1966 में जब इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री बनी तो उनके आलोचकों ने उन्हें एक नया नाम दिया – गुड़िया । ये शायद इसलिये था कि उन्हें इंदिरा के रूप में एक कमजोर और कम बोलने वाली महिला नजर आती थी । लेकिन जैसे ही इंदिरा ने मजबूत फैसले लेने शुरू किए उन्हें नया नाम आयरन लेडी दे दिया गया ।
1977 की हार के बाद जाना पड़ा था जेल
इमरजेंसी के बाद 1972 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था इस चुनाव में हार के बाद इंदिरा गांधी को आशंका थी उनके विरोधी उन्हें गिरफ्तार करवा सकते हैं। इन हालातों में उन्हें जेल जाना पड़ सकता है । इंदिरा गांधी की आशंका सच साबित हुई । हालांकि यह विरोधियों के लिए इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी एक बड़ी राजनीतिक भूल साबित हुई । इसे ” ऑपरेशन ब्लंडर ” कहा गया
उस समय देश में जनता पार्टी की सरकार थी और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे। एमरजेंसी में जेल भेजे गए नेताओं में इंदिरा के खिलाफ गुस्सा था और वे चाहते थे इंदिरा को जेल भेजा जाए ।
तत्कालीन गृह मंत्री चरण सिंह चाहते थे कि चुनाव के तुरंत बाद ही इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी हो जाये लेकिन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बिना किसी ठोस सबूत के इसके लिए तैयार नहीं थे।
फिर जीप घोटाले के रूप में उन्हें एक मजबूत केस मिल गया। 3 अक्टूबर को उनके खिलाफ 3 FIR दर्ज की गई । सीबीआई निदेशक एन के सिंह को FIR की कॉपी देकर इंदिरा गांधी के घर भेजा गया ।
3 अक्टूबर 1977 को हुई थी इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी
तारीख थी 3 अक्टूबर 1977 इस दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी कर ली गयी। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। इंदिरा गांधी पर आरोप था कि उन्होंने 1977 के चुनाव में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दो कंपनी से 104 जीप जबरदस्ती ले ली थी । इसके अलावा करीब डेढ़ करोड़ रूपये पेट्रोलियम कंपनी को दिए गए ठेके में गड़बड़ी के आरोप थे।
विरोधियों का आरोप था कि चुनाव में उपयोग के लिए ये जीप ली गई है और उनका भुगतान पार्टी ने नहीं किया है बल्कि सरकार के पैसे और कुछ उद्योगपतियों से उनका भुगतान कराया गया है । गांधी के साथ उनके चार पूर्व केंद्रीय मंत्रियों की भी गिरफ्तारी हुई ।
वैसे इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक कारण भी थे । आपातकाल के दौरान नेताओं की गिरफ्तारी से इंदिरा गांधी के खिलाफ गुस्सा था। वे इंदिरा को जेल में देखना चाहते थे ।
इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देश भर में जगह-जगह पर धरने प्रदर्शन किए । कांग्रेस कार्यकर्ता नारा लगा रहे थे – “लाठी गोली खाएंगे इंदिरा जी को लाएंगे ” । इंदिरा गांधी को इस गिरफ्तारी के बाद सहानुभूति मिलने लगी
अगले ही दिन हुई रिहाई
4 अक्टूबर 1977 यानि अगले दिन जब उन्हें मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो मजिस्ट्रेट ने सबूत मांगे । सबूत पेश न किये जाने पर मजिस्ट्रेट ने हैरानी दिखाई और तकनीकी आधार पर बिना शर्त इंदिरा गांधी को रिहा कर दिया गया ।
इस तरह इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के बाद विरोधियों की खुशी ज्यादा देर नहीं टिक पाई ।इंदिरा गांधी को रिहाई बिना शर्त मिली थी जिसने इंदिरा गांधी की मजबूत छवि को और गढ़ने का काम किया ।
नुकसान के बजाय फायदा पहुँचाया
इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की इस बड़ी राजनीतिक भूल को ‘ऑपरेशन ब्लंडर’ का नाम दिया गया । इस गिरफ्तारी से नुकसान की बजाए इंदिरा गांधी को फायदा हुआ. इमरजेंसी लगाने की वजह से उनके खिलाफ जो नफरत का माहौल था, वह सहानुभूति में बदल गया । इसके बाद के चुनावों में उन्होंने जोरदार वापसी की.
प्रणब मुखर्जी ने कसा था तंज
कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इंदिरा गांधी के रिहा होने के बाद विपक्षियों पर तंज कसा था . उन्होंने कहा – जो 19 महीने जेल में रहकर आये वो इंदिरा जी को 19 घंटे भी जेल में न रख पाए । इंदिरा को गिरफ्तार करने उनके घर गए सीबीआई के तत्कालीन निदेशक रहे एनके सिंह ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब ‘The Plain Truth: Memoirs of a CBI Officer’ में किया है ।