कहते हैं किसी काम में सफल होने के लिए आपके पास एक प्रेरणा होनी चाहिए। कोई ऐसी प्रेरणा जो अंदर तक आपको झकझोर दे और आप अपने सपनों के लिए फिर से उड़ान भरने चल दें. ऐसा ही हुआ सीकर जिले के फतेहपुर के रहने वाले रोहन के साथ. दी बार UPSC में असफल होने के बाद रोहन ने फैसला कर लिया की अब वो परीक्षा नहीं देंगे लेकिन उनके दादा रोहन के लिए प्रेरणा बने. दादा ने कहा की एक बार मेरे लिए प्रयास करो और रोहन बन गए आईएएस। उन्हें 387 वी रैंक मिली है.
आज दादा इस दुनिया में नहीं लेकिन सपना पूरा हुआ-
फतेहपुर के रहने वाले रोहन केशान 21 वर्ष की उम्र में सीए बन गए थे. इसके बाद उन्होंने दो बार आईएएस बनने के लिए परीक्षा दी लेकिन असफल रहे. फिर दादा ने कहा की एक बार लिए प्रयास करो. न जाने क्यों रोहन के मन में ये बात अंदर तक बैठ गई और वो लग गए अपने दादा का सपना पूरा करने में और लगातार मेहनत करते रहे. दादा इस दुनिया में रोहन की सफलता देखने के लिए नहीं रहे लेकिन रोहन ने उनका सपना पूरा करके उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है. राहुल के दादा का नाम परमेश्वर केशान था और पिता का नाम सुनील केशान है वो पेशे से एक व्यापारी हैं.

हमेशा पढाई में आगे रहे रोहन-
कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिखाई देने लगते हैं. ऐसा ही रोहन के साथ भी था. रोहन बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे हैं. कक्षा दस में जिला मेरिट में दूसरा स्थान आया था। 93% के साथ दसवीं उत्तीर्ण की थी. उसके बाद कॉमर्स संकाय लेकर 12वीं की परीक्षा दी तो 96 पर्सेंट आए थे. इसके बाद रोहन ने सीए फाउंडेशन की परीक्षा दी तो उनका आल इंडिया में नौवां स्थान आया और रोहन सीए बन गए.
खुद की अच्छाइयों को याद रखो-
रोहन कहते हैं आईएएस जैसी बड़ी परीक्षा के लिए आपको खुद की अच्छाइयों को हमेशा याद रखना चाहिए। आप कभी खुद को कम मत आंकिए। मैं जब सीए बना तो मुझे लगा की यह बहुत लिमिटेड सेक्टर है और इसमें केवल मैं फाइनेंस से डील कर सकता हूँ लेकिन आईएएस बनने के बाद मैं अलग-अलग सेक्टर्स में काम करके खुद को आगे बढ़ा सकता हूँ. इसके बाद मैनें प्रयास करना शुरू किया और दो बाद असफल हुआ लेकिन मेरे दादाजी ने मुझे प्रेरणा दी. मेरा मानना है की इतना बड़ा काम करने के लिए आपके अंदर कोई न कोई प्रेरणा एक मजबूत बात होनी चाहिए जो आपको बढ़ने के लिए मजबूर कर दे.