11 अगस्त के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला है. जिसे भाई बहन पर पवित्र त्योहार माना जाता है. लेकिन गाजियाबाद से करीब 30 किलोमीटर दूर मुरादनगर में सुराना नाम का एक गाँव ऐसा भी है. जहाँ इस त्यौहार को मनाया ही नहीं जाता. जी हाँ इस गाँव की लड़कियां अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधती. हालाँकि इस गाँव की बहु इस त्यौहार को जरुर मनाती है. आइये जानते है 22 हजार की आबादी वाले इस गाँव में आखिर क्यों रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता.
रक्षाबंधन को माना जाता है काला दिन
गाजियाबाद के पास मुरादनगर में के गाँव सुराना में रक्षाबंधन के दिन को काला दिन माना जाता है. इस गाँव में वर्षों पहले से एक परम्परा चली आ रही है. जिसमें अगर कोई भी रक्षाबंधन त्यौहार को मनाता है तो उसके घर में कोई अपशगुन हो जाता है. मोहम्मद गौरी की वजह से इस गाँव के पूर्वजों ने फैसला किया था कि इस दिन गाँव का कोई भी परिवार इस त्यौहार को नहीं मनाएगा. हालांकि कुछ परिवार ऐसे भी है जिन्होंने इस त्यौहार को मनाने की कोशिश की लेकिन उनके घर में कोई न कोई अपशगुन हो गया. जिसके बाद से इस गाँव में रक्षाबंधन को मनाया ही नहीं गया.
छाबड़िया गोत्र के चंद्रवंशी अहीर क्षत्रियों ने बसाया था सुराना गाँव
छाबड़िया गोत्र के चंद्रवंशी अहीर क्षत्रियों ने इस गाँव को 1200इसवी के दौरान इस गाँव को बसाया था. इस गाँव को पहले सोनगढ़ नाम से भी जाना जाता था. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस गाँव को राजस्थान के अलवर से सौ योद्धाओं नवे मिल कर बसाया था. उन्हीं के नाम पर इस गाँव का नाम सुराना रखा गया था. इन्हीं सौ लोगों ने मिलकर इस गाँव को बसाया था और धीरे-धीरे गाँव की जनसंख्या बढने लगी थी.
हाथियों से कुचलवा दिया था मोहम्मद गौरी ने
गाँव के एक निवासी राहुल सुराना के मुताबिक सेकड़ों वर्ष पहले पृथ्वीराज चौहान के वंशज सों सिंह राणा जो राजस्थान से आये थे. इन्होने गाँव के पास हिंडन नदी के किनारे अपना डेरा डाला था. लेकिन कही से मोहम्मद गौरी को इस बात की खबर लगा गई कि सोनगढ़ गाँव में पृथ्वीराज चौहान के वंशज रहते है, तो उसने रक्षाबंधन के दिन ही इस गाँव पर हमला बोल दिया. उसके सैनिको ने गाँव की औरते, बच्चे, बुजुर्ग, जवान लोगों को हाथियों एक पैरों तले जिंदा कुचलवा दिया था. इस हमले में ज्यादातर लोग मारे गए थे.
देवता चले गए थे गंगास्नान करने
ग्रामीणों के बुजुर्ग लोगों के मुताबिक इस गाँव को मोहम्मद गौरी ने कई बार निशाना बनाने की कोशिश की थी. लेकिन इस गाँव की रक्षा देवता स्वंय करते थे. जिस वजह से हर बार उसकी सेना अंधी हो जाती थी. लेकिन रक्षाबंधन के देवता इस गाँव को छोड़कर गंगा स्नान करने चले जाते थे. लेकिन किसी खबरी से गौरी को इस बात का पता चल गया और उसने रक्षाबंधन के दिन ही गाँव पर हमला करवाकर सबको मरवा दिया.
गाँव की महिला की वजह से फिर से बस गया गाँव
गाँव के ही महावीर सिंह ने बताया कि सन 1206 मोहम्मद गौरी के आक्रमण के बाद गाँव का एक-एक शक्स मारा गया था. लेकिन इस दिन गाँव की एक महिला जिसका नाम ‘जसकौर’ था. वो अपने मायके आई थी. इस समय वो गर्भवती भी थी. उसके दो बच्चे लकी और चुंडा को जन्म दिया. इन दोनों ने ही बड़े होकर फिर से गाँव को बसा दिया.