Thursday, March 20, 2025

कश्मीर एक राजनीतिक नहीं “इस्लामिक” समस्या है

पाकिस्तान की जीत के बाद कश्मीर में ईद मनाई गई. क्यों?  क्या कश्मीर पाकिस्तान है?  नहीं, कश्मीर तो हिंदुस्तान है.  फिर?

जवाब बहुत सरल है : क्योंकि कश्मीर “मुसलमान” है.

जेएनयू वाले कश्मीर को एक राजनीतिक समस्या बताकर स्वायत्तता और आज़ादी के नारे उछालते रहते हैं. लेकिन वे यह नहीं स्वीकार करते कि कश्मीर मूलतः एक इस्लामिक समस्या है. कि यह एक मज़हबी मुसीबत है. मज़हब को अफ़ीम बताने वाले एक मज़हबी स्टेट के निर्माण के लिए जी जान लगाए हुए हैं, यह इस सदी का सबसे बड़ा मज़ाक़ है. लेकिन जेएनयू के जोकरों से और क्या उम्मीद की जाए.

##

kahsmir separitist terorist अलगाववादी कश्मीर

आज भारत में 29 राज्य हैं. इन 29 राज्यों में एक कश्मीर ही है, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. 68.31 प्रतिशत आबादी. और एक कश्मीर ही है, जो अलगाव के लिए सुलग रहा है. तो आप देख सकते हैं कि समस्या कहां पर है.

उमर अब्‍दुल्‍ला कहते हैं कि जिस दिन धारा 370 ख़त्‍म हो जाएगी, उस दिन कश्‍मीर भी भारत का हिस्‍सा नहीं रह जाएगा. लेकिन उसके बाद कश्‍मीर का क्‍या होगा, इसको लेकर वे स्‍पष्‍ट नहीं हैं. जवाब बहुत सरल है. उसके बाद कश्मीर पाकिस्तान बन जाएगा.

881,913 वर्ग किलोमीटर का पाकिस्तान और 147,610 वर्ग किलोमीटर का बांग्लादेश लेकर अभी मुसलमानों की भूख मिटी नहीं है. यहां मैं 13,297 वर्ग किलोमीटर के “पीओके” की तो बात ही नहीं कर रहा हूँ. आपको क्या लगता है, कश्मीर लेकर उनकी भूख मिट जाएगी?

##

kahsmir separitist terorist अलगाववादी कश्मीर
pic source – google

अलगाव की मांग कौन करता है?

दुनियाभर में अलगाव की मांग स्वयं को हाश‍िये पर महसूस करने वाले वे समुदाय करते हैं, जो कि मुख्यधारा से पृथक क्षेत्रीय, भाषाई, सांस्कृतिक, नस्ली या धार्मिक पहचान रखते हों और स्वयं को बहुसंख्या के साथ असहज महसूस करते हों.

मिसाल के तौर पर, स्पेन का कातालोनिया, जो कि क्षेत्रीय अलगाववाद की सबसे अच्छी मिसाल है. बार्सीलोना के लोग स्वयं को स्पेन का नागरिक तक नहीं मानते. या फिर श्रीलंका के नॉर्दर्न प्रोविंस के तमिल, जो भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर स्वयं को सिंहलियों से भ‍िन्न मानते हैं. या फिर चीन के श‍िनजियांग के उइगर मुसलमान, जो मज़हबी और नस्ली आधार पर अलगाव के हिमायती हैं. सोवियत संघ क्षेत्रीय और नस्ली अलगाव के चलते ही टूटा था और पंद्रह नए देश अस्ति‍त्व में आए थे. इनमें यूक्रेन की क्षेत्रीय आवाज़ सबसे बुलंद थी. यूगोस्‍लाविया सर्ब्‍स, क्रोएट्स, स्‍लोवेन्‍स राजसत्‍ताओं के एक परिसंघ के रूप में बना था, जब वह टूटा तो सर्बिया, क्रोएशिया, स्‍लोवेनिया के रूप में नए राष्‍ट्र तो बने ही, मोंटेनीग्रो, मकदूनिया और बोस्निया-हर्जेगोविना भी अस्तित्‍व में आ गए. टूटन की प्रक्रिया और तीक्ष्‍ण साबित हुई.

लेकिन स्पेन कातालोनिया को अलग राष्ट्र का दर्जा देने को तैयार नहीं. श्रीलंका गृहयुद्ध की क़ीमत चुका सकता है, अलगाव की नहीं. चीन उइगर मुसलमानों का दमन करता है और उन्हें रोज़े तक नहीं रखने देता. यही हालत म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों की भी है. और रूस आज कमर कसे हुए है कि यूक्रेन को फिर से अपने में मिला ले.

एक हिंदुस्तान ही मूरख है जो पाकिस्तान और बांग्लादेश देने के बाद अब कश्मीर को भी हाथ से जाने दे रहा है!

kahsmir separitist terorist अलगाववादी कश्मीर partition बंटवारा भारत पाकिस्तान
भारत पाकिस्तान बंटवारे का आधार भी धर्म ही था
तस्वीर साभार google

##

भारत-विभाजन का आधार इस्लाम था. कश्मीर समस्या के मूल में भी इस्लाम है.

सन् 1947 में नेहरू बहादुर ने जिन्ना से कहा कि “जाओ, ऐश करो! पाकिस्तान भी तुम्हें दिया, पूर्वी पाकिस्तान भी तुम्हें दिया और भारत में हम यह कोश‍िश करेंगे कि मुस्लि‍मों के पर्सनल लॉ पर कोई आंच ना आए और वे बदस्तूर तीन तलाक़ के आधार पर औरतों का शोषण करते रहें.” जिन्ना ने मन ही मन सोचा कि यह सौदा अच्छा है, कि दोनों हाथ में लड्डू. कि ये अच्छे अहमक़ से पाला पड़ा है. एक कुत्स‍ित मुस्कराहट के साथ जिन्ना “क़ायदे-आज़म” बन गया. पटेल, प्रसाद, पंत ने सिर पीट लिया.

दुनिया में इससे हास्यास्पद और मूर्खतापूर्ण विभाजन कोई दूसरा नहीं था. मज़हबी आधार पर देश टूटा और मज़हबी मुसीबत फिर भी क़ायम रही.

पाकिस्तान का हाथी निकल गया, कश्मीर की पूंछ रह गई.

##

kahsmir separitist terorist अलगाववादी कश्मीर
pic source google

इसको इस तरह समझें कि अगर जूनागढ़ में मुस्ल‍िम बहुसंख्या होती तो वह आज पाकिस्तान का हिस्सा होता. अगर हैदराबाद, भोपाल और अलीगढ़ सरहदी प्रांत होते तो वे आज पाकिस्तान का हिस्सा होते. अगर भारत में ऐसे पांच-छह और कश्मीर होते तो भारत का बंटाढार हो गया होता और यहां अहर्निश गृहयुद्ध होते रहते. और अगर भारत में मुस्लि‍म बहुसंख्या होती तो भारत ही आज पाकिस्तान होता!

और जेएनयू और एनडीटीवी शरीया क़ानून के तहत आज़ादी का जश्न मना रहे होते, नहीं? ये लोग सफ़ेदपोश कठमुल्ले हैं!

##

कश्मीर की हिम्मत कैसे हुई कि पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाए? पटाखे फोड़े, ईद मनाए!! इस मुल्क में कोई हुक़ूमत नहीं है. कोई सरकार बहादुर नहीं है. इस मुल्क के हाकिम बहरे हैं. मवाद पर मोगरा रखने का हुनर कोई हिंदुस्तानियों से सीखे.

कोई रेफ़रेंडम नहीं होगा, कोई आज़ादी नहीं मिलेगी! धारा 370 ख़तम करो! निर्वाचन प्रक्रिया समाप्त करो! कश्मीर पर आपातकाल लगाओ, दिल्ली से उसको चलाओ. जो पत्थर उछाले उसको जेल में डालो, और ज़रूरत हो तो पूरे कश्मीर को ही जेल बना डालो. सीधी उंगली से कभी इस्लामिक घी नहीं निकल सकता!

सुशोभित सक्तावत 

(विश्‍व सिनेमा, साहित्‍य, दर्शन और कला के विविध आयामों पर सुशोभित की गहरी रुचि है और पकड़ है। वे नई दुनिया इंदौर में फीचर संपादक के पद पर कार्यरत् हैं।)

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here