Thursday, December 5, 2024

देश का सबसे धनवान व्यक्ति जिससे अंग्रेज और राजा भी लेते थे कर्ज, इतना सोना था की नदी में बनवा सकता था दीवार

अगर आपसे कोई पूछे की देश का सबसे अमीर आदमी कौन है तो आप मुकेश अम्बानी या अडानी का नाम लेंगे। लेकिन थोड़ा पीछे जाकर जब यही बात पूछी जाए की पहले के समय में कौन था तो शायद आप सही तरीके से न बता पाएं। तो आइए हम आपको बता देते हैं. यह एक ऐसे अमर व्यक्ति थे जिनसे अंग्रेज सरकार भी कर्जा लिया करती थी. इनके पास इतना सोना था की अगर चाहते तो किसी नदी में सोने की दीवार बनवा सकते थे.

कहा जाता था banker of the world-
अंग्रेजों तक को कर्ज में पैसे देने वाले व्यक्ति का नाम था जगत सेठ. यह बंगाल के मुर्शिदाबाद के थे. इन्हे Jagat Seth of Murshidabad भी कहा जाता था. जगत सेठ एक घराना था जिसके संस्थापक सेठ मानिकचंद थे. इनके पास इतना पैसा था की अंग्रेज और कई सारे राजा भी इनसे कर्ज लिया करते थे. सेठ मानिकचंद का जन्म नागौर के एक मारवाड़ी परिवार में 17वीं शताब्दी में हुआ था. इसके बाद इनके पिता पटना चले गए वहां पर Saltpetre का बिजनस शुरू किया जिससे उन्होंने खूब पैसे कमाए।

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संभाला बंगाल का काम-
मानिकचंद ने जब ये काम संभाला तो उनकी दोस्ती बंगाल के दीवान मुर्शीद कुली खान के साथ हो गई. इनके साथ मिलकर मानिकचंद बंगाल का पूरा टैक्स का काम संभालने लगे. धीरे-धीरे इनका परिवार मुर्शिदाबाद में ही रहने लगा. इसके बाद दिल्ली, ढाका पटना समेत कई जगहों पर इनकी ब्रांच खुल गई लेकिन मुख्य काम मुर्शिदाबाद से ही होता था.

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इतना था धन-
इस घराने के पास इतना अधिक धन था की इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया था. इनके पास इतना अधिक सोना था की ये चाहते तो सोने की दीवार बनवाकर गंगा का पानी रोक सकते थे. उस समय पर इनके पास 10, 000, 000 पाउंड के आसपास पैसा था जो आज के समय में 100 बिलियन पाउंड होता है. इनके पास सेनाओं की संख्या 2000 के आसपास थी जिसके माध्यम से ये कई सारे लोगों से टैक्स और लगान वसूल किया करते थे. अंग्रेज इनसे अच्छे खासे प्रभावित थे. इनके पास इतना पैसा था की अंग्रेजों की पूरी अर्थव्यवस्था इनके सामने छोटी पड़ती थी.

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अब नहीं मिलते लोग-
धीरे धीरे इस घराने के लोग गायब होने और आज के समय में कोई भी इनका वंशज नहीं मिलता है. साल 1900 आते-आते जगत सेठ का घराना ही गायब हो गे. इनकी तुलना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड से की जाती थी और अंग्रेज इनके सामने झोला फिलै खड़े रहते थे

Ambresh Dwivedi
Ambresh Dwivedi
Writer, news personality
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