Sunday, January 12, 2025

जिन बंगलो में कभी बेचा दूध, वहीँ सांसद बनकर पहुंचे थे राजेश पायलट

राजेश पायलट की जीवनी Rajesh Pilot Biograophy in hindi

सन 1979 का चुनावी दौर ! आयरन लेडी के नाम से प्रसिद्ध इंदिरा गाँधी  के सामने एक निर्भीक युवा खड़ा था । उस युवा की पहचान अभी तक सिर्फ स्क्वार्डन लीडर “राजेश्वर प्रसाद ” की थी । इंदिरा ने राजेश्वर प्रसाद को सलाह दी कि राजनीति में कोई स्थायित्व नहीं होता इसलिए नौकरी न छोड़े क्योकि आपके बच्चे भी अभी छोटे है ।

“में श्रीमती गांधी का आशीर्वाद लेने आया हूँ सलाह नहीं ! “

– इन निर्भीक शब्दों से इंदिरा के मस्तिष्क को झकझोर देने वाले युवा थे राजेश्वर प्रसाद । यही राजेश्वर प्रसाद बाद में राजेश पायलट के नाम से प्रसिद्ध  हुए । इसी स्पष्टवादिता और निर्भीकता से इंदिरा गांधी इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने उस मिटटी से जुड़े और संघर्ष से जन्मे युवा स्क्वार्डन लीडर राजेश  को टिकट देने का निर्णय कर लिया ।

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इंदिरा गाँधी के साथ राजेश पायलट

राजेश पायलट -संघर्ष के दिन

राजेश पायलट का जन्म 10 फरवरी सन 1945 को हुआ था ।राजेश पायलट (सचिन पायलट के पिता )का गाँव उत्तर प्रदेश के जिला गौतम बुधनगर(तब जिला गाजियाबाद) में स्थित गाँव वेदपुरा है । उनकी माता का नाम बलदेयी व पिता का नाम जयदयाल है जोकि एक सैनिक थे ।

 राजेश पायलट का परिवार गुर्जर समुदाय ( Rajesh Pilot Caste ) से आता है । नाम में जुड़ा पायलट शब्द उनके पायलट होने की वजह से है। राजेश पायलट की जाति गुर्जर है । राजेश पायलट व सचिन पायलट का गोत्र बिधूड़ी है । 10 वर्ष की उम्र तक साधारण जीवन जीते राजेश्वर प्रसाद के परिवार पर संकट तब आया जब इनके पिता का आकस्मिक देहांत हो गया । उस वक्त इनकी उम्र 11 साल थी।

परिवार में माता ,विवाह योग्य दो बहनों और एक छोटे भाई का दायित्व इनके ऊपर आ गया । इससे जिम्मेदारी की भावना बहुत कम उम्र में इनमे आ गयी । उस उम्र में कई किलोमीटर नंगे पैर पैदल चलते । राजेश्वर प्रसाद को कुछ सालो के बाद गाँव छोड़कर दिल्ली आने का निर्णय लेना पड़ा । जहाँ उनके चचेरे भाई की दूध की डेरी थी ।

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युवावस्था में राजेश पायलट

ये समय राजेश्वर प्रसाद के लिए कड़ी मेहनत का था।राजेश सुबह जल्दी उठते,दूध निकालते और मंत्रियो की कोठी में दूध देने जाते। फिर जल्दी आकर स्कूल भी जाते।इसी तरह शाम को भी दूध बाटकर फिर पढने के लिए समय निकालते। ये वो कठिन समय था जब राजेश्वर प्रसाद को संघर्ष में लैंप पोस्ट के नीचे भी पढ़ाई करनी पड़ी।ये पीछे नहीं हटे और दोनों बहनों की शादी करने के अलावा छोटे भाई को  भी शिक्षा दिलवाई । लेकिन दुर्भाग्यवश छोटे भाई की आकस्मिक मृत्यु ने इनको अंदर से तोड़ दिया ।

सैनिक राजेश पायलट

परिवार की जिम्मेदारी संभालते और दूध सप्लाई का काम करते करते ही इन्होने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की | सगे भाई से ज्यादा मानने वाले इनके चचेरे भाई नत्थी सिंह ने इनको पूरा सहयोग किया और ये एयर फ़ोर्स में भर्ती हो  गये  ।वायु सेना में प्रशिक्षण के बाद वे लड़ाकू विमान के पायलट बने । फिर पंद्रह वर्षो की अथक मेहनत के बाद प्रमोशन पाकर स्क्वार्डन लीडर बने ! उन्होंने 1971 के भारत पाक युद्ध में भी भाग लिया और बहादुरी के लिए पदक भी मिला ।

rajesh pilot राजेश पायलट

लेकिन लुटियन जोंस के बंगलो में बचपन में दूध बेचने वाले राजेश पायलट की जिन्दगी उन्हें वायु सेना से फिर वापस उन्ही बंगलो तक ले जाना चाहती थी। जहां उनका कष्ट भरा समय बीता था ..शायद उन्हें अपने कहे वो शब्द चरित्रार्थ करने थे जो राजेश पायलट की पहचान बन गये थे ।  –

“जब  किसानो और मजदूरों  के बच्चे  पढ़ लिख कर उन कुर्सियों तक पहुचेगे जहाँ से नीतियाँ बनती और क्रियान्वित होती है तब  भारत का सही मायनों में विकास होगा “

कैसे बदला नाम

1979 में नौकरी से इस्तीफा देकर राजेश्वर प्रसाद भरतपुर में कोंग्रेस का पर्चा दाखिल कर रहे थे । वहां के कार्यकर्ताओं ने उनसे निवेदन किया कि वे अपने नाम के साथ “पायलट ” लिखे । उन्होंने उनका आग्रह स्वीकार करके राजेश पायलट( Rajesh Pilot) के नाम से परचा भरा। जब वो बाहर निकले तो “राजेश पायलट जिंदाबाद ” के नारे लग रहे थे। उन्होंने भरतपुर की सीट से वहां के राजपरिवार की सदस्य महारानी को हराकर पहला चुनाव जीता।और इसी के साथ राजनीति की दुनिया में उन्होंने कदम रखा । इसके बाद उन्होंने कई चुनाव जीते और 1991 से 1993 तक टेलिकॉम मिनिस्टर रहे । 1993 से 1995 तक आंतरिक सुरक्षा मंत्री रहे।

sachin pilot सचिन पायलट

निर्भीक और अटल पायलट

इसी दौरान आंतरिक सुरक्षा मंत्री रहते हुए पायलट जी ने एक विवादस्पद तांत्रिक चंद्रास्वामी को देखा । जिसके सामने बड़े बड़े मंत्री और अधिकारीगण सर झुकाते थे। चंद्रास्वामी को तत्कालीन प्रधानमन्त्री पी वी नरसिम्हा राव का करीबी भी माना जाता था। शिकायत के बाद भी उसके खिलाफ जांच बैठाने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। सत्ता में बेठे लोगो का मूक समर्थन उसे प्राप्त था। इसके अलावा सबूतों की कमी का हवाला देकर भी गिरफ्तारी न करने का दवाब था। जिससे किसी मामले में पायलट के सामने संकट खड़ा हो सकता था ।

पायलट ने उस वक्त कहा था कि – “चाहे मुझे जेल जाना पड़े लेकिन ये खेल ख़त्म होगा “। पायलट ने उसके खिलाफ जांच बैठाई और उसे जेल भेज दिया। जिसका राजनितिक हलको में विरोध भी हुआ। लेकिन राजेश पायलट की छवि और ज्यादा मजबूत और कद्दावर नेता की हो गयी जिसे उसके लक्ष्य से कोई नहीं भटका सकता ।

राजेश पायलट rajesh pilot ,सचिन पायलट , sachin pilot

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव

हालाकि इसका खामियाजा राजेश पायलट को मंत्रालय में फेरबदल से चुकाना पड़ा। पर मजबूत इरादों वाले पायलट अडिग रहे।इन्ही मजबूत इरादों की बदोलत राजेश पायलट ने सीताराम केसरी के सामने पार्टी अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा  जिसमे सफल नहीं हुए । जैसा कि कहा जाता है उन्होंने अगला चुनाव सोनिया गांधी के सामने लड़ने की घोषणा कर दी थी। इसका उनके कई साथियो ने विरोध किया। पायलट वैचारिक तौर पर मजबूत थे । और किसानो- मजदूरों द्वारा उन्हें अपना नेता माना जाता है ये विश्वास करते हुए उन्होंने पीछे हटने से मना कर दिया।

राजेश पायलट जी पर एक बार जानलेवा हमला भी हुआ। जिसे किसी उग्रवादी संगठन द्वारा किया बताया जाता है ।अपनी स्पष्टवादिता और ना झुकने वाले व्यवहार के कारण ही ये कई उग्रवादी संगठनों के निशाने  पर रहे । लेकिन जनता का असीम प्यार और उनके लगाव से उनका बाल भी बांका नहीं हुआ। बताते है कि राजेश पायलट का संसद में भाषण जिसने सुना उनके मन में उनके लिए विशेष स्थान बन जाता था ।।

Rajesh pilot राजेश पायलट

बेईमान लोग और बिचोलिये हट जाओ राजेश पायलट आ गया है ।

राजेश पायलट (Rajesh Pilot) जी को ग्रामीण प्रष्ठभूमि से होने के कारण गाँवों और किसानो से लगाव था। जिसका जिक्र वो अपने भाषणों में भी किया करते थे। चिरपरिचित राजस्थानी पगड़ी उनका पहनावा बन चुकी थी। एक बार किसी गाँव में जाने पर उन्होंने देखा कि कुछ छुटभैये नेता और अधिकारी उनके आगे पीछे लगे है। और किसानो से सीधे बात नहीं करने दे रहे । तो उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि –

बेईमान लोग और बिचोलिये हट जाओ , राजेश पायलट आ गया है। मुझे किसी बिचोलिये की जरुरत नहीं है !

ग्रामीण भारत से उनका जुड़ाव बहुत मजबूत था। उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर कोई भी देशवासी उनसे मिल सकता था। वे सबकी शिकायते सुनते। और बड़े आराम से सबको मनाना उनकी खासियत थी। कई बार ऐसा भी होता था कि उनसे जुड़े किसी मरीज को लेकर अस्पताल आने वाले लोग भी उनके घर रुकने पहुँच जाते थे। जिनका वहां रुकने का प्रबंध पायलट करते। उनके आवास पर ग्रामीण अंदाज में चारपाई और हुक्का उनके बुजुर्गो को अपनापन महसूस कराता | जहाँ वो उनसे अपने मन की बात खुलकर करते ।

 

जय जवान जय किसान ट्रस्ट-

 उन्होंने 1987 में जय जवान जय किसान ट्रस्ट बनाया ।ट्रस्ट का उद्देश्य गरीब किसानो और पिछडो की मदद करना था। इस ट्रस्ट के द्वारा उन्होंने गरीब बच्चो की शिक्षा ,सैनिको की विधवाओं के लिए कार्य किये। गरीब किसानो की मदद करने एवं अपाहिजों की सहायता के लिए काफी कार्य किये जोकि अनवरत जारी है। इस ट्रस्ट की सहायता से कई हॉस्पिटल और स्कूलों को सहायता दी गयी।

राजेश पायलट का परिवार Rajesh Pilot Family

राजेश पायलट की पत्नी का नाम श्रीमति रमा पायलट( Rajesh Pilot wife name )है ।जोकि दौसा से सांसद रही है। श्रीमती रमा पायलट ने राजेश पायलट की जीवनी Rajesh Pilot -A Biography भी लिखी है।

उनकी बेटी का नाम सारिका पायलट है। ( Rajesh Pilot Daughter Sarika ) | स्व राजेश पायलट के बेटे का नाम सचिन पायलट है। (Rajesh Pilot Son sachin pilot) जोकि उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल रहे है। और कांग्रेस में प्रमुख युवा चेहरों में से एक है। (congress top leader sachin pilot )

सचिन पायलट sachin pilot with father
राजेश पायलट की फोटो में उनकी पत्नी और दोनों बच्चे साथ है ।

राजेश पायलट की मृत्यु कैसे हुई ? Rajesh Pilot cause of Death –

Rajesh Pilot death – वो दुखद दुर्घटना ! –

 पायलट जी को जीप चलाने का शौक था। अपनी जीप वो अधिकतर खुद ही ड्राइव कर लेते थे। 11 जून 2000 को अपने चुनावी क्षेत्र दौसा से एक कार्यकर्त्ता सम्मलेन को संबोधित करके आते हुए जयपुर हाईवे पर उनकी जीप एक ट्रोले से टकरा गयी। जिसमे वो गंभीर रूप से घायल हो गये। राजेश पायलट की मृत्यु का कारण सडक दुर्घटना बनी। उसी दिन सवाई मानसिंह अस्पताल में शाम ७ बजे जमीन से जुडे नेता का दुखद निधन हो गया। देश की समस्याए ,किसानो की समस्याए ,और गरीबो की समस्याए सदन में मजबूत तरीके से उठाने वाली वो आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई। और अपने पीछे एक चिरपरिचित मुस्कान छोड़ गयी । उनके कभी न भूलने वाले वो शब्द जो हर किसान और मजदूर के बच्चो को प्रेरणा देंगे  –

“जब किसानो और मजदूरों  के बच्चे पढ़ लिख कर उन कुर्सियों  तक पहुचेंगे जहाँ से नीतियाँ बनती और क्रियान्वित होती है तब भारत का सही मायनों में विकास होगा “- राजेश पायलट (Rajesh Pilot)

-सुनील नागर  (Sk Nagar)

( विभिन्न पत्रिकाओं एवं लेखो से प्राप्त जानकारी पर आधारित )

Sunil Nagar
Sunil Nagar
ब्लॉगर एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता ।
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