हरिद्वार। घर की चौखट लांघ खुद के लिए मुकाम बनाने वाली एक महिला आज दर—दर की ठोकरे खाने को मजबूर है। कुशल वक्ता के साथ अल्मोड़ा की कुमाऊं यूनिवर्सिटी से छात्रसंघ उपाध्यक्ष भी रह चुकी है। इतना ही नहीं, यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी में चार साल तक नौकरी की। साल 2002 में सोमेश्वर सीट से बतौर विधानसभा का निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव भी लड़ा। राजनीति शास्त्र और अंग्रेजी से एमए की डिग्री हासिल करने वाली हंसी प्रहरी ने कभी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसे हालात आ जाएंगे। हालांकि, मामला मीडिया में आने पर जिला प्रशासन ने महिला की हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है।
जानकारी के अनुसार, हंसी प्रहरी अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक स्थित रणखिला गांव की रहने वाली है। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी है। इन्होंने गांव में ही रहकर इंटर तक शिक्षा ग्रहण की। आगे की पढ़ाई उन्होंने कुमाऊं यूनिवर्सिटी से की। पढ़ाई के साथ-साथ यूनिवर्सिटी की अन्य एजूकेशनल गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी। काबालियत के चलते ‘साल 2000 में छात्रसंघ चुनाव के दौरान उपाध्यक्ष चुनी गई। हंसी प्रहरी के मुताबिक, आए दिन ससुराल वालों के तानों से परेशान होकर 2008 में लखनऊ से हरिद्वार चली आई।
ऐसे आई सुर्खियों में
हरिद्वार में हंसी रविवार को सड़क किनारे अपने 6 साल के बेटे को पढ़ा रही थी। उसी दौरान उनपर एक मीडियाकर्मी की नजर चली गई। उस दौरान वे अपने बेटे के साथ फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रही थी। यह देखकर वहां से गुजरने वाले लोग भी हैरान रह गए। यहां शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण वह नौकरी नहीं कर पाई और रेलवे स्टेशन, बस अड्डा आदि स्थानों पर भीख मांगने लगी। हंसी कहती है कि वे अपने बेटे को प्रशासनिक अधिकारी बनाना चाहती है। उनकी एक बेटी नानी के पास पढ़ रही है। उन्होंने बताया कि बेटी ने पिछले साल ही हाईस्कूल में 97 प्रतिशत मॉक्र्स हासिल किए थे। बेटे की पढ़ाई के लिए कई बार मुख्यमंत्री समेत अन्य अधिकारियों को भी लेटर लिख चुकी है।