करतारपुर साहिब में ऐसे कई मामले आये है जब बरसों से बिछड़े हुए निकट संबंधी आपस मे मिले है। कॉरिडोर ने वर्षो पुराने बंटवारे के जख्म तो कुरेदे ही , पर बिछड़ो को मिलाकर कई दशकों की इच्छा भी पूरी की ।
1947 के भारत पाक विभाजन को यदि सदी की सबसे बड़ी त्रासदी कहा जाए तो गलत नही होगा । इस विभाजन ने हजारों -लाखों परिवारों को अपनो से दूर कर दिया । अब करतारपुर साहिब कॉरिडोर की वजह से संभव हुआ है कि कई परिवार अपने बिछड़े परिजनों से मिल पा रहे है। ऐसा ही एक परिवार हाल ही में अपनों से मिला है ।
बंटवारे के 75 साल बाद मिले भाई – बहन
ये कहानी चंड़ीगढ़ के एक पत्रकार, मान अमन सिंह चिन्ना ने अपने ट्विटर पर शेयर की है । उन्होंने भाई बहन की तस्वीर भी डाली है । जिसमे दोनों भावुक दिख रहे है। भाई सिख है और बहन मुस्लिम । बंटवारे के दौरान बहन पाकिस्तान में ही रह गयी जहां उसने मुस्लिम धर्म अपना लिया। भाई भारत मे रहता है । पत्रकार मान अमन सिंह चिन्ना ने लिखा कि करतारपुर कॉरिडोर की वजह से दोनों भाई बहन की मुलाकात संभव हुई है ।
One of the biggest advantages of Kartarpur Corridor has been that long separated siblings from 1947 have been able to meet each other.
Just watched a video of a Indian brother and his Pakistani sister meeting in Kartarpur.
Makes the eyes well up. pic.twitter.com/AY4ZAUQ2yG— Man Aman Singh Chhina (@manaman_chhina) May 16, 2022
अपने ट्वीट में अमन सिंह चिन्ना लिखते है – ‘ करतारपुर कॉरिडोर का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि 1947 में बिछड़े भाई -बहन एक दूसरे से मिल सकते है । अभी एक हिंदुस्तान में रहने वाले भाई और पाकिस्तान में रहने वाली बहन को करतारपुर कॉरिडोर पर मिलते देखा तो आँखे नम हो गयी ‘
पहले भी मिल चुके है 2 भाई
इसी साल जनवरी 2022 में भी दो भाइयों की तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी । बुजुर्ग हो चुके 2 भाई मोहम्मद हबीब और मोहम्मद सिद्दीक बटवारे के 75 साल बाद एक दूसरे से मिले । उम्र के इस पड़ाव पर जब दोनों भाई मिले तो देखने वालों की भी आंखें भर आयी ।
जनवरी 2022 में करतारपुर साहिब में दो भाई विभाजन के 75 साल बाद मिले. शैला, भारत के मोहम्मद हबीब और फ़ैसलाबाद, पाकिस्तान के मोहम्मत सिद्दीक़ कॉरिडोर में गले लग कर रोए. मोहम्मद सिद्दीक़ फ़ैसलाबाद के बोगरा के रहने वाले हैं. सिद्दीक़ का कहना है कि पाकिस्तान बनने के दो दिन पहले उनकी मां छोटे भाई हबीब को लेकर अपने माता-पिता से मिलने गई थी. हबीब की उम्र उस समय कुछ महीने रही होगी. विभाजन के बाद सिद्दीक़ अपनी मां का इंतज़ार करते रहे पर वो नहीं लौटी. 75 साल बाद सिद्दीक़ अपने भाई से दोबारा मिल रहे हैं.
74 साल बाद मिले थे बचपन के दोस्त
करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर मिलने वाले ऐसे ही 2 दोस्त है भारत के 94 वर्षीय गोपाल सिंह और पाकिस्तान के 91 साल के बशीर । जो बचपन मे साथ खेले कूदे लेकिन बंटवारे ने उन्हें एक दूसरे से दूर ला दिया ।
लेकिन अब 74 साल बाद किस्मत ने कुछ ऐसा किया कि बचपन के दोनों दोस्तो को फिर से मिलवा दिया । दोनों की तस्वीर सोशल मीडिया और प्रमुख समाचार पत्रों में खूब छपी। करतारपुर के गुरुद्वारा साहिब में गोपाल सिंह अपने परिवार के साथ दर्शन करने गए तो वहीं उनकी मुलाकात नरोवाल के रहने वाले बशीर से हुई ।
दोनों ने कभी सोचा नही था कि अचानक 74 साल बाद ऐसे मिलेंगे
विभाजन से करोड़ो लोग प्रभावित हुए और कड़वी यादें दोनों तरफ के लोगो को दी । करीब 10 लाख मौते विभाजन की वजह से हुई । वो जख्म आज भी जब तब जिंदा हो जाते है ।कई पीढ़ियों बाद भी उन कहानियों को सुनाकर बुजर्ग रो उठते है । आज की नई पीढ़ी भी वही दर्द महसूस करती है।