Monday, September 16, 2024

15 साल में छोटे से मकान में रहने वाला पीयूष जैन कैसे बना एक हजार करोड़ का मालिक !

उम्र 59 साल…..रंग गोरा…….कद…..5 फुट 4 इंच……..नाम पीयूष जैन……पता जिला जेल बैरक नंबर 15….जी हां हम बात कर रहे हैं उसी व्यापारी की जिसे आज दुनिया धनकुबेर के नाम से जानती है। पिछले दिनों हुई जीएसटी की छापेमारी में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर से 280 करोंड़ नगदी, 250 किलो चांदी, 23 किलो सोने की ईंटें, 600 किलो चंदन का तेल, 400 करोंड़ रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी के दस्तावेज पाए गए हैं। यह रेड अहमादाबाद से आई डायरेक्ट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) और आयकर विभाग (आईटी)  की टीम ने डाली थी।

12 मशीनों से हुई नोटों की गिनती

रेड की शुरुआत कानपुर के आनंदपुरी स्थित कारोबारी के आवास से हुई जिसमें तकरीबन 180 करोंड़ रुपये की बरामदगी हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घर से पुलिस को इतनी संख्या में नोटों के बंडल मिले थे कि उन्हें गिनने के लिए 12 मशीनों का सहारा लेना पड़ा। 24 घंटे से अधिक समय तक चली इस कार्रवाई के बाद पुलिस ने पीयूष के कन्नौज स्थित आवास पर डेरा जमाया।

तहखाने में रखे थे नोटों के बंडल

कन्नौज के छिपट्टी मोहल्ले में बना यह घर पीयूष का पुस्तैनी घर है। इस घर में चले तलाशी अभियान के तहत पुलिस के हाथ करोंड़ों की नगदी, सोने-चांदी के बर्तन, 500 चाबियां, 109 ताले और 19 लॉकर लगी है। बताया जा रहा है इस दौरान पुलिस को पीयूष जैन के घर में एक तहखाना भी मिला जिसमें बोरों में भरकर नोटों के बंडल रखे हुए थे। इन सभी को फिलहाल जीएसटी की टीम ने जब्त कर लिया है।

बैरक नंबर 15

बता दें, जीएसटी की चोरी, काला धन रखने आदि आरोपों के तहत पीयूष जैन को गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके बाद सोमवार को उसे कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था। इस दौरान न्यायालय ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। खबरों के मुताबिक, पीयूष को जिला जेल की बैरक नंबर 15 में रखा गया है।

पिता से सीखा कंपाउंड का काम

मालूम हो, पीयूष और उसका परिवार साधारण तौर पर जीवन यापन करता था। केमेस्ट्री से एमएससी से कर चुके पीयूष जैन ने अपने पिता से कपाउंड का काम सीखा था। उनके पिता महेश जैन मुंबई में कंपाउंड का काम किया करते थे बाद में साल 1968 में उन्होंने कन्नौज की तरफ रुख किया। इस दौरान इत्रनगरी में सिर्फ फूलों से इत्र निकालकर खुशबू तैयार की जाती थी। कहा जाता है, महेश जैन ने ही कन्नौज में केमिकल्स के जरिये कंपाउंड तैयार करने की प्रथा की शुरुआत की थी। जिसपर उनका स्थानीय लोगों ने काफी विरोध किया था लेकिन समय के साथ उनकी इस तकनीक को कन्नौज के अन्य व्यापारियों ने भी अपना लिया और बिजनेस शुरु कर दिया।

एक कमरे से तय किया 1 हजार करोंड़ रुपये का सफर

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीयूष के पिता महेश डिटर्जेंट और साबुन बनाने वाली कंपनियों को कंपाउंड बेचा करते थे। लेकिन पीयूष उनसे दो कदम आगे निकला उसने मसाला व्यापारियों को कंपाउंड बेंचना शुरु किया। इस बिजनेस में वह इतना माहिर हो गया कि आज एक कमरे के मकान से उसने 1000 करोंड़ तक का सफर तय कर लिया।

 

 

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