Sunday, September 15, 2024

कबाड़ से शुरु किया स्टार्टअप, आज बन गई करोड़ों की कंपनी, जानिये कैसे शुरु हुआ सफ़र

कहते हैं ‘हीरे की पहचान सिर्फ जोहरी को ही होती है……’ इस कहावत को जोधपुर के एक व्यापारी ने सच साबित करके दिखाया है। इस इंडस्ट्रियलिस्ट ने वेस्ट प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करके इतनी बेहतरीन वस्तुओं का निर्माण किया है जिनकी डिमांड अब चारों तरफ हो रही है।

45 करोंड़ का सालाना टर्नओवर

इस अनोखे व्यापार के मालिक का नाम है रितेश लोहिया। इन्होंने अपनी पत्नी प्रीति के साथ मिलकर बेकार चीजों से जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट आइटम का ऐसा एंपायर खड़ा किया है, जिसका सालाना टर्नओवर 45 करोड़ रुपये का है।

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दुनिया में है इन प्रोडक्ट्स की डिमांड

प्रीति इंटरनेशनल नामक यह कंपनी देश की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने वेस्ट प्रोडक्ट्स का यूज़ करके ऐसे शानदार आइटम तैयार किये हैं जिनकी डिमांड ऑलओवर वर्ल्ड हो रही है। जोधपुर के पोलो ग्राउंड स्थित माहेश्वरी ग्लोबल एक्सपो में रितेश का बहुत बड़ा कारखाना है। इसमें उनकी कंपनी के द्वारा निर्मित तमाम हैंडीक्रॉफ्ट आइटम रखे हैं।

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कार के बोनट और सीट से तैयार किया सोफा

वैसे तो ये सभी प्रोडक्ट्स देखने में दिलचस्प हैं लेकिन कंपनी के द्वारा निर्मित सोफा सेट लोगों को काफी पसंद आ रहा है। बता दें, यह सोफा सेट कार के बोनट और सीट से तैयार किया गया है। इसकी देखने वाले हर शख्स इसपर बैठकर सेल्फी लेनी की इच्छा जता रहा है। रितेश ने बताया कि इस अनोखे सोफा सेट की मार्केट में डिमांड ज्यादा है। लोग अपनी फैमिली के साथ इसपर बैठकर फोटो खिंचवाने के लिए आतुर हो रहे हैं।

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400 लोगों को दिया रोजगार

बता दें, इन प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए अधिक मात्रा में रॉ मटीरियल की आवश्यकता पड़ती है। यह वेस्ट मटीरियल जोधपुर की कबाड़ मार्केट से लाया जाता है, हालांकि रेलवे और आर्मी के द्वारा की जाने वाली नीलामी में भी अब रितेश पहुंचते हैं और माल खरीद कर लाते हैं। रिपोर्ट्स मुताबिक, प्रीति इंटरनेशनल नामक इस कंपनी ने जोधपुर में तीन यूनिट स्थापित कर रखी हैं। इनमें 400 से अधिक लोग कार्यरत हैं।

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कई बिजनेस किये, नहीं मिली सफलता

42 वर्षीय रितेश ने अपनी व्यापारिक जिंदगी के विषय में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि साल 2008 -2012 तक उन्होंने कई बिजनेस किए जिनमें केमिकल फैक्ट्री से लेकर डिटर्जेंट फैक्ट्री तक सब शामिल थे, लेकिन सफलता प्राप्त नहीं हुई। इसके बाद पत्नी के साथ वेस्ट मटीरियल से हैंडीक्राफ्ट आइटम बनाने के आइडिया पर काम शुरू किया। उन्होंने बताया कि हमने कुछ आइटम बनाकर अपनी वेबसाइट पर अपलोड किये। सबसे पहले हमने टीन के ड्रम बॉक्स का इस्तेमाल करके बैठने के लिए स्टूल तैयार किये थे। जिन्हें डेनमार्क की एक कंपनी ने काफी पसंद किया था, इसके बाद सबसे पहला ऑर्डर हमें वहीं से मिला।

दोस्त से लिए पैसे

रितेश ने बताया कि उनके पास ऑर्डर पूरा करने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपने दोस्त से कुछ पैसे उधार लिए और अपना पहला ऑर्डर जैसे-तैसे कंप्लीट किया। इसके बाद तो उनकी निकल पड़ी।

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36 देशों में हैंडिक्राफ्ट्स आइटम की डिमांड

रितेश की पत्नी प्रीति ने अपनी कंपनी के द्वारा निर्मित प्रोडक्ट्स की डिमांड और क्वालिटी के विषय में चर्चा करते हुए बताया कि आज की तारीख में उनकी कंपनी द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स की डिमांड 36 देशों में है। वे बताती हैं कि इन हैंडिक्राफ्ट्स की सबसे ज्यादा डिमांड यूरोपियन देशों में हैं

अधिक महंगे नही होते प्रॉडक्ट

गौरतलब है, रितेश और प्रीति की जी तोड़ मेहनत और संघर्षों से शुरु किया गया ये स्टार्टअप आज भारत की पहली ऐसी कंपनी में तब्दील हो चुका है जिसमें वेस्ट मटीरियल से यूजफुल प्रोडक्ट्स तैयार किये जाते हैं।  जानकारी के मुताबिक, राजस्थान की यह पहली ऐसी कंपनी है, जो कैपिटल मार्केट में सूचिबद्ध है।

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