Saturday, September 14, 2024

धार्मिक आडम्बरो पर प्रहार करता विज्ञान ! – ‘झकझकिया’ की कलम से

●GOD OF THE GAPS●
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एक वक़्त था.. जब विश्व के सर्वश्रेष्ठ दिमाग… ये मानते थे कि… पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केंद्र है
जल पृथ्वी के ऊपर है…. जल से ऊपर वायु
वायु से ऊपर अग्नि से बने चाँद सितारे
और ये सितारे.. एक “पांचवे दैवीय तत्व” Fifth Element से बने हुए क्रिस्टल के गोलों में जड़े हुए नगीने हैं
ये क्रिस्टल के गोले… पृथ्वी के चारो तरफ रिंग शेप में मौजूद हैं… और घूमते रहते हैं
इसी कारण इन क्रिस्टल के गोलों में जड़े हुए ग्रह… सितारे आदि गति करते हैं !!!
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आज 21वी सदी में.. हमारे भेजे स्पेसक्राफ्ट… मंगल, ज्यूपिटर, शनि आदि ग्रहो की कक्षाओ को भी पार कर.. सोलर सिस्टम की अनकही अँधेरी वादियो में प्रवेश कर चुके है।
इन स्पेसक्राफ्ट में लगे “माइक्रो मेटेरोइट सेंसर्स” को सोलर सिस्टम में कहीं भी क्रिस्टल के कण प्राप्त नही हुए है
ना ही इन स्पेसक्राफ्ट ने क्रिस्टल के बने कोई गोले अथवा दीवार डिटेक्ट की है
आज हमारे पास डायरेक्ट प्रूफ है.. कि… क्रिस्टल से बने आकाशीय गोलों की थ्योरी.. आधारहीन है
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प्राचीन काल में प्रचलित… पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का केंद्र मानने वाला “जियोसेंट्रिक मॉडल”… ब्रह्माण्ड के कई पिंडो की सफल व्याख्या कर सकता था
लेकिन “Phases Of Venus” तथा “Retrograde Motion Of Planets” जैसी कुछ समस्याएं थी… जिन समस्याओ का इस मॉडल के पास कोई ठोस जवाब नही था !!!
(इन समस्याओ की विस्तृत चर्चा मैं जल्द अपने आने वाले पोस्ट Centre Of The Universe में करूँगा)
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जवाब.. निकोलस कॉपरनिकस के द्वारा आया
और पृथ्वी को उसकी विशिष्ट स्थिति से डिमोट कर के.. कॉपरनिकस ने… सूर्य को ब्रह्माण्ड का केंद्र मान कर “हेलियोसेंट्रिक मॉडल” की स्थापना की..
जिस मॉडल में क्रिस्टल के रिंग्स में जड़े हुए सभी ग्रह… पृथ्वी के नहीं… बल्कि सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगाते थे
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निकोलस की थ्योरी अभूतपूर्व रूप से कामयाब थी… और ग्रहों की गति से सम्बंधित सभी सवालो का सटीक उत्तर देती थी
लेकिन एक सवाल ऐसा भी था… जिसका जवाब कॉपरनिकस के पास भी नहीं था
और वो सवाल था…
“क्रिस्टल से बने इन गोलों को घुमाता कौन है???”
और कॉपरनिकस के पास.. इस चुभते हुए सवाल का एक ही जवाब था !!!
Its An Act Of God !!!
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बहुत जल्द… कॉपरनिकस से सिर्फ कुछ साल बाद… एक नौजवान “आइजक न्यूटन” की मैथमेटिकल समीकरण “GMm/r2” ने… क्रिस्टल के गोलो को घुमाने की मेहनत करने वाले.. दैवीय दूतो अथवा देवताओ को छुट्टी पर भेज दिया
और ये स्थापित किया कि… सोलर सिस्टम के सभी ग्रह… सूर्य के चारो तरफ.. सूर्य की ग्रेविटी के कारण घूमते है
लेकिन ये ग्रह और सूर्य आएं कहाँ से?
दुर्भाग्य से… न्यूटन के समय में… कोई भी “Stellar Evolution” यानी सितारों और ग्रहो के निर्माण की प्रक्रिया से परिचित नही था
तो न्यूटन के पास भी इस समस्या का एक ही जवाब था
And After God Set Planets In Motion… !!!!
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पृथ्वी पर मानव के इतिहास पर नजर दौड़ाने पर… सबसे रोचक बात मुझे ये लगती है
कि… प्राचीन काल में मानवो से जुड़े तुच्छ से तुच्छ मामलो की व्याख्या… उन मामलो को ब्रह्माण्ड के गूढ़ रहस्यों से जोड़ कर की जाती थी
इसका एक मजेदार किस्सा ईसा से 1000 वर्ष पूर्व मेसोपोटामिया की असीरियन सभ्यता से जुड़े दस्तावेजो में पाया जाता है।
दांतो के एक कीड़े के सम्बन्ध में कहा गया ये किस्सा… ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ शुरू होता है… और कीड़े की दवाई के साथ खत्म !!!
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“जब अनु (Anu=Supreme God) ने देवलोक बनाया… देवलोक से पृथ्वी अलग हुई… पृथ्वी पर नदिया बनी… नदियो से नहरे… नहरो से दलदल पैदा हुई और… दलदल से कीड़े….
तो कीड़ा रोते हुए न्याय के देवता Shamash के पास जा कर बोला
What Will Thou Give Me For My Food, Drink?
(मेरा इस दुनिया में भोजन क्या होगा?)
तो कीड़े को हुक्म दिया गया कि मानवो के दांतो में रह कर अपना भोजन प्राप्त करो
लेकिन कीड़े का इलाज है
Second Grade Beer & Oil Mix With Salt !!!!
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गलती हमारे पूर्वजो की नहीं है
हमारे पूर्वजो ने जिस दुनिया की कल्पना की थी
वो एक बहुत छोटी दुनिया थी !!!
ऐसी दुनिया… जिसके रंग मच की स्टेज पे इंसान मुख्य भूमिका में था !!!
ये चाँद सितारे, मिटटी, सागर, कीड़े… सब हमारे लिए बनाये गए थे
ये वो दुनिया थी.. जिस दुनिया में… वर्षा कराने, फसल उगाने, आग, जल, पर्वत… हर चीज, हर प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए ईश्वर के दूत तत्पर रहते थे !!!
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ये वो दुनिया थी..जिसमे धरा कांपती थी… तो हम अपने जीवन के लिए प्रार्थनाएं करते थे !!!
ये वो दुनिया थी… जिसमे अपनों के खून बहा कर… उनकी बलि देकर… हम देवताओ को प्रसन्न किया करते थे !!!
हमारे चारो तरफ… सब कुछ… आश्चर्यजनक था… रहस्यपूर्ण था
सूर्य और चंद्रमा हमारे अभिवावक, हमारे बाप थे
और चाँद सितारों की दुनिया के पार… अँधेरी दुनिया में एक अज्ञात शक्ति का साम्राज्य था
जिस “अज्ञात की दासता के अंगीकार” को हमने अपनी नियति समझ के स्वीकार कर लिया था !!!
Everything Unexplainable… Was AN ACT OF GOD !!!
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और फिर… वक़्त बदलने लगा !!!
और जल्द… इंसानो ने अपने इतिहास का वो अभूतपूर्व पन्ना लिखा… जिस पन्ने पर…
सूर्य हमारा बाप नहीं… एक मामूली हाइड्रोजन-हीलियम से बना सितारा था
One Single Ordinary Star… Among Trillions Of Stars Of This Vast Universe !!!
एक ऐसा सितारा… जिसे हम अपनी ऊर्जा की जरूरते पूरी करने के लिए इस्तेमाल करेगे !!!
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चाँद… अब हमारा अभिवावक नहीं..
चाँद अब एक बेजान.. पृथ्वी के चारो तरफ चक्कर लगाने वाला चट्टान का मामूली टुकड़ा था
अंतरिक्ष की गहराइयो को पार कर… इंसानो ने… जिस टुकड़े पर… अपने कदमो के निशान बनाये !!!
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पिछले 500 वर्षो में… विज्ञान ने प्रकृति के हर रहस्य को परिभाषित कर… धार्मिक आडम्बरो पर निर्मम प्रहार किये हैं
और… हर प्रहार के साथ… विज्ञान ईश्वर के दूतो को उनकी नौकरी पर से छुट्टी पर भेजता रहा है !!!
आज विज्ञान लगभग लगभग सभी चीजो के रहस्य खोलने में सफलता पा चुका है
जहाँ सफलता नही मिली है… वहां जरुरी नही कि आगे भी नही मिलेगी !!!
सैद्धान्तिक रूप से हम इस ब्रह्माण्ड को अपने पूर्वजो से बेहतर जान पाये हैं !!!
फिलहाल ऐसी सिर्फ दो चीजे हैं… जहाँ मानव की समझ आ कर चरमरा जाती है!!!
1: ब्लैकहोल के तल में क्या है?
2: इस दुनिया का अस्तित्व क्यों हैं?
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चूँकि समानांतर आयामो (Higher Dimensions) का विज्ञान अभी अपने शैशव काल में है… इसलिए कहा जा सकता है कि.. अगले 100 साल के अंदर हम “Theory Of Everything” ढूंढ लेंगे… जिससे हम ब्लैकहोल की सफल व्याख्या और “ब्रह्माण्ड निर्माण से पूर्व ब्रह्माण्ड की स्थिति” के बारे में सफल भविष्यवाणी कर पायेगे !!!
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फिर सिर्फ एक आखिरी सवाल बचेगा !!
शायद…इस सवाल का जवाब हमें कभी ना मिले !!!
शायद… हम कभी ना जान पाये कि ये दुनिया किसने और क्यों बनाई
लेकिन
तब हमारे सामने दुनिया बनाने एक ऐसा ईश्वर अवश्य होगा… जो ब्रह्माण्ड के नियम बनाता है… दुनिया शुरू करता है
ईश्वर की बनाई ये दुनिया… इसका कण कण… एक पूर्व निर्धारित प्रक्रिया का पालन करता है
खुद ईश्वर भी इसमें हस्तक्षेप नही कर सकता !!!
तो फिर ईश्वर के पास छुट्टी पे चले जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता !!!
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तो अगर ब्रह्माण्ड के नियम ही… ब्रह्माण्ड की सत्ता का संचलन करते हैं
तो… हमें किसी ईश्वर/खुदा/गॉड की आवश्यकता ही क्या है?
Why Do We Need Such Boring & Useless God ???
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Why Not To Save A Step & Say…
COSMIC RULES..
RULE THE WORLD !!!!
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– विजय सिंह ठकुराय “झकझकिया “

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