Sunday, October 27, 2024

रुखसाना : कश्मीरी बच्ची जिसका जिक्र कारगिल शहीद कैप्टन विजयंत थापर के आखिरी पत्र में था

1999..।। एक महज 22 साल का लडका जिसको भारतीय फौज ज्वाईन किये मुश्किल से एक साल हुआ था….उसकी बटालियन 2 राजपूताना राईफल्स को कश्मीर के कुपवाडा मे पाकिस्तानी आतंकवाद का सामना करने हेतु तैनात किया गया।

कुपवाडा मे पोस्टिंग के दौरान ये बहादुर फौजी आये दिन आतंकवादियो से हुई मुठभेड मे हिस्सा लेता रहता था…और उनको 72 हूरो के पास रूखसत करता रहता था।

उसके सैन्य शिविर के पास एक स्कूल था जिसमे एक चार साल की गूंगी बच्ची पढती थी …जिसका नाम था रूखसाना

आतंकवादियो के लिए बेहद बेरहम दिल रखने वाले इस फौजी अफसर की नोटिस मे ये बात आई कि वो मासूम बच्ची बडी गुमसुम रहती है..।उस नौजवान अफसर का दिल उस बच्ची की मासूमियत और बेचारगी से द्रवित हो उठा। उसने स्कूल वालो से उस लडकी के बारे मे पूछताछ की तो उसे पता चला कि वो एक बेहद गरीब परिवार से है…. और उसके पिता को आतंकवादियो ने उसकी आंखो के सामने मारा था। इसी सदमे से उसकी आवाज चली गई थी।

capt vijyant thapar
Pic source – Patrika.com

पता नही जज्बातो की  ये कैसी तासीर थी कि उस बच्ची के लिए उस नौजवान फौजी के युवा दिल मे ममता की लहरे हिलोर मारने लगी। वो जब भी ड्यूटी से फुर्सत मे होता …. उस बच्ची के पास चला जाता। उसके लिए चॉकलेट्स और खिलौने ले जाता..।। उससे बाते करने की कोशिश करता। यही नही उसकी स्कूल की फीस भी वो अपनी जेब से भरने लगा। अब ये ऊपरवाले का करम था या कुछ और …. बच्ची की आवाज धीरे धीरे लौट आई।

तीन महीने बाद कारगिल की जंग शुरू हो गई और उसकी बटालियन को द्रास सेक्टर के लिए कूच करने का हुक्म हुआ। वहा इनकी बटालियन को तोलोलिंग की चोटी फतह करने का टास्क मिला…जिसे इस बटालियन ने अदम्य शौर्य का परिचय देकर जीत लिया…हलांकि भारत मां के 21 वीर सपूत इस मिशन मे शहीद हुए। इसके बाद 2 राजपूताना राईफल्स को तोलोलिंग और टाईगर हिल्स के बीच स्थित ब्लैक राक्स नामक चोटी पाकिस्तान के नापाक कब्जे से छुडाने की जिम्मेदारी दी गई। इस शेरदिल जवान की बटालियन ने भीषण जंग के बाद बेहद नामाकूल हालातो का सामना करके यहां भी फतह हासिल की …. मगर मां भारती का ये जांबाज और दिलेर सिपाही इस मिशन के आखिरी दौर मे शहीद हो गया।

विजयंत थापर रुख्शाना capt vijyant thapar

उस दिलेर नौजवान फौजी का नाम है… शहीद कैप्टन विजयंत थापर। उनको बाद मे वीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके शौर्य जांबाजी और वतनपरस्ती की मिसाल तो हमारे लिए एक नजीर है ही। मगर शेरो का जिगर रखनेवाले कैप्टन विजयंत की शख्सियत का एक वो इंसानी पहलू भी है जिसे काफी लोग  नही जानते।

ब्लैक राॅक्स मिशन पर जाने से पहले कैप्टन विजयंत थापर को आभास था कि वहां से जीवित लौटना बेहद मुश्किल है। उन्होने अपने मातापिता को तब एक खत लिखा और अपने साथी को इस ताकीद के साथ सौपा कि यदि वो मिशन के दौरान शहीद हो जाये तो वो खत उनकी फैमिली को दे दिया जाय। और जैसा कि डर था वही हुआ। कैप्टन विजयंत वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी इच्छानुसार वो आखिरी खत उनके परिवार को सौंप दिया गया।

साहबान…उस आखिरी खत मे अन्य बाते भी थी मगर जो बात इस तहरीर मे काबिलेजिक्र है वो ये कि कैप्टन विजयंत थापर ने अपनी आखिरी ख्वाहिश के तौर पर फैमिली को ताकीद की थी कि वो उस बच्ची रूखसाना की पढाई का खर्च तबतक उठाते रहे जबतक वो अपने पैरो पर खडी न हो जाय। उस सैनिक का दिल कितना भावुक … कितना कोमल होगा जो मौत के मिशन पर जाने से पहले भी उस अनजान बच्ची के लिए फिक्रमंद था जिसे वो कुछ ही दिन पहले मिला था

विजयंत थापर capt vijyant thapar

शहीद विजयंत थापर का अंतिम पत्र

 

उनके पिता…कर्नल वी एन थापर.. जो खुद भी रिटायर्ड सैन्य अफसर है …ने अपने शहीद बेटे की आखिरी इच्छा पूरी की। पिछले 18 सालो से थापर परिवार उस बच्ची …जो अब 22 साल की युवती है…की सारी जिम्मेदारी उठा रहे है। वो लडकी अभी 2nd इयर की स्टूडेंट है और वो शहीद कैप्टन विजयंत थापर को अपना पिता मानती है।

 

विजयंत थापर vijyant thapar
कैप्टन शहीद विजयंत थापर  का अंतिम पत्र जिसमे उन्होंने रुखसाना की पढ़ाई के लिए पैसे देने की बात कही

 

विजयंत थापर capt vijyant thapar
शहीद कैप्टन विजयंत थापर का अंतिम पत्र

 

कैप्टन विजयंत थापर को आभास था कि कारगिल के इस युद्ध में वो शहीद भी हो सकते है , इसलिए उन्होंने उस मासूम बच्ची को सुरक्षित करने के लिए ये कदम उठाया | धन्य है वो माता पिता जिन्होंने ऐसे बेटे को जन्म दिया और जो आज भी उन शेरदिल जवान की आखिरी इच्छा को पूरी  कर रहे है.

 

 

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