Tuesday, November 28, 2023

गोदरेज पर ‘मेड इन इंडिया’ लिखवाने के लिए अंग्रेजों से भिड़ गए थे अर्देशिर गोदरेज, जानिये पूरी कहानी

गोदरेज एक ऐसा ब्रांड है जिसका नाम बच्चे बच्चे की ज़ुबां पर है. हर घर में गोदरेज का फर्नीचर, अल्मिराह, लॉकर और भी कई चीजें। क्या आप जानते है गोदरेज की ब्रांड बनने की कहानी? आपको जानकारी के लिए बता दें की जिस समय गोदरेज की शुरुआत हुई देश में चोरी और लूटपाट के कई किस्से आये दिन सुनने मिलते थे. आपको बता दें की गोदरेज की एक वकील ने रखी थी जिसका नाम अर्देशिर गोदरेज था. आइये जानते है पूरी कहानी.

सच के पुजारी थे आर्देशिर गोदरेज

आपको बता दें की गोदरेज की शुरुआत बंबई के एक यूवा ने की थी जो पेशे से वकील थे. और देश मे चोरी और लूटपाट की बढ़ती घटनाओं को देखकर उन्होने गोदरेज की नीव रखी.

अर्देशिर गुजरात के भरूच के रहने वाले थे, वे  एक पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे. इनका जन्म 26 मार्च 1868 मे हुआ था. जैसा की आपको ऊपर बताया की अर्देशिर सच्चाई के पुजारी थे, तो आपको बता दें की वे महात्मा गांधी के विचारों पर विश्वास करते थे. चूंकी वे वकालत की पढ़ाई करते थे उन्होने ज़िंदगी मे कभी भी झूठ का साथ ना देने का फैसला किया था.

अर्देशिर ने आगे चलकर अपनी वकालत की पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया. क्योंकी वे जान गये थे की सच्चाई की नीव पर वकालत को घर नही बनाया जा सकता. वे पढ़ाई बीच मे ही छोड़कर मुंबई आये और नई शुरुआत करने का फैसला किया.

ताले से हुई थी गोदरेज की शुरुआत

आपको बता दें की अर्देशिर ने सबसे पहले अपनी किस्मत एक और बिज़नेस मे अपनाई थी. लेकिन उनका वह बिज़नेस अंग्रेज़ों के कारण नही चल सका. उन्ही दिनों मे अर्देशिर ने अखबार मे एक खबर पढ़ी जिसमे देश मे हो रही चोरियों के बारे मे लिखा था. इस से उन्हे आईडिया आया एक ऐसा ताला चाबी बनाने का जो किसी अन्य चाबी से ना खुल सके.

अर्देशिर को यह आईडिया काफी भा गया और उन्होने ठान लिया की वे एक बार फिर अपनी किस्मत आज़माएंगे. उन्होने मेखानजी को जब अपना यह आईडिया बताया तो वे अर्देशिर को उधार देने के लिये राज़ी हो गए.

लोग हुए प्रभावित

आपको बता दें की उस समय देश मे चोरी चकारी के किस्से आये दिन बढ़ रहे थे. बाकी तालों की बात की जाये तो उस समय किसी अन्य चाबी से ताला आसानी से खोला जा सकता था. और ताला चाबी बनाने वाले ताले की गारंटी नही लेते थे. ऐसे मे अर्देशिर ने गोदरेज को कुछ इस तरह लोगो के सामने रखा की लोग काफी जल्दी उनसे प्रभावित हो रहे थे, क्योंकी अर्देशिर ने कहा था की इस ताले चाबी की जोड़ी को कोइ अन्य चाबी से नही खोला जा सकता.

आपको बता दें की गोदरेज आज सिर्फ तिजोरी और अल्मिराह तक ही नही, और भी कई प्रोडक्ट्स मे भी शामिल है. साल 1905 तक अर्देशिर काफी मजबूत ब्रांड बन चुका था.  गोदरेज ने साल 1918 में पहला वनस्पति तेल वाला साबुन और साल 1923 में अन्य फर्नीचर प्रोडक्ट्स बनाना शुरु किया. साल 1958 में रेफ्रिजरेट और 1990 के दशक में गोदरेज ने रियल एस्टेट मे भी कदम रखा.

 

मामुली रकम से शुरु हुआ गोदरेज का यह बिज़नेस आज लाखो करोड़ो लोगो की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है.

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