मुम्बई में जब कोई व्यक्ति फ़िल्म लाइन में काम करने के सपने लेकर आता है तो उसे मालूम होता है कि उसे संघर्ष के दौर से गुजरना होगा। आज एक ऐसे ही संघर्ष की कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं परंतु यह थोड़ी सी अलग है।
अपनी फ़िल्मों में देसीपन दिखाने के लिए जाने जाते हैं तिग्मांशु धूलिया
राष्ट्रीय पुरुष्कार विजेता तिग्मांशु धूलिया को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से मास्टर डिग्री प्राप्त है। शेखर कपूर की बहुचर्चित और विवादों में घिरी रही फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के कास्टिंग डायरेक्टर तिग्मांशु ही थे। वे जब मुंबई आकर एक बड़े निर्देशक के अंडर में काम करने लगे तब उन्हें गोविंदा के साथ काम करने की ख्वाहिश थी।

बैंडिट क्वीन का हिस्सा होने के कारण उनके शेखर कपूर के साथ अच्छे संबंध थे। उन्होंने यह बात शेखर कपूर को बताई तो उन्होंने गोविंदा से तिग्मांशु का परिचय करवा दिया। तिग्मांशु धूलिया अपने इंटरव्यूज में बताते हैं कि उन्हें मुंबई आकर गोविंदा से मिलने के लिए और उन्हें कहानी सुनाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा।
जब गोविंदा से मिलने बस में लटककर हैदराबाद पहुँचे तिग्मांशु
गोविंदा उन दिनों बहुत बड़े सितारे हुआ करते थे। दर्शक उनके डांस मूव्स और कॉमेडी को बेहद पसंद करते थे। जब तिग्मांशु ने गोविंदा से मिलने के लिए समय मांगा तब वे हैदराबाद में वाशु भगनानी की फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे। गोविंदा ने तिग्मांशु को हैदराबाद आकर कहानी सुनाने को कहा।

तिग्मांशु धूलिया के पास उतने पैसे हुआ नही करते थे। वे अपने भाई के घर पर पत्नी के साथ रहते थे और जैसे-तैसे खर्च निकालते थे। एनएसडी में उनके सहपाठी रहे संजय मिश्रा को अपने साथ लेकर वे बस में लटकते हुए हैदराबाद पहुँचे। हैदराबाद में वे दोनों सस्ते से होटल में रुके।
रामोजी राव फिल्मसिटी में गोविंदा शूट में लगे हुए थे। तिग्मांशु वहाँ पहुँचे तो लंच का टाइम हो चुका था। लंच करने के बाद गोविंदा ने उन्हें शाम को मिलने के लिए कहा। तिग्मांशु और संजय वापिस होटल आ गए। शाम को गोविंदा को कॉल करने पर मालूम हुआ कि शूट का पैकअप हो गया है और पूरी टीम वापिस मुंबई लौट रही है।

गोविंदा ने तिग्मांशु को एयरपोर्ट बुला लिया और कहा कि वाशु भगनानी से बोलकर उन दोनों के लिए टिकट अरेंज कर देंगे। तिग्मांशु और संजय दौड़ते-भागते एयरपोर्ट पहुँचकर गोविंदा को देखकर ‘चीची! चीची!’ पुकारते रहे तब तक वे लोग जा चुके थे।
इसके बाद भी तिग्मांशु ने हार नही मानी और वे गोविंदा के फिल्मों के सेट पर जाया करते, कभी भीड़ में शामिल हो जाते। वे किसी भी तरीके से गोविंदा की नज़रों में आना चाहते थे। वे गोविंदा के साथ पिक्चर बनाने की उम्मीद में लगे रहे।

तिग्मांशु की इन फ़िल्मों ने दिलाई उन्हें अलग पहचान
तिग्मांशु के इस संघर्ष का कोई नतीजा नही निकला लेकिन एक निर्देशक के रूप में उन्होंने लाजवाब फिल्में बनाई। उनकी निर्देशित फ़िल्म ‘पान सिंह तोमर’ को नेशनल अवार्ड मिला। तिग्मांशु की हासिल और साहेब बीवी और गैंगस्टर को लोगों ने खूब पसंद किया। गैंग्स ऑफ वासेपुर में उनके अभिनय की जमकर तारीफ हुई। उनके डायलॉग्स को सोशल मीडिया में अभी भी साझा किया जाता है, उन पर मीम्स बनाये जाए हैं।
उनकी हालिया रिलीज वेब सीरीज ‘द ग्रेट इंडियन मर्डर’ को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। क्या इस वेब सीरीज के दौर में हम उम्मीद कर सकते हैं कि तिग्मांशु और गोविंदा एक साथ काम करते दिखेंगे। कहीं न कहीं तिग्मांशु के मन में गोविंदा के साथ पिक्चर बनाने की इच्छा अभी भी जीवित होगी।