हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता इरफान खान भले ही आज हम सबके बीच नहीं हैं लेकिन उनकी फिल्में दर्शकों को उनकी कमी महसूस नहीं होने देती हैं। एक्टर ने अपनी अदाकारी से खूब ख्याति प्राप्त की थी। यही वजह रही कि उन्हें साल 2011 में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
बचपन से बनना चाहते थे एक्टर
बता दें, इरफान का जन्म साल 1967 में राजस्थान के टोंक जिले के छोटे से गांव खजुरिया में हुआ था। उनके पिता यासीन अली खान पेशे से एक टायर व्यापारी थे और चाहत रखते थे कि उनका बेटा उनके बाद उनका व्यापार संभाले। लेकिन इरफान के सिर पर बचपन से ही एक्टिंग का भूत सवार था। वे स्कूल के बहाने अक्सर थिएटर पहुंच जाया करते थे।
कुछ सालों तक यही सिलसिला चलता रहा, इरफान जवान हुए और उनका दाखिला जयपुर के एक कॉलेज में करवाया गया। लेकिन उन्हें तो फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान स्थापित करनी थी। इसलिए वे दिल्ली आ गए। यहां आकर उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय यानी कि एनएसडी में एडमिशन लिया और एक्टिंग से जुड़े गुणों को बारीकी से सीखा।
सलाम बॉम्बे से हुई थी एक्टिंग की शुरुआत
इसके बाद वे मुंबई आ गए और एक्टिंग में अपना करियर बनाने की जद्दोजहद में जुट गए। कई सालों तक छोटे-मोटे रोल के बाद उन्हें पहला मौका सलाम बॉम्बे नामक फिल्म में मिला था। मीरा नायर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उन्हें एक स्ट्रीट किड के रोल के लिए कास्ट किया गया था। हालांकि, बाद में उनका रोल चेंज कर दिया गया था और उन्हें एक लेटर राइटर का किरदार निभाना पड़ा था। इस फिल्म से उन्हें कुछ खास ख्याति प्राप्त नहीं हुई लेकिन उनके अभिनय को पहचान जरुर मिली।
इसके बाद साल 1989 में उन्हें कमला की मौत नामक फिल्म में एक रोल ऑफर किया गया था। दर्शकों को एक्टर की अदाकारी काफी पसंद आई थी। इसके बाद इरफान ने कभी पलट कर नहीं देखा, उन्होंने एक के बाद एक सुपरहिट फिल्म देकर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान स्थापित की।
नैचुरल एक्टिंग के लिए प्रसिद्ध थे इरफान
इरफान खान का नाम बॉलीवुड में नैचुरल एक्टिंग के लिए प्रसिद्ध है। दर्शक आज भी उनकी फिल्मों को इसीलिए पसंद करते हैं। एक्टर ने अपने करियर के दौरान 30 से अधिक फिल्मों में काम किया। इनमें ज्यादातर फिल्में सुपरहिट साबित हुईं। जानकारी के अनुसार, फिल्म हांसिल के लिए साल 2004 में इरफान को फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था।
पठान परिवार में हुआ था ‘ब्राह्मण’ का जन्म
बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर इरफान खान खुले मिजाज़ के व्यक्ति थे। वे बातों को घुमाने-फिराने की बजाए सामने आकर सीधा बोलने में विश्वास रखते थे। यही वजह थी कि दर्शकों को उनका यह अंदाज़ काफी पसंद आता था। इरफान ज्यादातर अपनी निजी जिंदगी को लेकर सुर्खियों में रहते थे। एक मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने कभी भी मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं किया था। इस बात का खुलासा एक्टर ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान किया था। उन्होंने बताया था कि वे बचपन से इन सब चीजों से परहेज़ करते थे। एक्टर के पिता उनके इसी स्वभाव के लिए उन्हें कभी-कभी ब्राह्मण कहकर पुकारा करते थे। एक्टर ने बताया था कि वे अक्सर उन्हें ताने मारा करते थे कि एक पठान के परिवार में ब्राह्मण ने जन्म ले लिया है।
दूधवाले की बेटी को दिल दे बैठे थे इरफान
इसके अलावा एक्टर ने अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कई और खुलासे किए थे। उन्होंने बताया था कि पहली बार वे अपने दूधवाले की बेटी के प्यार में दीवाने हो गए थे। उस वक्त उनकी उम्र 16-17 साल थी। एक्टर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि घर में जब-जब दूध लाने के लिए कहा जाता था तब वे सबसे आगे खड़े हो जाते थे। वे दूध के बहाने दूधवाले की बेटी के दीदार करने के लिए जाते थे। लेकिन उनकी पहली मोहब्बत मुकम्मल नहीं हो सकी थी। इरफान ने बताया था कि बड़ी हिम्मत करके जब उन्होंने उस लड़की को अपने दिल की बात बताने की कोशिश की तब उसने दूसरे लड़के के नाम का एक प्रेमपत्र उनके हाथ में थमा दिया था जिसे देखकर उनका दिल टूट गया था।
सुतापा सिकदर से की थी शादी
मालूम हो, इरफान खान ने साल 1998 में फिल्म लेखक सुतापा सिकदर से शादी की थी। एनएसडी में प्रशिक्षण के दौरान दोनों एक ही बैच के स्टूडेंट थे। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी होती गई और बाद में वे एक-दूसरे से प्यार करने लगे थे। शादी के कुछ सालों बाद इरफान और सुतापा दो बच्चों के माता-पिता बने। उनका नाम बाबिल और अयान है।
मुंबई हुआ था निधन
गौरतलब है, इरफान खान का निधन 29 अप्रैल 2020 को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में इलाज के दौरान हुआ था। वे पिछले कई सालों से न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर से जूझ रहे थे। साल 2019 में इस बीमारी के इलाज के लिए इरफान ब्रिटेन भी गए थे। लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली जिसके बाद 54 साल की उम्र में आज ही के दिन दो वर्ष पहले हिंदी सिनेमा के सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया था।