आज से ठीक 11 साल पहले भारतीय क्रिकेट टीम ने वो करके दिखाया था जिसका सपना हर एक भारतीय की आंखों में बसता है। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में आज ही के दिन भारत ने विश्वचैंपियन का खिताब हांसिल किया था। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में इंडियन क्रिकेट टीम ने विश्वकप जीतकर इतिहास रच दिया था। इस मैच में धोनी के साथ युवराज ने 54 रनों की शानदार पारी खेली थी।
वहीं, इससे पहले धोनी गौतम गंभीर के साथ 109 रनों की शानदार पारी खेल चुके थे। यही वो मैच था जब गंभीर ने 97 रनों की धुआंधार पारी खेलकर भारतीय टीम को लक्ष्य हांसिल करने में मदद की थी।
274 रनों का मिला था टार्गेट
बता दें, इस मैच में श्रीलंका ने टॉस जीतकर बैटिंग का फैसला लिया था। इस दौरान श्रीलंकाई टीम ने 6 विकेट गंवाकर 274 रनों का लक्ष्य भारतीय टीम के समक्ष रखा था। इसके जवाब में इंडियन टीम के दमदार खिलाड़ियों ने 4 विकेट पर 277 रनों से मैच जीतकर इतिहास रच दिया था।
इस मैच का अंत उस वक्त के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने बल्ले से हेलिकॉप्टर शॉट मारकर किया था। उनके बल्ले से बॉल गोली की तरह बाउंडरी पार करते हुए स्टेडियम के बाहर चली गई थी। धोनी का यह सिक्स आज भी लोगों की आंखों में आंसूं ला देता है।
भावुक हो गए थे युवराज
मैच जीतने की खुशी भारतीय टीम के प्लेय़र्स के चेहरे पर साफतौर पर झलक रही थी। हर किसी की आंखें नम थीं। हरफनमौला युवराज जीत की खुशी में खुद को रोक नहीं पाए थे और स्टेडियम में ही फफक कर रो पड़े थे।
सचिन को दिया गया था ट्रिब्यूट
इसके अलावा बाकी प्लेयर्स ने क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को कंधे पर बिठाकर पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया था। इस दौरान सचिन को देश की जनता ने सलाम किया था औऱ क्रिकेट के इतिहास में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया था।
28 साल पहले भी रचा गया था इतिहास
मालूम हो, ऐसा दूसरी बार हुआ था जब भारत विश्वकप विजेता बना था। इससे पहले साल 1983 में इंडियन क्रिकेट टीम ने कपिल देव की कप्तानी में यह खिताब अपने नाम किया था। इसके ठीक 28 साल बाद भारत को साल 2011 पद्वी दोबारा मिली थी। अब देश अपने तीसरे खिताब की तलाश में जी रहा है।
हर किसी की आंखे आज भी उन पलों को याद करके नम हो जाती हैं जब इंडियन प्लेयर्स ने मैच का रुख अपनी तरफ मोड़ने के लिए जी जान लगा दी थी।