदय गुर्जर प्रतिहार वंश के उदय के साथ ही होता है, यह गुर्जरों का चरमोत्कर्ष था जब पूरे उत्तर भारत में गुर्जर वंश शासन कर रहे थे, गुर्जर काल में गुर्जर प्रतिहारों के सामंत के तौर पर दिल्ली में तंवर वंश की भी शुरुआत हुई जिन्होंने दिल्ली को बसाया और आबाद किया.
कर्नल टॉड के अनुसार 736 ईसवी में गुर्जर नरेश अनंगपाल तंवर द्वारा दिल्ली की स्थापना होना बताया है। अनंगपाल द्वितीय तक दिल्ली पर 19 तंवर वंश की पीढ़ी के शासकों द्वारा शासन किया जाता रहा । दिल्ली सरकार के कई दस्तावेजों में तंवर गुर्जरो द्वारा दिल्ली बसाये जाने का जिक्र है। उन्होंने ही गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिरभोज की याद और सम्मान में मिहिर – अरावली यानी महरौली बसायी थी
अपने शासनकाल के दौरान राजा अनंगपाल तंवर ने अपनी प्रजा के लिए सैंकड़ों निर्माण कार्य कराए जो आज भी इतिहास की गवाही देते हैं इन सबमें अरावली पर्वत श्रंखला में ही आबाद गांव अनंगपुर है जहां राजा तंवर ने लगभग एक हजार साल पहले विशाल बांध का निर्माण कराया जो आज भी इस क्षेत्र में बसने वाले गुर्जर समुदाय के लोगो के लिए संजीवनी की भूमिका निभा रहा है।
अनंगपुर गांव में भडाना गोत्र के गुर्जर निवास करते हैं जिन्होंने बताया कि वह अनंगपाल तंवर के इस बांध के बिल्कुल समीप रहते हैं व आज भी किस्से कहानियों में राजा अनंगपाल तंवर के शासन को याद करते हैं।
कई प्रदेशो में जाकर बसे तंवर वंश के लोग
दिल्ली में महरोली के पास तंवर गोत्र के मुख्य 8 गांवों को मिलाकर पूरी दिल्ली में करीब 20 गांव है जिनमे महाराज अनंगपाल तंवर के वंशज रहते हैं ।
लगातार मुगलों से भिड़ंत और बाद में 1857 में अंग्रेजो से युद्ध लड़ने के कारण इन गांवो से पलायन भी हुआ जिसके बाद इन्होंने अलग अलग प्रदेश जिनमे राजस्थान , मध्यप्रदेश , हरियाणा , उत्तर प्रदेश , पंजाब , उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर प्रमुख है , में जाकर सैकड़ो गांव बसाये। जहां आज भी क्षेत्रीय बोली के अनुसार तंवरो को तोमर , तंवर , तवर , तन्वर कहा जाता है।
1857 क्रांति में राजा तंवर के वंशजो का बलिदान
दिल्ली बसाने से लेकर आजादी तक इन तंवरो ने दिल्ली की रक्षा की । 1857 की क्रांति में राव दरगाही तंवर के नेतृत्व में दिल्ली के इन गांवों ने अंग्रेजो को सबसे बड़ी चुनौती देकर अपने पूर्वज अनंगपाल तंवर का नाम झुकने नही दिया।
1857 में मेरठ में क्रांति की चिंगारी सुलग चुकी थी। जिसमे बागपत , दादरी , बुलंदशहर व उसके बाद दिल्ली के चन्द्रावल गांव एवम महरौली क्षेत्र में भी क्रांति का बिगुल बज गया । मेरठ से क्रांति का संदेशा मिलते ही दिल्ली में क्रांतिकारियों ने मेटकेफे हाउस का विध्वंस कर दिया। जिसके खँडहर आज भी क्रांति की गवाही देते है।
जिसके बाद 2 अक्टूबर 1857 को अग्रेज सरकार ने क्रांति का दमन करने के लिए महरौली क्षेत्र के तंवर वंसजो के सभी गाँवो को 15 हजार सशस्त्र सेना के साथ चारो तरफ से घेर लिया और 12 साल से ऊपर के सभी पुरुषों को मौत के घाट उतार दिया । बताते है कि गांव में छोटे बच्चों को छोड़कर कोई पुरुष नही बचा था।
तंवर वंशजो की वीरता का बखान इस तरह से किया जा सकता है कि इस घटना के ठीक 7 साल बाद इन्ही नौजवानों ने अंग्रेजी पुलिस चौकी पर हमला किया व अपने पूर्वजों की हत्या के जिम्मेदार अंग्रेजी अफसरों के सर धड़ से अलग कर दिये ।
इस घटना का उल्लेख आज भी इतिहासकार प्रमुखता से करते है
लहरा रहे है कामयाबी का परचम
तंवर गोत्र के इन गाँवो ने जहाँ इतिहास में खूब संघर्ष किया तो वही आजादी के बाद भी कामयाबी की नई इबारत लिखी है । वैसे तो दिल्ली में गुर्जर समुदाय हर क्षेत्र में प्रगति की राह पर है लेकिन अगर सिर्फ तंवर गोत्र के गुर्जरो की बात की जाये तो इस समाज ने कई सांसद और विधायक दिए है । चौधरी कंवर सिंह तंवर (पूर्व सांसद अमरोहा) , चौधरी ब्रह्मसिंह तंवर ( पूर्व विधायक महरौली व छतरपुर ) चौधरी बलराम तंवर ( पूर्व विधायक महरौली व छतरपुर) , चौधरी करतार सिंह तंवर ( वर्तमान विधायक छतरपुर ) , डॉ सोमेंद्र तोमर ( विधायक मेरठ दक्षिण) जैसे कई चर्चित नाम है ।
तंवर वंशजो की संपन्नता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ साल पहले फ़त्तेपुर बेरी गांव देश की सबसे महंगी शादी ( 500 करोड़) को लेकर चर्चा में आया था। जिसमे पूर्व सांसद चौधरी कंवर सिंह तंवर के पुत्र व सांसद सुखवीर सिंह जौनापुरिया की पुत्री का विवाह धूमधाम से सम्पन्न हुआ था । यह शादी उस वक्त तक की सबसे महंगी शादी बताई गई थी
चर्चित आईएएस महेंद्र सिंह तंवर जो वर्तमान में ग़ाज़ियाबाद के निगम आयुक्त है , भी तंवरो के इन्ही गांवों से संबंध रखते है ,कुछ पीढ़ियों पहले उनके पूर्वज भी इन्ही गाँवो से जाकर रोहतक में जाकर बस गए थे । देश भर में तालाब बचाने की मुहिम चलाने वाले “पोंडमेन” के नाम से प्रसिद्ध पर्यावरणविद रामवीर तंवर भी इन्ही गाँवो से संबंध रखते है। इनके परिजन भी करीब 100 साल पहले फ़त्तेपुर से आकर ग्रेटर नोएडा में बस गए थे ।
“पीरियड एंड ऑफ द सेंटेंस ” फ़िल्म से ऑस्कर अवार्ड जीतने वाली स्नेह तोमर का भी दिल्ली के इन गांवों से ऐसा ही नाता है। इनके पूर्वज भी आजादी से लगभग 120 साल पहले दिल्ली के इन्ही गाँवो से काठीखेड़ा हापुड़ में जाकर बसे थे । ऑस्कर जीतने वाली स्नेहा तंवर इसी काठी खेडा से है।
रिषभ तंवर जिन्होंने हाल ही में दिल्ली ज्यूडिशरी में सफलता पाई है एवं पूर्व रणजी खिलाड़ी नवदीप तोमर जोकि वर्तमान में बॉलीवुड में जाना माना नाम है और आश्रम जैसी चर्चित वेबसीरीज में अहम किरदार निभा चुके है , राजा अनंगपाल तंवर के इन्ही गाँवो से संबंध रखते है।
बॉडी बिल्डिंग , कुश्ती जैसे पारंपरिक शौक के साथ साथ तंवरो के इन गाँवो के युवा मैनेजमेंट, लॉ , इंजीनियरिंग सहित नए नए क्षेत्रो में भी कामयाबी की कहानियाँ लिख रहे है ।
इतना होने के बाद भी क्षेत्र के लोगो मे इस बात को लेकर मायूसी है कि उनके पूर्वज राजा अनंगपाल तंवर को इतिहास में वह स्थान नही मिला जिसके वह हकदार है। लेकिन भारत सरकार के इतिहास पुनर्लेखन की चर्चा से ग्रामीणों की उम्मीदों को बल मिला है । पिछले कुछ महीनों से केंद्र सरकार के नुमाइंदे इतिहास के पुनर्लेखन को लेकर मेहरौली क्षेत्र के तंवर वंशजो के गाँवो की धरोहरों को खंगाल रहे है।
– सुनील नागर
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अत्यंत सारगर्भित लेख ।
अत्यंत सारगर्भित लेख ।
तथ्यात्मक जानकारी
BAHUT ACHCHHI ZAANKARI SUNIL BHAI NE DI HAI
गुर्जर सम्राट मिहिर भोज , अनंगपाल तंवर, पृथ्वी राज चौहान की जय हो
Sabhi ko Ram Ram Ji Sunil nagar ji main j k tanwar actor/director aap se milna chahta hu tanwar vansh itihaas se Judi kuchh aur baten share karna chahta hu kripya mujhe milane ki anumati dene ka kasht Karen dhanyvad