ये जो दूर केरल से प्यार के मौसम में मुसकुराहटों की बारिश हुई है ना देश भर में,इसके लिये शुक्रगुजार होना चाहिये हमें वैलेंटाइन से प्रेरणा लेने की जरूरत नहीं अब,किसी की मुसकुराहटें ही इतना दमखम रखती हैं कि दिल में प्यार की हल्की आँच जला दें और याद रखना इस हल्की आँच पर पकौड़ा नहीं तलना बल्कि प्यार की चाशनी पकानी है।
प्यार के इस पाक महीने में हमें वैलेंटाइन का देशी संस्करण मिल गया है।इस तरह से प्यार के खिलाफ लठैतों को भी हम कह सकते हैं कि हम पश्चिम से प्यार की प्रेरणा उधार नहीं ले रहे बल्कि केरल से उठने वाले प्यारे मानसून में भीग रहे हैं।
हम सभी प्रेम पुजारियों चाहे व अतीत में रहें हो या भविष्य में होने वाले हों सबको सरकार से अनुरोध करके केरल की इस मोहतरमा को इस सदी में प्रेम के पुनर्जागरण का अग्रदूत घोषित कराना होगा।
अब भाषा का टंटा भी खत्म आखिर मौहब्बत ज़बान की मोहताज नहीं है बल्कि ये तो आँखो व मुस्कान से ही बयां हो जाती है।मैं तो असमंजस में था जनवरी में कि सदी अठरा बरस की बाली उमर में लग रही है पता नहीं क्या कर बैठे पर अब फरवरी में पक्का यकीं है नफरत पर प्यार ही जीतेगा।मुझे तो रत्ती भर भी संशय नहीं कि अगर सदी छोरी का रूप धरे तो हूबहू केरल की इस मौहब्बत की मसीहा की तरह दिखेगी।
जाकिर खान के सख्त लौंडा बने रहने की सलाह को छोडिये ,कहाँ चक्कर मेंं पड़ रहे हो भले आदमियों,वैलेंटाइन डे को कोई प्रपोज करे तो दूर की बात है अगर कोई प्रिया की तरह मुस्कुरा दे तो सख्ती खुद पिघल जायेगी।
मेरठ का लौंडा होकर भी कह रहा हूँ सख्ती से काम नहीं लेना है,ये मौसम प्यार के खिलने का है,प्रेमिका के हाथों को अपने हाथों में लेकर यह कहना होगा कि काश ये दुनिया इनकी तरह मुलायम होती तो कितना अच्छा होता,उसकी आँखो में देखकर कहना है कि इन आँखो सी दुनिया रोशन और खुशनुमा होनी चाहिये।सख्ती से बिल्कुल काम नी लेना।
दोस्तों प्यार के इस मौसम में मुझे आसाराम के अनुयायियों से बहुत ही गहरी सहानुभूति है,माता पिता पूजन दिवस सफल रहे आपका।
प्यार की इस प्रचारक ने प्यार का जो यह पवित्र पथ दिखाया है इसका पथिक बनना है हमें देर सबेर,नफरत और घृणा का हाइवे नहीं लेना। मौहब्बत जिंदाबाद,प्यार चाँद की तरह घटता बढ़ता रहे।
©मनीष पोसवाल
मसखरी ( एक नई सीरीज)