आज के ज़माने में यह दुनिया खुदगर्ज इंसानों से भरी हुई है। हर कोई अपना स्वार्थ सीधा करने में लगा हुआ है। झूठे, मतलबी और फरेबियों से भरी इस दुनिया में विरले ही कुछ लोग ऐसे मिलते हैं जो ईमानदारी और समाजहित की भावना का अनुसरण करते हैं। ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनमें देशप्रेम और कल्याणकारी भावना विद्यमान होती है।
आज हम आपको ऐसे ही एक व्यक्ति के विषय में बताने जा रहे हैं जो लोगों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी नहीं डरता है।
इस शख्स का नाम बिपिन गनात्रा है। कलकत्ता के रहने वाले बिपिन पेशे से इलेक्ट्रिशियन हैं लेकिन लोगों की जान बचाना इनका शौक है।
आग में कूदकर बचाते हैं लोगों की जान
जी हां, जब भी किसी बिल्डिंग या किसी इमारत में आगजनी की घटना होती है तो एक ही नाम सबके ज़हन में गूंजता है और वो है बिपिन। दरअसल, बिपिन पिछले 40 सालों से कलकत्ता के लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। वे पिछले 4 दशकों से लोगों को आग में झुलसने से बचा रहे हैं।
पद्मश्री से हो चुके हैं सम्मानित
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिपिन अपनी जान खतरे में डालकर लोगों की जान बचाते हैं। उनका मानना है कि जब तक वे जिंदा रहेंगे तब तक समाज की सेवा करते रहेंगे। उनके इसी परिश्रम और संघर्ष के लिए उन्हें साल 2017 में राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
खुद की जान जोखिम में डालने के बावजूद नहीं लेते हैं कोई फीस
खास बात ये है कि बिपिन इस काम के लिए किसी तरह की कोई फीस भी चार्ज नहीं करते हैं। पेशे से इलेक्ट्रिशियन बिपिन महीने में 2.5 हज़ार रुपये कमाते हैं जिससे बड़ी मुश्किल से उनका घर चल पाता है। लेकिन वे अपनी जान जोखिम में डालने के बावजूद कोई राशि नहीं लेते हैं। वे मुसीबत के समय में देवदूत बनकर लोगों की रक्षा करने के लिए पहुंच जाते हैं।
भाई की मौत के बाद लिया था यह निर्णय
बताया जाता है कि 12 साल की उम्र में बिपिन ने अपने बड़े भाई को आगजनी की घटना में खो दिया था। इस घटना से वे पूरी तरह से आहत हो गए थे जिसके बाद बिपिन ने फैसला कर लिया था कि वे अपने जीते-जी किसी भी व्यक्ति की आग से मृत्यु नहीं होने देंगे।