सोशल मीडिया से बाहर देखें तो महिला सशक्तिकरण के कई सारे ऐसे जीवंत उदाहरण भरे पड़े हैं जो आपको और हमें बहुत कुछ सिखा सकते हैं. जो जीवन में संघर्ष की जीती जागती मूर्ति हैं वाकई में महिला सशक्तिकरण का एक अच्छा उदाहरण हैं.
हम बात कर रहे हैं हरियाणा के सनौली की रहने वाली जानू की जो रोजाना 45 किलोमीटर बाइक चलाकर दूध बेचने शहर जाती हैं. समाज में महिलाओं की मजबूती का साक्षात् उदाहरण है जानू। आइए जानते हैं इनकी कहानी।
पति के साथ हुए हादसे से टूटी नहीं-
अक्सर देखने में आता है कि पति को कुछ हो जाने पर समाज कहता है कि महिला और बच्चों का क्या होगा। ऐसा ही जानू को भी कहा गया लेकिन जानू के सिर में कोई और ही जुनून सवार था. इनके पति बशीर अहमद का एक हादसे में पैर टूट गया और वो बिस्तर पर लेट गए.
बशीर परिवार में अकेले कमाने वाले व्यक्ति थे और दूध बेचने का काम करते थे. पति का पैर टूटने के बाद सारी जिम्मेदारी जानू के कंधे पर आ गई. जानू ने हार नहीं मानी और खुद बेचने का काम करने लगीं। अब रोजाना बाइक चलाकर 45 किलोमीटर दूर शहर में जानू दूध बेचने जाती हैं और हर कोई इन्हें देखकर हैरान रह जाता है.
सुबह पांच बजे शुरू होता है जानू का दिन–
जानू का दिन सुबह पांच बजे शुरू हो जाता है. पहले वो घर के जरूरी काम करती हैं और इसके बाद दूध निकालकर उसे शहर में बेचने जाती हैं. जानू का गांव शहर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है. जानू रोजाना वहां जाकर दूध बेचती हैं और इसके बाद आकर घर के अन्य बचे जरूरी काम करती हैं.
दो बड़े डिब्बों में जानू जब 90 लीटर दूध गाड़ी में लादकर निकलती हैं तो हर कोई हैरान रह जाता है और जानू के संघर्ष को सलाम करता है. जानू समाज में आज कई सारी महिलाओं को अपने इस जज्बे और काम से मोटिवेट कर रही हैं.
ये हमारे पुरखों का काम-
जानू के हौसले की कहानी जब लोगों के बीच पहुँचने लगी तो कई सारे लोग उनके पास गए और जानू के बारे में जानने का प्रयास करने लगे. जानू ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि-जब शौहर हादसे का शिकार हुए तो उनके बगैर शहर में दूध पहुंचाने वाला कोई नहीं था। हमने खुद ये शुरू किया। पशुपालन तो हमारे पुरखों से चला रहा है। हम दूध बेचते रहे हैं।”
जानू आज के समय में महिलाओं समेत पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा हैं.