दोस्तों आप सबने घर जमाई शब्द तो सभी न कभी सुना होगा और किसी घर जमाई को देखा भी होगा लेकिन किसी ऐसी जगह के बारे में आप नहीं जानते होंगे जहाँ का यह नियम बन गया हो की शादी के बाद लड़का आकर यही रहेगा। और तो और यह परंपरा आज नहीं बल्कि तीन पीढ़ियों से चली आ रही है. लड़के की शादी होती है, वो दामाद बनता है और आकर यही रहने लगता है. आलम ये है की अब इस गांव का नाम ही दमादनपुरवा हो गया है.
70 में से 40 घर दामादों के हैं-
ये जगह स्थित है यूपी के कानपुर की अकबरपुर तहसील में दमादनपुरवा कहा जाने लगा है. यहाँ पर कुल 70 घर हैं और इसमें से चालीस घर ऐसे हैं जहाँ दामाद रह रहे हैं यानी आकर बस गए हैं. अब तो लोग इसे दमादनपुरवा के नाम से ही जानते हैं और सरकारी विभाग में भी इसी नाम से जाना जाता है. यहाँ पर शादी करने वाला लड़का पहले से दिमाग में बिठाकर चलता है की अब उसे अपना गांव छोड़कर अपनी पत्नी के गांव यानी दमादनपुरवा में रहना होगा और वो ऐसा ही करता है.
1970 से शुरू है सिलसिला-
यह काम वहां पर आज नहीं बल्कि 1970 से शुरू है. कहते हैं की इस वर्ष सरियापुर गांव की राजरानी का विवाह जगम्मनपुर गांव के सांवरे कठेरिया से हुआ. शादी के बाद सावरे यहीं पर आकर रहने लगे तो उन्हें बसने के लिए एक जमीन दे दी गई. आज वो इस गांव में नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा शुरू किया गया सिलसिला आज भी गांव में बराबर बना हुआ है. धीरे धीरे बाकी लोग भी आकर रहने लगे और शादी के बाद दामादों के यही रहने की प्रथा सी चल पड़ी इसलिए इसे दमादनपुरवा कहा जाने लगा है.
2005 तक आकर बसे 40 दामाद-
1970 में सांवरे कठेरिया द्वारा शुरू की गई प्रथा आज भी कायम है. साल 2005 आते आते यहाँ पर 40 से अधिक दामाद आकर रहने लगे. सभी को रहने के लिए ऊसर में जमीन दे दी गई. बिना किसी लड़ाई झगड़े के लोग यहाँ पर आकर रहते हैं. गांव में सभी सबसे उम्रदराज दामाद का नाम रामप्रसाद है और यह 78 वर्ष के हैं. कहते हैं की रामप्रसाद लगभग 45 वर्ष पहले आकर यहाँ बेस थे और तब से यही के होकर रहे गए. अब आज भी इस गांव में दामादों के आने का सिलसिला जारी है.