अपने सपनों के लिए संघर्ष न करने के आपके हजार बहाने हो सकते हैं लेकिन अगर आप सम्यक की कहानी पढ़ेंगे तो आपको अपने जीवन का हर संघर्ष बेमानी लगने लगेगा। एक लड़का जो विज़ुअली इम्पेयर्ड है लेकिन आँखों में सपना आईएएस बनने का है. विज़ुअली इम्पेयर्ड होने के बाद माँ ने सम्यक का पेपर लिखा और आ गई सातवीं रैंक। दिल्ली का ये विज़ुअली इम्पेयर्ड लड़का बन गया आईएएस।
जेएनयू से मिली प्रेरणा-
सम्यक उन्होंने JNU से अपनी मास्टर्स डिग्री हासिल की है और मुझे वही से आईएएस बनने की प्रेरणा मिली। सम्यक बताते हैं की जब मैं वहां गया तो मैंने देखा हर कोई किसी न किसी क्षेत्र की तैयारी कर रहा है. ऐसे में मुझे भी प्रेरणा मिली। मुझे वहां पता चला की आईएएस क्या होता है. ये समझ आ गया था की हमारे आसपास चीजों को बदलने की एजेंसी होती है आईएएस। फिर मोटिवेशन मिला और तैयारी शुरू कर दी.
घरवालों का सहयोग–
सम्यक की इस सफलता में सबसे अधिक धन्यवाद वो अपने माता पिता को देते हैं. सम्यक के पेरेंट्स एयर इंडिया में काम करते हैं. पिता फ़्रांस में कंट्री मैनेजर हैं और माँ फाइनेंस डिपार्टमेंट में काम करती हैं. सम्यक की माँ ने उनके पेपर लिखे हैं और सम्यक कहते हैं आईएएस मैं नहीं मेरी माँ बनी है. मेरे परिवार ने हमेशा मेरा साथ दिया और हर कदम पर मुझे आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी.
हर अटेम्प्ट को समझें आखिरी-
सम्यक ने कहा की जो लोग आईएएस की 6 मौके मिलते हैं वो सोचते हैं की इस बार नहीं तो अगली बार जबकि यह गलत है. आप हर बार यही सोचकर एग्जाम दें की यह आपका आखिरी अटेम्प्ट है और इसके बाद आपको एग्जाम नहीं देना है. अपने कम्फर्ट जोन में न जाएं और जो करना है इसी बार करना है यह सोचकर हमेशा पढ़ाई करें। आप अपने आप को करो या मरो वाली स्थिति में लेकर जाइए। ये नहीं सोचिए की अभी और अटेम्प्ट बाकी हैं जिससे हम बेहतर कर लेंगे।
चौके-छक्के मत मारिये-
तैयारी कर रहे युवाओं के लिए सम्यक ने कहा की आप इसे टेस्ट मैच की तरह लीजिए। आपको हर एक गेंद में एक रन बनाना है न की चौके छक्के मारने हैं. आराम से तैयारी कीजिए और दिन में 6 से 7 घंटे पढ़िए। इससे ज्यादा पढ़ने की आपको जरूरत नहीं है. और हमेशा अपना टेस्ट लेते रहिए और आगे बढ़ते रहिए।
सम्यक महिलाओं के लिए कमा करना छाते हैं. वो कहते हैं हमारे देश में पॉलिसीज को सही तरीके से लागू करने की समस्या है और मैं इसी दिशा में काम करना चाहता हूँ.