बॉलीवुड में साँपों को लेकर बहुत सारी फ़िल्में बनाई गई हैं. वही हर फिल्म में एक सपेरा होगा जो बीन की आवाज से सांप को अपने पास बुला लेगा। इसके बाद बीन की धुन पर सांप लगातार नाचता रहेगा और यही उस सपेरे की जीत होती है. यानी कुल जमा बात ये है कि सांप बीन की धुन में नाचता है. लेकिन यह कितना सच है किसी ने कभी भी इस पर बात नहीं। हिंदी सिनेमा ने जो दिखाया हम उसे सच मान बैठे। तो अगर आप भी ऐसी ही किसी बात को लेकर सोच में हैं तो आई हम आपको बता देते हैं इसके पीछे का सच.
सांप तो बहरा होता है-
जिस बीन की आवाज सुनकर सांप के नाचने का दवा किया जाता है वो सांप तो बहरा होता है. सांप के कान नहीं होते और वो सुन नहीं सकता है. अब सांप सुन नहीं सकता तो बीन की आवाज में नाचेगा कैसे। दरअसल सांप जब सपेरे को बीन हिलाते देखता है तो उसकी मूवमेंट के अनुसार वो खुद हिलता है. जैसे-जैसे बीन हिलता है वैसे-वैसे सांप नाच रहा होता है. इसके बाद एक और बात है जिसे देखकर सांप नाचता है.
दरअसल बीन में सफ़ेद कांच के टुकड़े लगे होते हैं. इन टुकड़ों से निकलने वाला प्रकाश या इनकी चमक जिधर जाती है उधर सांप अपनी आँखें करता है क्योंकि सांप सुन नहीं सकता लेकिन देख तो सकता ही है. इसलिए हमें ऐसा लगता है कि सांप बिना की धुन में नाचता है और ये बात हमें जाने कब से बताई जा रही है. कांच के टुकड़ों से निकलने वाली रौशनी से सांप खुद को बचाने की कोशिश करता है और इसलिए वो बीन की तरफ झपटता है. ऐसे में सांप की मूवमेंट लगातार बदलती रहती है जो हमें लगता है की सांप नाच रहा है.
इसके अलावा लोगों को लगता है की सांप बीन की आवाज सुनकर अपने फन फैलाता है. अगर आपको यही लगता है तो मेरे दोस्त भ्रम में जी रहे हो तुम. दरअसल फन फैलाना सांप की सामान्य आदत है. ऐसे में जब कोई उसके सामने आने का प्रयास करता है तो वो फन फैलाता है. सपेरा जैसे की सांप के पास आने का प्रयास करता है तो सांप खुद को बचाने के लिए फन फैलता है और हमें लगता है की बीन और सपेरे ने कमाल कर दिया।
तो समझा आपने, दरअसल सच कुहक और ही है और हम आज तक कुछ और ही समझ रहे थे.